योगदा आश्रम में परमहंस योगानंद के जन्मोत्सव पर भंडारा, 11000 श्रद्धालुओं को परोसा गया गुरु प्रसाद

Paramahansa Yogananda Birth Anniversary: झारखंड की राजधानी रांची के योगदा आश्रम में परमहंस योगानंद के जन्मोत्सव पर भंडारा का आयोजन किया गया. 11,000 श्रद्धालुओं को गुरु प्रसाद परोसा गया.

By Mithilesh Jha | January 5, 2025 6:54 PM

Paramahansa Yogananda Birth Anniversary: योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (वाईएसएस), रांची ने अपने संस्थापक श्री श्री परमहंस योगानंदजी का 132वां जन्मोत्सव मनाया. विशेष सामूहिक ध्यान और स्वामी श्रद्धानंद गिरि के ‘परमहंस योगानंदजी का विश्व परिवर्तक मिशन’ पर प्रवचन के साथ उत्सव का शुभारंभ हुआ. इसके बाद शिव मंदिर में ब्रह्मचारी शांभवानंद और कैवल्यानंद ने भजन गाया. गुरु पूजन और यज्ञ का आयोजन भी किया गया. भक्तों और रांची शहर तथा आसपास के गांवों के लोगों के लिए आयोजित भंडारे में हजारों लोग शामिल हुए. विशेष ध्यान के साथ शाम को समारोह का समापन हुआ.

योगदा आश्रम में भजन में लीन श्रद्धालु. फोटो : प्रभात खबर

दोपहर 12 बजे शुरू हुआ भंडारा

योगानंद के द्वारा स्थापित यह आध्यात्मिक संस्था हर साल ध्यान, कीर्तन और भंडारे के साथ उनका जन्मोत्सव मनाती है. हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी भंडारे ने स्थानीय लोगों और अन्य आगंतुकों को आकर्षित किया. जिसको भी इसकी जानकारी मिली, सभी इसमें शामिल हुए. आयोजन दोपहर 12 बजे शुरू हुआ और अपराह्न तक चलता रहा.

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11000 श्रद्धालुओं को परोसा गया गुरु प्रसाद

भंडारा शुरू होते ही आश्रम के गेट पर लंबी कतारें लगने लगी. आश्रम के विशाल मैदान में वाईएसएस के सैकड़ों भक्तों ने अतिथियों को खिचड़ी, चटनी और लड्डू का प्रसाद परोसा. लगभग 11000 श्रद्धालुओं को भंडारा में गुरु प्रसाद परोसा गया. 3 जनवरी को गुरुदेव के सम्मान में आश्रम ने सेवा गतिविधियां आयोजित की थी, जिसमें रांची के कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों की कॉलोनी में गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराया गया. 10 जनवरी को उसी कॉलोनी में कंबल भी वितरित किए जाएंगे.

योगदा सत्संग समिति के आश्रम में गुरु प्रसाद का वितरण करते स्वयंसेवक. फोटो : प्रभात खबर

1917 में परमहंस योगानंद ने की थी योगदा सत्संग सोसाइटी की स्थापना

परमहंस योगानंद ने वर्ष 1917 में वाईएसएस की स्थापना भारत और पड़ोसी देशों में की थी. इसका उद्देश्य ‘क्रिया योग : एक पवित्र आध्यात्मिक विज्ञान’, जिसका उद्भव सहस्राब्दियों पूर्व भारत में हुआ था, की सार्वभौमिक शिक्षा देने के लिए की थी.

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