हड्डी विभाग में डॉक्टरों की कमी, सर्जरी के लिए तीन सप्ताह बाद आता है नंबर
रिम्स का हड्डी रोग विभाग फैकल्टी की कमी से जूझ रहा है. इस कारण मरीजों के इलाज में परेशानी होती है.
रांची. रिम्स का हड्डी रोग विभाग फैकल्टी की कमी से जूझ रहा है. इस कारण मरीजों के इलाज में परेशानी होती है. डॉक्टर की कमी के कारण कई बार गंभीर मरीजों को भी ऑपरेशन के लिए दो से तीन सप्ताह तक इंतजार करना पड़ता है. वहीं, विभाग का अपना आइसीयू नहीं है. सर्जरी के बाद जरूरत पड़ने पर गंभीर मरीजों को ट्रॉमा सेंटर या सर्जरी आइसीयू (यहां भी बेहतर सुविधा नहीं) में रखना पड़ता है. विभाग में ऑपरेशन के लिए जरूरी उपकरणों का भी अभाव है. ओटी में सी-आर्म मशीन 15 साल पुरानी है, जो बीच-बीच में खराब होती रहती है. इस कारण ऑपरेशन प्रभावित होता है. पुरानी मशीन होने की वजह से उसका एनुअल मेंटेनेंस काॅन्ट्रैक्ट (एएमसी) नहीं है. इस कारण तत्काल कंपनी के इंजीनियर को बुलाकर नहीं बनाया जा सकता है. इसके अलावा काटरी और सेक्शन मशीन भी बीच-बीच में खराब होती रहती है. ज्ञात हो कि हड्डी रोग विभाग में तीन सीनियर डॉक्टर हैं. इनमें एक विभागाध्यक्ष सह एडिशनल प्रोफेसर व दो असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. इसके अलावा नौ सीनियर रेजीडेंट और 18 पीजी स्टूडेंट हैं. विभाग में फैकल्टी की इतनी कमी है कि अगर एनएमसी का निरीक्षण हुआ, तो पीजी की सीटें घट सकती हैं. एडिशनल प्रोफेसर डॉ गोविंद गुप्ता ही सभी छह पीजी के गाइड हैं. क्योंकि, अन्य दो डॉक्टर इसके लिए पात्र नहीं हैं. फैकल्टी की कमी के कारण विभाग में सर्जरी के लिए डॉक्टरों को छुट्टी लेने में भी परेशानी होती है, क्योंकि ओपीडी और सर्जरी प्रभावित हो जाती है. वहीं, 40 मरीजों पर दो से तीन नर्स हैं, जिससे देखभाल में परेशानी होती है.
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