पंकज मिश्रा के अधीन काम करने को विवश थे माइनिंग कारोबारी, इन संस्थाओं ने जमा किये खाते में करोड़ों रुपये
साहिबगंज के पत्थर व्यापारी और लीजधारक पंकज मिश्रा के अधीन काम करने को विवश थे. वह स्टोन चिप्स और बोल्डर पहले पंकज की डीलरशिप फर्म को सस्ती दर पर बेचते थे. उसके बाद पंकज के फर्म के सहारे ऊंची कीमत पर दूसरों को बेचते थे
रांची: इडी की जांच रिपोर्ट के अनुसार, साहिबगंज के पत्थर व्यापारी और लीजधारक पंकज मिश्रा के डीलर लाइसेंस के अधीन व्यापार करने को विवश थे. वह स्टोन चिप्स और बोल्डर पहले पंकज की डीलरशिप फर्म को सस्ती दर पर बेचते थे. उसके बाद पंकज के फर्म के सहारे ऊंची कीमत पर दूसरों को बेचते थे. इस खरीद-बिक्री के दौरान होनेवाले मुनाफे को पंकज के खाते में जमा करते थे. पंकज ने पूछताछ के दौरान पहले ऐसे लोगों को पहचानने से इनकार किया, लेकिन बाद में उसने इसे स्वीकार कर लिया
जांच में पाया गया कि हथुआ कंस्ट्रक्शन, बालाजी इंटरप्राइजेज, शिव शक्ति साईं और गणपति इंटरप्राइजेज सहित अन्य संस्थाओं ने पंकज के बैंक खाते में नकद राशि जमा की. पंकज के एक बैंक खाते में सिर्फ भगवान स्टोन ने 4.87 करोड़ रुपये जमा किये थे. जांच में पंकज ने पहले तो भगवान स्टोन के मालिक भगवान भगत को पहचानने से ही इनकार कर दिया.
बाद में उसने इनकी व्यापारिक गतिविधियों की देखरेख करनेवालों के तौर पर पहचान की. जांच में पाया गया कि पंकज के पास माइनिंग लीज पहले से था. बाद में उसने ‘डीलरशिप लाइसेंस’ लिया. इसके बाद अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए माइनिंग लीज धारकों को बोल्डर व स्टोन चिप्स अपने ‘डीलरशिप फर्म’को बेचने के लिए मजबूर किया.
पटना में निबंधित हथुआ कंस्ट्रक्शन ने पंकज के खाते में मुनाफे का 21.8 लाख, गणपति ने 36.95 लाख, शिव शक्ति ने 41.50 लाख व बालाजी ने 16.93 लाख जमा किये थे. साहिबगंज में जांच के दौरान पाया गया कि यहां से प्रतिदिन औसतन 2000 ट्रकों से स्टोन चिप्स और बोल्डर बाहर भेजा जाता है.
पत्थर कारोबारी थे महंगे आइफोन के शौकीन
साहिबगंज में अवैध खनन की जांच के दौरान यह पाया गया कि पत्थर कारोबारी महंगे आइफोन के शौकीन थे. जांच के दौरान पकंज मिश्रा के सहयोगी बच्चू यादव के पास ‘आइफोन-13 प्रो’, छोटू यादव के पास आइफोन-13 प्रो ’और भगवान भगत के पास भी ‘आइफोन-13 प्रो’ पाया गया. जांच में इन पत्थर कारोबारियों के फोन को जब्त कर लिया गया है. इन व्यापारियों द्वारा अपनी अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के दौरान एक-दूसरे से आइफोन के ‘फेस टाइम’एप्लीकेशन का इस्तेमाल किया जाता था.