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झारखंडियों को हक मिलने का रास्ता साफ

आदिवासी संगठनों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भवन निर्माण विभाग में 25 करोड़ रुपये तक के काम की निविदा स्थानीय ठेकेदारों के लिए आरक्षित करने की झारखंड सरकार की पहल का स्वागत किया है.

आदिवासी संगठनों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भवन निर्माण विभाग में 25 करोड़ रुपये तक के काम की निविदा स्थानीय ठेकेदारों के लिए आरक्षित करने की झारखंड सरकार की पहल का स्वागत किया है. पर इसके साथ उन्होंने यह मांग भी की है कि इसे सिर्फ भवन निर्माण विभाग तक सीमित न रखा जाये. स्थानीयता नीति भी दुरुस्त की जाये, ताकि सही लोगों को लाभ मिल सके.

डॉ करमा उरांव ने कहा : स्थानीयता को फिर से परिभाषित करना जरूरी

रांची विवि में मानव विज्ञान विभाग के पूर्व प्राध्यापक सह सामाजिक विज्ञान के संकायाध्यक्ष डॉ करमा उरांव ने कहा कि 25 करोड़ तक की ठेकेदारी स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करना, जिसमें एसटी, एससी व ओबीसी को प्राथमिकता देने की बात है, राज्य सरकार का स्वागतयोग्य निर्णय है. इससे आर्थिक कारोबार और राज्य के सर्वांगीण विकास में उनकी सकारात्मक सहभागिता को बढ़ावा मिलेगा. राज्य के लोगों का आर्थिक उन्नयन होगा. इस तरह के निर्णय राज्य के उदय काल में ही होने चाहिए थे. पर, देर से ही आया यह निर्णय एक मील का पत्थर साबित होने वाला है. इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि पूर्व की सरकार के स्थानीयता संबंधी निर्णय को पुनर्परिभाषित किया जाये.

धर्मगुरु बंधन तिग्गा बोले : हेमंत सरकार का निर्णय झारखंडियों के हित में

भवन निर्माण विभाग की नियमवली में संशोधन कर 25 करोड़ तक की निविदा झारखंड के स्थानीय निवासी ठेकेदारों को देने और पहली प्राथमिकता आदिवासी ठेकेदार को मिलने के निर्णय का राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा ने स्वागत किया है. राष्ट्रीय अध्यक्ष सह धर्म गुरु बंधन तिग्गा ने इसे ऐतिहासिक निर्णय बताते हुए कहा कि राज्य में होने वाले सभी प्रकार के निर्माण कार्यों में स्थानीय लोगों का ही अधिकार है, जो बहुत पहले मिल जाना चाहिए था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसे सभी विभागों में लागू करें, ताकि सभी प्रकार के ठेका-पट्टा और दूसरे कार्य स्थानीय ठेकेदारों, एजेंसियों, कंपनी व एनजीओ को मिल सके. इससे झारखंड बनने का सपना पूरा होगा.

कुंदरसी मुंडा ने कहा : सभी संस्थानों के पदों में मिले प्राथमिकता

अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की जिला कार्यकारी अध्यक्ष कुंदरसी मुंडा ने कहा कि भवन निर्माण विभाग में आदिवासियों और मूलवासियों को ठेका में प्राथमिकता दिये जाने की राज्य सरकार की पहल सराहनीय है. इससे झारखंड के पढ़े- लिखे और बेरोजगार आदिवासियों और मूलवासियों को आत्मनिर्भर बनने में सहयोग मिलेगा. सिर्फ भवन निर्माण ही नहीं, सभी विभागों में इस तरह का नियम लागू किया जाये, ताकि झारखंड के नौजवानों को अधिक से अधिक रोजगार मिल सके. इसके साथ ही राज्य के सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों के सभी पदों पर भी आदिवासियों को प्राथमिकता देने पर विचार किया जाये. इससे पलायन जैसी गंभीर समस्या पर रोक लगाने में मदद भी मिलेगी.

प्रेमशाही मुंडा ने कहा : भवन निर्माण क्यों, सभी विभागों में मिले काम

आदिवासी जन परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि हेमंत सरकार द्वारा स्थानीय लोगों को 25 करोड़ तक का ठेका का काम देने का निर्णय, जिसे मंत्री परिषद की बैठक में लाने की बात कही गयी है, एक सराहनीय पहल है. झारखंड के लोगों को सिर्फ भवन निर्माण विभाग में ही क्यों, अन्य विभागों जैसे कृषि, कल्याण, वन, स्वास्थ्य, पथ निर्माण में भी ठेका पट्टा के साथ वितरण का काम भी स्थानीय लोगों को मिलना चाहिए. नकी निविदा प्रखंड स्तर पर की जाये. स्थानीय लोगों के लिए पूंजी की व्यवस्था करने के लिए झारखंड राज्य निर्माण निगम (झारखंड स्टेट कारपोरेशन लिमिटेड) का गठन कर संवेदकों को वित्तीय सहायता दे अौर उन लोगों को पेटी में भी काम देने का मार्ग प्रशस्त करे.

