मधुबन में जुटे देशभर के आदिवासी, कहा- मरांग बुरू पर पहला अधिकार हमारा, इस दिन बंद रहेगा झारखंड

रैली हटिया मैदान से निकलकर पारसनाथ पर्वत की तलहटी में स्थित दिशोम मांझीथान पहुंची और अपने आराध्य देव मरांग बुरू की पूजा-अर्चना की. वहां पुतला दहन कार्यक्रम करने के बाद लोग वापस हटिया मैदान पहुंच गये

By Prabhat Khabar News Desk | January 11, 2023 6:27 AM

आदिवासियों का धर्मगढ़ मरांग बुरू यानी पारसनाथ पर्वत की रक्षा को लेकर मंगलवार को पारसनाथ बचाओ संघर्ष समिति के आह्वान पर मधुबन स्थित हटिया मैदान में आदिवासियों और मूलवासियों का महाजुटान हुआ. पारसनाथ बचाओ के नारों के साथ रैली निकाली गयी और आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया गया. इस दौरान प्रदर्शनकारी केंद्र व राज्य सरकार समेत स्थानीय विधायक सुदिव्य कुमार सोनू के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे. रैली में कई लोग अपने हाथों में पारंपरिक हथियार लिये हुए थे. महिलाओं की काफी संख्या थी.

रैली हटिया मैदान से निकलकर पारसनाथ पर्वत की तलहटी में स्थित दिशोम मांझीथान पहुंची और अपने आराध्य देव मरांग बुरू की पूजा-अर्चना की. वहां पुतला दहन कार्यक्रम करने के बाद लोग वापस हटिया मैदान पहुंच गये और फिर सभा का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में बिहार, ओड़िशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल से काफी संख्या में आदिवासी और मूलवासी पहुंचे थे.

इन्होंने भी किया संबोधित :

सभा को पारसनाथ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक सिकंदर हेंब्रम, मरांग बुरू सावन्ता सुसार बैसि के नूनका टुडू, बुधन हेम्ब्रम, अर्जुन हेंब्रम, फागू मरांडी, अमर तुरी, अजय कश्यप, दशमत हांसदा, मंडल मुर्मू व अन्य ने भी संबोधित किया. मंच का संचालन अर्जुन मरांडी कर रहे थे. इनके अलावा करमचंद, अनिल, महादेव सहित कई लोग उपस्थित थे.

पारसनाथ पहाड़ पर पहला अधिकार आदिवासियों का : सालखन मुर्मू

सभा को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि जैन धर्मावलंबियों ने हमारे पारसनाथ पहाड़ यानी हमारे ईश्वर पर कब्जा करने के लिए देश भर में आंदोलन किया और भारत व राज्य सरकार पर दबाव बनाया. इसके खिलाफ हमलोगों को एकजुट होना होगा और अपने मरांग बुरू की रक्षा करनी होगी. यह हमारे मरांग बुरू के अस्तित्व का सवाल है.

हमें मरांग बुरू के लिए अंतिम सांस तक लड़ाई लड़नी है. इसके लिए सही रणनीति के साथ हमें तैयारी करनी होगी. पारसनाथ पहाड़ पर पहला अधिकार हमारे आदिवासियों का है. हेमंत सोरेन की सरकार आदिवासी की सरकार है. लेकिन यहां के झामुमो विधायक आंदोलन को तोड़ना चाह रहे हैं. मरांग बुरू का मामला गिरिडीह और राज्य का ही नहीं, बल्कि देश का मामला है.

हेमंत सोरेन पार्टी से हटा सकते हैं, माटी से नहीं : लोबिन हेंब्रम

बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि लोगों को विश्वास था कि अबुआ सरकार बनेगी तो विकास होगा लेकिन कुछ भी नहीं हो रहा है. 24 फरवरी को मरांग बुरू को बचाने के लिए झारखंड बंद रहेगा. चरणबद्ध आंदोलन कर ट्रेलर दिखाया जायेगा. इसके बाद मोरहाबादी मैदान रांची में फिल्म दिखायेंगे.

अपनी ही सरकार में अधिकार के लिए भीख मांगनी पड़ती है. मरांग बुरू पारसनाथ पहाड़ शुरू से आदिवासियों-मूलवासियों का रहा है. 25 जनवरी तक मरांग बुरू का अधिकार अगर आदिवासी-मूलवासी को नहीं मिला तो हमलोग आईना दिखा देंगे. हेमंत सोरेन पार्टी से हमें हटा सकते हैं, माटी से नहीं हटा सकते हैं.

मरांग बुरू हमारा है : गीताश्री उरांव

पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि मरांग बुरू हमारा है. आदिवासी प्रकृति का पूजक रहा है. जहां से हमारी आस्था है, वह मरांग बुरू हमारा है. राज्य में सीएनटी, एसपीटी एक्ट का उल्लंघन हो रहा है. हमें अपनी विरासत को बचाये रखना है. राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार अगर अभी विचार नहीं करती है तो हम चुप नही बैठेंगे. जो भी जनप्रतिनिधि हमारे साथ धोखा करेगा उन्हें सबक सिखाना होगा.

पारसनाथ के लिए लड़ाई जरूरी : जयराम

झारखंड खतियानी भाषा संघर्ष समिति के नेता जयराम महतो ने कहा कि किसी भी सर्वे में जैन समाज का एक फीट जमीन नहीं है. पारसनाथ पहाड़ से इस क्षेत्र के पचास गांव के लोग प्रतिदिन फल, फूल, पत्ता लेकर बाजार में बेचते हैं. पारसनाथ के लिए लड़ाई लड़नी होगी. यहां हम सदियों से वास करते हैं. जैन समुदाय ने सीएनटी एक्ट का उल्लंघन किया है.

आठ की बैठक में ही हो चुका है गतिरोध समाप्त : सुदिव्य सोनू

गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि आठ जनवरी को हुई बैठक में ही गतिरोध को समाप्त कर दिया गया है. इस बैठक में जिला प्रशासन के साथ आदिवासी-संथाल समाज के प्रतिनिधि, जैन समाज के प्रतिनिधि व कई अन्य जनप्रतिनिधि भी उपस्थित थे. सभी की उपस्थिति में आदिवासी और मूलवासी की भी समस्या का समाधान किया गया है. यह स्पष्ट कर दिया गया है कि आदिकाल से चली आ रही परंपरा में न कोई चीजें जोड़ी जायेगी और न ही कुछ घटायी जायेगी. श्री सोनू ने दोहराया कि पारसनाथ पर्वत मरांग बुरू थे, हैं और रहेंगे.

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