Jharkhand News: आदिवासियों का है पारसनाथ, पूर्व की स्थिति रहे बहाल, सरना प्रार्थना सभा में उठी मांग
सरना धर्म महासम्मेलन सह सरना प्रार्थना सभा ने कहा कि पारसनाथ आदिवासियों का है. वहां पूर्व की स्थिति बहाल रखी जाए. उन्होंने जैन समुदाय की मांग को गलत ठहराया. सभा में केंद्र सरकार से मांग की गयी कि पहले सरना धर्मकोड दें, फिर सरना आदिवासियों का वोट लें.
Jharkhand News: राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा द्वारा हरमू मैदान में सरना धर्म महासम्मेलन सह सरना प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया. इस अवसर पर प्रार्थना सभा की ओर से कहा गया कि पारसनाथ आदिवासियों का है. वहां पूर्व की स्थिति बहाल रखी जाये. जैनियों की मांग गलत है. सभा में केंद्र सरकार से मांग की गयी कि पहले सरना धर्मकोड दें, फिर सरना आदिवासियों का वोट लें. यह भी कहा गया कि कुरमी-महतो किसी भी तरह से आदिवासी नहीं हैं. प्रार्थना सभा उनको एसटी बनाने की मांग का विरोध करता है.
नेपाल से आये 23 लोग हुए शामिल
कार्यक्रम में रांची महानगर महिला प्रकोष्ठ की धर्मबहनों ने सरना प्रार्थना की और भजन किया, जिसके बाद जिला के प्रमुख पाहन शिबू तिग्गा ने विधिवत पूजा-अर्चना की. मौके पर अध्यक्ष अजय तिर्की, बिरसा उरांव, राजेश लिंडा ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम में नेपाल से आये 23 लोग भी शामिल थे. नेपाल से आये पूर्व सांसद सूर्यदेव दास उरांव ने कहा कि आदिवासियों को धर्म कोड मिलना चाहिए.
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राम मंदिर आंदोलन की तरह करना होगा संघर्ष
आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय संयोजक सालखन मुर्मू ने कहा कि संतालों के लिए पारसनाथ पहाड़ पूजा स्थल, तीर्थस्थल और पहचान का स्थल है. जैसे हिंदुओं के लिए अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है, ईसाइयों के लिए रोम है, उसी प्रकार भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश आदि जगहों के संताल आदिवासी लिए पारसनाथ पर्वत है. उनके मंत्र की शुरूआत ही ‘मरांग बुरु’ से होती है. सरकार इसे किसी और को सौंप रही है. इसके खिलाफ उसी तरह एक बड़ा आंदोलन करना होगा, जिस तरह हिंदुओं ने राम मंदिर के लिए किया था.