पंडरा नहीं, इसे कीचड़ और कचरा बाजार समिति बोलिए. बाजार समिति परिसर में जगह-जगह बरसात का पानी व कीचड़ जमा हो गया है. परिसर में ही कई जगहों पर कचरा पसरा हुआ है. दुर्गंध से व्यापारी और खरीदार दोनों परेशान हैं. इधर, वर्तमान में डेंगू के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं. इससे व्यापारी भी डरे हुए हैं. लेकिन, बाजार समिति के अधिकारियों को इससे कोई सरोकार नहीं है.
यह कृषि मंडी लगभग 38 साल पुरानी है. लेकिन, इसकी स्थिति काफी खराब है. नाली नहीं होने से नाली का पानी भी सड़कों पर बह रहा है. बाजार में घुसते ही जर्जर सड़कें मिलेंगी. गड्ढों में बरसात का पानी भरने से स्थिति और खराब हो जाती है. पैदल चलना भी मुश्किल होता है.
मुख्य और आलू मंडी को मिला कर लगभग 801 दुकानें हैं. हर माह लगभग 130-150 करोड़ रुपये का कारोबार होता है. लेकिन, सुविधाओं के नाम पर सड़क, शौचालय और पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं की भी कमी है.
बाजार परिसर का हाल बुरा है. कई बार बाजार समिति के अधिकारियों को इससे अवगत कराया गया है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जाता है.
-संतोष सिंह, व्यापारी प्रतिनिधि
पंडरा बाजार समिति में कई मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. व्यापारी के साथ-साथ हर आने वाले लोग परेशान हो रहे हैं. यहां की स्थिति काफी बदतर है.
-विकास गुप्ता, थोक व्यापारी