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झारखंड विधानसभा के स्थापना दिवस पर आए थे पंकज उधास, राज्यभर के संगीत प्रेमियों का हुआ था जुटान

रांची विधानसभा के स्थापना दिवस पर उनके साथ मंच साझा करने का अवसर मिला. मैंने ही मंच संचालन किया था. मंच संचालन के बाद उन्होंने मुझे नाश्ते पर बुलाया था.

विख्यात गजल गायक पंकज उधास नहीं रहे. 72 वर्ष की उम्र में 26 फरवरी को अंतिम सांस ली. पंकज उधास का यूं दुनिया छोड़ कर जाना हर किसी को गमगीन कर गया. हर कोई सोशल मीडिया पर नम आंखों से आखिरी श्रद्धांजलि दे रहा है. मखमली आवाज के जादूगर पंकज उधास की पूरी दुनिया दीवानी थी. उनके सबसे मशहूर गीत चिट्ठी आयी है…आज भी हर किसी को भावुक कर जाता है. पंकज उधास का अपनी रांची से भी नाता रहा है. वे वर्ष 2003 में झारखंड विधानसभा के स्थापना दिवस समारोह में शिरकत करने आये थे. अपनी आवाज से सबको भाव-विभोर कर गये थे. उन्हें सुनने के लिए राज्यभर के संगीत प्रेमियों का जुटान हुआ था.

रांची विधानसभा के स्थापना दिवस पर उनके साथ मंच साझा करने का अवसर मिला. मैंने ही मंच संचालन किया था. मंच संचालन के बाद उन्होंने मुझे नाश्ते पर बुलाया था. नाश्ते के समय गजलों का दौर शुरू हुआ. तब पंकज उधास जी ने बताया कि वे छह साल की उम्र से ही गा रहे हैं. मैं उनकी मखमली आवाज की फैन हूं.

-डॉ राजश्री जयंती, एंकर सह गायिका

पंकज उधास के निधन पर सीएम ने जताया शोक

गजल गायक पंकज उधास के निधन पर मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने शोक जताया है. उन्होंने कहा है कि मशहूर गजल गायक पद्मश्री पंकज उधास जी के निधन की खबर से मन उदास है. उनका जाना दुनिया भर में फैले उनके प्रशंसकों एवं संगीत प्रेमियों के लिए एक अपूरणीय क्षति है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और परिजनों को यह दुख सहने की शक्ति दें.

निकलाे न बेनकाब जमाना खराब है…गजल पर सबको झुमाया था

झारखंड विधानसभा की तीसरी वर्षगांठ की पूर्व संध्या (22 नवंबर 2003) पर विधानसभा परिसर में आयोजित समारोह में पंकज उधास सबके दिलों पर छा गये थे. लोग तुमको गुलाब कहते हैं और जाने शबाब कहते हैं, आप जैसे हसीन चेहरों को हम खुदा की किताब कहते हैं…के साथ शाम-ए-गजल का आगाज किया था. निकलाे न बेनकाब जमाना खराब है… सबकुछ मुझे खबर है नसीहत न कीजिए…पर सभी को झूमने परविवश कर दिया था.

झारखंड विधानसभा के स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में पंकज उधास जी को देखने और सुनने का अवसर मिला. उन्हें देखकर उतना ही अच्छा लगा, जितना उन्हें सुनकर लगता है. बहुत ही सरल व्यक्तित्व के थे. हम आज भी पंकज उधास की गजलों को हर मंच पर साझा करते हैं.
-संजीव पाठक, तबला वादक

पद्मश्री पंकज उधास जी का जाना एक युग का खत्म हाे जाने जैसा है. उनकी कमी को कोई पूरा नहीं कर सकता है. मुंबई में रिकॉर्डिंग के दौरान मेरा उनसे मिलना हुआ था. वह दिन आज भी याद है. गजल के अलावा बॉलीवुड फिल्मों के उनके गाने जीयें तो जीयें कैसे… चांदी जैसा रंग है तेरा… आज भी हर किसी की जुबां पर है.
-मधुसूदन गांगुली, सुगम संगीत गायक

रांची विधानसभा के स्थापना दिवस पर उनके साथ मंच साझा करने का अवसर मिला. मैंने ही मंच संचालन किया था. मंच संचालन के बाद उन्होंने मुझे नाश्ते पर बुलाया था. नाश्ते के समय गजलों का दौर शुरू हुआ. तब पंकज उधास जी ने बताया कि वे छह साल की उम्र से ही गा रहे हैं. मैं उनकी मखमली आवाज की फैन हूं.
-डॉ राजश्री जयंती, एंकर सह गायिका

संगीत की दुनिया से जो भी जाता है, मुझे लगता है कि मेरे परिवार का एक सदस्य चला गया. बहुत दुखद है उनका जाना. पंकज उधास जी संगीत की दुनिया के अहम हिस्सा थे. संगीत से जुड़ी इतनी बड़ी हस्ती, कही न कहीं शास्त्रीय संगीत की जानकार होती है. उनका जाना मेरे लिए बहुत दुखद है.

-पंडित श्यामा प्रसाद नियोगी, शास्त्रीय संगीत गायक

पंकज उधास को पटना में देखने और मिलने का अवसर मिला था. बहुत ही नेक इंसान थे. जिस सौम्यता के साथ गाते थे, उनका व्यक्तित्व भी वैसा ही था. संगीत जगत का एक सितारा टूट गया. रांची में विधानसभा के कार्यक्रम में उनका आना हुआ था. उनकी मधुर आवाज को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है. 

-आनंद मोहन पाठक, प्रोड्यूसर, दूरदर्शन रांची

पंकज उधास के जाने से गजल की दुनिया स्तब्ध है. विधानसभा स्थापना दिवस कार्यक्रम में उन्हें सुनने और मिलने का अवसर मिला. बहुत दुखी हूं. उनसे जुड़ी यादें, उनकी गायकी, मेरे लिए बहुत मायने रखती है. मेरे कार्यक्रम में भी उनकी गजलों की फरमाइश खूब होती है. उनके चले जाने से अपूरणीय क्षति हुई है.  

मृणालिनी अखौरी, गजल गायिका

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