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Banking News : बैंकों की जमा राशि में गिरावट, पैसे निकाल कर ‘बाजार’ में लगा रहे लोग

झारखंड के बैंकों में कैश की किल्लत बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं. यह संकट मार्च तिमाही (2024) में सबसे ज्यादा था, जो कमोबेश अब तक बरकरार है. इस समय नकदी की कमी 1346 करोड़ रुपये तक पहुंच गयी है. दरअसल, मुद्रा बाजार से अधिक लाभ की उम्मीद में लोग अपने धन को बैंक से बाजार की ओर स्थानांतरित कर रहे हैं.

बिपिन सिंह(रांची). झारखंड के बैंकों में कैश की किल्लत बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं. यह संकट मार्च तिमाही (2024) में सबसे ज्यादा था, जो कमोबेश अब तक बरकरार है. इस समय नकदी की कमी 1346 करोड़ रुपये तक पहुंच गयी है. दरअसल, मुद्रा बाजार से अधिक लाभ की उम्मीद में लोग अपने धन को बैंक से बाजार की ओर स्थानांतरित कर रहे हैं. इससे बैंकों में जमा राशि में गिरावट देखी जा रही है. राज्य में इसका सबसे ज्यादा प्रभाव निजी क्षेत्र के बैंकों पर पड़ा है, जिनकी जमा राशि में पिछली तिमाही की तुलना में दो से लेकर 19 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गयी है. साथ ही झारखंड के कुल जमा में भी पिछली तिमाही की तुलना में 0.39% (1346 करोड़ रुपये) तक की गिरावट देखी गयी है. हालांकि, जून तिमाही के दौरान यह मामूली बढ़त हासिल करते हुए तिमाही दर 3.08 प्रतिशत तक आ गया है. इन वित्तीय चिंताओं से निबटने के लिए बैंक अपने ‘क्रेडिट ग्रोथ’ यानी कर्ज बांटने की रफ्तार और डिपॉजिट बढ़ाने को लेकर रणनीति बना रहे हैं.

ब्याज दरों में बदलाव से निवेश पर सीधा असर

ब्याज दरों में बदलाव से निवेश पर सीधा असर पड़ता है. सार्वजनिक बैंकों के कम ब्याज दर और प्राइवेट सेक्टर के बैंक के जोखिमों के कारण ग्राहकों का मोहभंग हुआ है. जहां बैंक अपने ग्राहकों को सेविंग एकाउंट पर दो से तीन प्रतिशत तक न्यूनतम ब्याज दर ऑफर करते हैं, वहीं देश का नेशनल स्टॉक एक्सचेंज सहित भारतीय मुद्रा बाजार 12% से लेकर 15% या इससे ज्यादा का भी रिटर्न ऑफर कर रहा है. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, 27 दिसंबर 2024 तक बैंकों का डिपॉजिट 9.8% की दर से बढ़ा है. राज्य का ऋण-जमा अनुपात (सीडी रेशियो) जून 2024 की तिमाही में बढ़कर 50.22% पहुंचा है. यह अब भी तय बेंचमार्क से करीब 10% नीचे है. यानि आम बोलचाल की भाषा में झारखंड के बैंक हर 100 रुपये के डिपॉजिट पर करीब 50 रुपये का लोन बांट रहे हैं.

डिपॉजिट घटने से बैंकर्स समिति की टेंशन बढ़ी

राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति, झारखंड ने हाल ही में रिपोर्ट जारी कर राज्य के बैंकों के पास जमा राशि में आ रही गिरावट पर चिंता जतायी है. महाप्रबंधक मनोज कुमार ने 88वीं रिपोर्ट का खासतौर पर उल्लेख किया है. एसएलबीसी ने सभी एलडीएम और बैंकों के राज्य प्रमुखों, अग्रणी जिला प्रबंधकों को निरंतर काम करने की जरूरत पर जोर देते हुए कोर बैंकिंग व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित करने और जमा राशि बढ़ाने का आग्रह किया है. इसके लिए एसएलबीसी ने वित्त वर्ष 2024-25 की वार्षिक ऋण योजना के लक्ष्य को बैंकों और एलडीएम के साथ साझा किया है.

झारखंड के म्यूचुअल फंड बाजार में करीब 15,100 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी

नवंबर 2024 के आंकड़ों के अनुसार, झारखंड में म्यूचुअल फंड का बाजार 73,000 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है. इससे पहले फरवरी 2024 में यह 57,900 करोड़ रुपये था. यानी चार महीनों के दौरान झारखंड के म्यूचुअल फंड बाजार में करीब 15,100 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है. एफडी और चालू खाता जैसे निवेश में फायदा न होता देख लोग ज्यादा मुनाफा कमाने के मकसद से अपने पैसे को आइपीओ, एसआइपी, म्यूचुअल फंड, शेयर बाजार में लगा रहे हैं. झारखंड के लोग म्यूचुअल फंड के जरिये इक्विटी फंड में अधिक निवेश कर रहे हैं. पिछले चार महीनों के दौरान करीब 88% इक्विटी और 12% नॉन इक्विटी में निवेश हुआ है. झारखंड के म्यूचुअल फंड बाजार में करीब 12,300 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है. झारखंड में जीडीपी का कुल 19% निवेश म्यूचुअल फंड में हो रहा है.

बोले एसोसिएशन के सचिव

ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय सचिव डीएन त्रिवेदी ने कहा कि बैंकों की घटती ब्याज दर के कारण उसके नियमित ग्राहक मुद्रा बाजार में निवेश को बेहतर विकल्प समझ रहे हैं, जबकि इसमें अत्यधिक जोखिम है. केंद्र सरकार से संगठन ने मांग की है कि वरिष्ठ नागरिकों के अतिरिक्त आमलोगों के बचत खाता पर भी ब्याज दरों को बढ़ाया जाये. अगर यह ऐसा ही चला, तो इसका प्रभाव बैंकों की क्रेडिट योजनाओं पर पड़ेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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