क्रिया योग आध्यात्मिक विज्ञान है. इसे हर व्यक्ति अपना सकता है. इसके अभ्यास से हम मन को नियंत्रित कर सकते हैं और प्राणशक्ति पर भी अपना वश हो सकता है. दरअसल मन और प्राणशक्ति को नियंत्रित करना ही क्रिया योग है. उक्त बातें योगदा सत्संग सोसाइटी के जेनरल सेक्रेटरी स्वामी ईश्वरानंद गिरि ने परमंहस योगानंद की 130वीं जयंती के मौके पर प्रभात खबर से खास बातचीत में कही.
स्वामी ईश्वरानंद गिरि ने क्रिया योग के बारे में जानकारी दी और बताया कि क्रिया योग की जरूरत आज के समय में हर इंसान को है और इसके जरिये इंसान ना सिर्फ अपने जीवन में शांति पा सकता है, बल्कि वह ईश्वर तक भी पहुंच सकता है. क्रिया योग के अभ्यास से इंसान हर परिस्थिति में तटस्थ रह सकता है. उसका मन शांत रहता है, जिसकी वजह से उसकी एकाग्रता बढ़ जाती है और वह हर काम में सफलता प्राप्त कर सकता है. आज की युवा पीढ़ी को चाहिए क्या? सफलता और शांति, यह क्रिया योग से संभव है.
स्वामी ईश्वरानंद गिरि का कहना है कि परमहंस योगानंद के सान्निध्य में उन्होंने ईश्वर से साक्षात्कार किया. हर व्यक्ति कुछ ना कुछ अलौकिक अनुभव करता है, लेकिन हम उसे सार्वजनिक तौर पर साझा नहीं कर सकते. हां इतना जरूर है कि ईश्वर है, इसकी धारणा मजबूत हो गयी है और गुरु की अदृश्य शक्ति हमेशा साथ रहती है. जो भी व्यक्ति गुरु परमहंस योगानंद के सान्निध्य में आता है उनका वरदहस्त उनपर रहता है.
योगदा सत्संग सोसाइटी में आज पांच जनवरी को परमहंस योगानंद की 130जयंती का उत्सव आयोजित किया गया. इस अवसर पर सुबह 6.30 बजे से ध्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया . उसके बाद 9.30 बजे से गुरु पूजन का कार्यक्रम आयोजित हुआ. इस कार्यक्रम का समापन भजन-कीर्तन से हुआ. कार्यक्रम में देश-विदेश से आये उनके भक्त शामिल हुए. उसके बाद भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए.
योगदा सत्संग सोसाइटी के आश्रम में कुछ पवित्र स्थल हैं, जिनमें से एक है लीची का पेड़. इस लीची के पेड़ की खासियत यह है कि जब परमहंस योगानंद ने 1917 में रांची में सोसाइटी की स्थापना की थी तो वे इसी पेड़ के नीचे बैठकर बच्चों को पढ़ाते थे. स्मृति मंदिर पहले गोदाम हुआ करता था. इस गोदाम में बैठकर परमहंस योगानंद ध्यान करते थे. इसी मंदिर में उन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई और उन्होंने क्रिया योग के प्रचार के लिए पश्चिम का रुख किया. मुख्य मंदिर की स्थापना 1917 में परमहंस योगानंद के द्वारा ही की गयी थी. उस वक्त से यह मंदिर आज भी विद्यमान है. यहां भक्त आते हैं और अपने गुरु का सान्निध्य पाते हैं. ध्यान मंदिर वह स्थान है जहां बैठकर क्रिया योग का अभ्यास किया जाता है. इस मंदिर के आसपास असीम शांति महसूस होती है. भक्तगण यहां ध्यान लगाते हैं.
योगदा सत्संग सोसाइटी कई सामाजिक कार्य भी करती है. सोसाइटी के सहयोग से रांची और बंगाल के कुछ हिस्सों में 20 से अधिक शिक्षण संस्थान चलाये जाते हैं. इसके अलावा सोसाइटी सेवाश्रम अस्पताल के जरिये लोगों को मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया जाता है. इस अस्पताल के जरिये मरीजों की जांच करायी जाती हैं, उन्हें दवा दिया जाता है साथ ही अन्य इलाज जो जरूरी होते हैं वो भी कराये जाते हैं. प्राकृतिक आपदा के दौरान भी सोसाइटी आम लोगों की सेवा में जुटी रहती है. 4 जनवरी को परमहंस योगानंद के सम्मान में,आश्रम ने सेवा गतिविधियां भी आयोजित की. रांची में कुष्ठ काॅलोनियों में गरीबों और जरूरतमंदों के बीच भोजन और कंबल का वितरण किया गया.