रांची : कोल इंडिया से रिटायर होनेवाले कोयलाकर्मियों की पेंशन व अन्य दावों का मामला लंबित होता जा रहा है. वित्त वर्ष 2020-21 में सेवानिवृत्त कर्मियों का 17.72 फीसदी मामला लंबित रह गया था. अगले वित्तीय वर्ष में यह 17.41 फीसदी हो गया. उसके अगले साल 2022-23 में कुल दावों का करीब 21 फीसदी मामला लंबित हो गया है. कोल माइंस प्रोविडेंट फंड आर्गेनाइजेशन (सीएमपीएफओ) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट मेें कहा है कि दस्तावेज पूरा नहीं होने के कारण आवेदनों पर अंतिम निर्णय नहीं हो पाता है. प्रबंधन द्वारा सदस्यों के पहचान पत्र नहीं भेजे जाते हैं. मृत्यु संबंधी दावों के साथ अपेक्षित दस्तावेज नहीं दिये जाते हैं. सदस्यों के जिस बैंक खाते में पैसे भेजे जाने हैं, उसे ठीक प्रकार से दर्शाया नहीं जाता है. निधि वापसी के आवेदन के साथ अग्रिम टिकट की रसीद नहीं भेजी जाती है.
रांची में सीएमपीएफओ के दो कार्यालय हैं. यहां पिछले वित्तीय वर्ष में सबसे अधिक अस्वीकृत दावे थे. सही दस्तावेज नहीं होने के कारण दोनों कार्यालयों (रिजन-1 और रिजन-2) के 745 दावे अस्वीकृत हो गये थे. इसमें रिजन-1 में 354 तथा रिजन-2 में 391 मामले थे. जबकि प्राप्त सभी दावों में रिजन-1 में 63 और रिजन-2 में 106 दावे लंबित रह गये.
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अभी भी कर्मियों द्वारा जमा किये गये दावों के प्रति की सही जांच नहीं होती है. इस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है. इस कारण बड़ी संख्या में दावे अपूर्ण रह जाते हैं. नतीजतन जरूरी सूचना और दस्तावेज प्राप्त करने में समय लगता है. इस कारण सेवानिवृत्त कर्मियों का दावा पूरा करने में विलंब हो रहा है. वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान कुल 30913 दावे अधूरे थे. इसमें 559 दावे अभी भी लंबित रह गये हैं. इस पर सीएमपीएफओ ने कुल करीब 10120.72 करोड़ रुपये का भुगतान कर्मियों को किया है.
वित्त वर्ष – प्राप्त पूर्ण दावा- अपूर्ण दावा- प्राप्त अपूर्ण दावे का प्रतिशत
2020-21-24743 5329 17.72
2021-22-24748 5220 17.41
2022-23-24678 6235 20.16