रांची. आदिवासी महासभा के संयोजक देवकुमार धान ने मांग की है कि भाजपा, कांग्रेस और जेएमएम आदिवासी समुदाय के मुद्दों को अपने घोषणा-पत्र में शामिल करें. देवकुमार धान मंगलवार को करमटोली स्थित धुमकुड़िया भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि 1051 की जनगणना तक जनगणना प्रपत्र में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कॉलम की व्यवस्था थी. 1061 में इसे एक साजिश के तहत हटा दिया गया. राजनीतिक पार्टियां स्पष्ट करें कि जनगणना प्रपत्र में पूरे देश के आदिवासियों के लिए अलग धर्म कॉलम के मुद्दे पर उनकी राय क्या है? देवकुमार धान ने कहा कि 2025 के परिसीमन में इस बात की संभावना है कि झारखंड के आदिवासियों के लिए आरक्षित 28 सीटों में से आठ सीटें घट जायेगी. पार्टियां इस मुद्दे पर अपनी राय स्पष्ट करे. इसके अलावा समान नागरिक संहिता के लागू होने से आदिवासियों के प्रथागत कानून, अस्तित्व पर असर होगा. देशभर के किसानों से जुड़ा बड़ा मुद्दा है. झारखंड में सीएनटी एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर आदिवासी जमीनों की लूट हो रही है. इन सभी मुद्दों को लेकर पार्टियों को अपने विचारों को स्पष्ट करना चाहिए.आज संवाददाता सम्मेलन में आदिवासी महासभा के अध्यक्ष नारायण उरांव, महासचिव बुधवा उरांव, ग्राम प्रधान महादेव उरांव, झारखंड आंदोलनकारी साधु चरण पूर्ति, झारखंड क्षेत्रीय पड़हा समिति हटिया के अध्यक्ष अजीत उरांव सहित अन्य उपस्थित थे.
आदिवासियों के मुद्दे को भी घोषणा-पत्र में शामिल करें पार्टियां : महासभा
आदिवासी महासभा के संयोजक देवकुमार धान ने मांग की है कि भाजपा, कांग्रेस और जेएमएम आदिवासी समुदाय के मुद्दों को अपने घोषणा-पत्र में शामिल करें.
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