एस अली ने कहा : हर विभाग में स्थानीय को मिले प्राथमिकता

झारखंड छात्र संघ व अॉल मुस्लिम यूथ एसोसिएशन के अध्यक्ष एस अली ने कहा कि पिछले कई वर्षों से मांग हो रही है कि राज्य में होने वाले सभी प्रकार के निर्माण कार्य झारखंड के स्थानीय ठेकेदारों को ही मिलने चाहिए. भवन निर्माण विभाग की तर्ज पर अन्य विभागों में होने वाले निर्माण कार्य, मरम्मत और सामग्री सप्लाई सहित अन्य कार्यों को भी स्थानीय एजेंसी, फर्म, सोसाइटी और एनजीओ के माध्यम सेे ही कराया जाये.

स्थानीयता का आधार खतियान हो: मोर्चा

रांची. मूलवासी सदान मोर्चा ने सरकार के फैसले का स्वागत िकया है. प्रवक्ता डॉ अनिल मिश्रा ने कहा कि ठेका उसे ही दिया जाना चाहिए, जिसके पास 1932 या अंतिम सर्वे 1964 का खतियान हो. उन्हाेंने कहा कि महाराष्ट्र से सीख लेनी चाहिए कि मराठियों के हक में वहां की सरकार ने बिना किसी की परवाह किये मराठियों को आरक्षण दिया. प्रवक्ता डॉ सुदेश कुमार साहू ने कहा कि टेंडर में ठेकेदारों से उनका खतियान भी मांगा जाये.

सालखन मुर्मू बोले : पहले स्थानीयता नीति बदलें, तब होगा फायदा

आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा है कि झारखंड सरकार पहले स्थानीयता नीति (1932) घोषित करे, तभी असली स्थानीय को नौकरी या ठेकेदारी मिल सकती है. दुर्भाग्य है कि अभी तक भाजपा का 1985 वाली स्थानीयता नीति ही लागू है. इसके लिए स्थानीयता नीति को बदलनी होगी, तभी वास्तविक हकदारों को इसका लाभ मिलेगा.

शिवा कच्छप ने कहा : हर क्षेत्र में झारखंडियों को उनका हक मिले

केंद्रीय आदिवासी सेना के अध्यक्ष शिवा कच्छप ने कहा कि राज्य सरकार झारखंडियों को मान सम्मान देने का काम कर रही है, जो स्वागत योग्य है. पर इसे सिर्फ ठेकेदारी तक सीमित नही रखना चाहिए. ऐसा काम करना होगा जिससे झारखंड में हर क्षेत्र में झारखंडियों को हक मिले, तभी झारखंडियों को गर्व महसूस होगा. जब यह राज्य झारखंडियों के हित में बना है, तब उन्हें हर क्षेत्र में प्राथमिकता देना जरूरी है.

निंरजना हेरेंज बोलीं : सभी निविदाओं में मिले 28 प्रतिशत आरक्षण

ट्रैवल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन झारखंड की िनरंजना हेरेंज ने कहा िक आदिवासियों के लिए सभी प्रकार की निविदाओं में 28 प्रतिशत तक आरक्षण दिया जाये. साथ ही सिंगल विंडो सिस्टम लागू कर एक ही जगह ठेकेदारी आदि का लाइसेंस निश्चित अवधि में दिया जाये. वहीं, हलधर चंदन पाहन ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने झारखंड वासियों की जमीन व भू संपत्ति लूटने के लिए एक रुपये में रजिस्ट्री जैसा कानून लाया था.

बैद्यनाथ मांडी की राय : शर्तों के साथ प्राथमिकता देने का औचित्य नहीं

ट्राइबल इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के स्टेट चेयरमैन बैद्यनाथ मांडी ने कहा है कि शर्तो के साथ स्थानीय एसटी/ एससी को प्राथमिकता देना उनकी उपेक्षा के बराबर है. यदि सही मायने में स्थानीय का भला चाहते हैं, तो उन्हें केवल भवन निर्माण विभाग तक ही क्यों, सभी विभागो में प्राथमिकता तय करनी चाहिए. इसके साथ ही स्थानीय एसटी /एससी उद्यमियों को राज्य सरकार की सभी निविदाओं मे 30% की हिस्सेदारी भी मिलनी चाहिए.

Post by : Pritish sahay

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