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पंचखेरो जलाशय के नहर में लीकेज होने से बह कर बर्बाद हो रहा है पानी

डैम एरिया किसी भी तरह के अतिक्रमण से मुक्त है. डैम के नहरों में मिट्टी भर जाने और लीकेज रहने से किसान खेती के लिए डैम के पानी का लाभ नहीं ले पा रहे हैं.

प्रखंड के पंचखेरो जलाशय व डोमचांच प्रखंड के केशो जलाशय का शिलान्यास 1984-85 में किया गया था. वर्ष 2013-14 में पंचखेरो जलाशय का निर्माण पूरा हो गया. पंचखेरो जलाशय निर्माण के बाद भी किसानों को इससे पटवन की सुविधा पूर्ण रूप से नहीं मिल पायी. डैम से निकली दोनों नहर में लीकेज होने के कारण डैम से सालों भर पानी बह कर बर्बाद होता रहता है. जिससे सैकड़ों एकड़ खेत में दलदल बने रहने से उन पर खेती नहीं हो पाती है. हालांकि विभाग का दावा है कि दोनों नहरों से 500 हेक्टेयर में खेती के लिए पानी दिया जा रहा है. नव निर्मित डैम में सफाई नहीं की गयी है. क्योंकि रिवर क्लोज में ज्यादा दिन नहीं होने से डैम में गंदगी जैसी बात नहीं है.

फिलहाल अतिक्रमण से मुक्त है डैम एरिया

डैम एरिया किसी भी तरह के अतिक्रमण से मुक्त है. डैम के नहरों में मिट्टी भर जाने और लीकेज रहने से किसान खेती के लिए डैम के पानी का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. डैम के नहरों की गंदगी साफ कराने, डैम के लीकेज को ठीक कराने, किसानों की सुविधा के लिए चानो व पडरिया नये नहर निर्माण आदि के लिए मंत्री परिषद से 175 करोड़ राशि की स्वीकृति मिली है. भविष्य में डैम के पानी से मरकच्चो बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना और गिरिडीह जिले की गोरहंद बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत लगभग एक सौ गांवों को पेयजल आपूर्ति करायी जायेगी.

ललमटिया डैम का हाल बेहाल रखरखाव पर नहीं दिया ध्यान

लातेहार जिला मुख्यालय के उत्तर दिशा में स्थित ललमटिया डैम रखरखाव के अभाव बदहाल होता जा रहा है. लघु सिंचाई विभाग द्वारा बनाये गये इस डैम से शहर की लगभग पांच सौ एकड़ में जमीन सिंचित होती थी. लेकिन ललमटिया डैम से निकले कैनाल व फाटक की मरम्मत नहीं होने से सिंचाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गयी है. डैम का निर्माण अस्सी के दशक में हुआ था. प्रारंभ में ललमटिया व रेहड़ा गांव तक सिंचाई होती थी.

लेकिन कुछ साल बाद इसके कैनाल का निर्माण किया गया. उसके बाद बानपुर, अमवाटीकर समेत कई मोहल्लों के खेतों तक सिंचाई होने लगी थी. दो साल पूर्व डीएमएफटी की राशि खर्च कर इसका सुंदरीकरण किया गया. डैम के आस-पास कई तरह के झूले और बैठने के लिए बेंच भी बनाने गये, जो बेकार हो गये. ओपने जिम के कई उपकरणों की चोरी कर ली गयी. धीरे-धीरे डैम का अतिक्रमण होता जा रहा है

पलामू के मलय डैम में जीरो लेवल पर पानी

सतबरवा. पलामू के सतबरवा के मुरमा गांव स्थित मलय डैम तीन प्रखंड क्षेत्र मेदिनीनगर सदर, लेस्लीगंज और सतबरवा के 105 गांव (आंशिक) के किसानों की लाइफलाइन मानी जाती है. इससे किसानों को खेतों में हरियाली तथा घरों में खुशहाली आया करती है. लेकिन इस वर्ष मौसम की दगाबाजी के कारण मलय डैम के लाभुक क्षेत्र के किसान काफी निराश हैं. डैम का पानी जीरो लेवल पर पहुंच गया है. किसानों को आशंका है कि कहीं इस वर्ष भी सूखा नहीं पड़ जाये और उन्हें नुकसान देखना पड़ जाये.

जीरो लेवल पर है डैम का पानी

किसानों ने कहा कि हालांकि अभी तक मलय डैम की स्थिति ठीक नहीं है. डैम में पानी जीरो लेवल पर है. लेकिन, हमें आशा है कि बारिश होगी तथा डैम में पानी जमा होने के साथ-साथ किसानों के खेतों में भी धान की रोपाई होगी. मलय डैम में पानी संग्रह करने की क्षमता 43.09 फीट की है. इतना पानी होने के बाद स्वत: स्पिलवे से पानी का बहाव शुरू हो जाता है. फिलहाल डैम में पानी का लेवल जीरो है.

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