राजधानी रांची में ई-रिक्शावालों की मनमानी से राजधानी वाली परेशान हैं. राजधानी में तीन हजार के करीब ई-रिक्शा के परिचालन में नियमों का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है. इस कारण हर मोड़ और सड़क पर जाम की समस्या हो रही है. हालत यह है कि ई-रिक्शा चालक विभिन्न गलियों के मोड़ पर भी मनमानी करते नजर आ रहे हैं. ट्रैफिक पुलिस के निर्देशों का उल्लंघन करते रहते हैं. अब तो बाइलेन में भी ई-रिक्शा का जमावड़ा लगा रहता है, जिस कारण लोग हमेशा जाम से परेशान रहते हैं. मेन रोड सहित अधिकतर रोड में ई-रिक्शा वालों का कब्जा है. ट्रैफिक पुलिस भी उनके आगे बेबस दिखती है. एक बार ट्रैफिक पुलिस ई-रिक्शा वालों को खदेड़ती है, तो थोड़ी देर के बाद फिर से वह उसी स्थान पर आकर वाहन लगा कर सवारी बैठाने लगते हैं.
राजधानी में वर्तमान में 3192 ई-रिक्शा चल रहे हैं. राजधानी की कोई भी सड़क इनसे अछूती नहीं है. राजधानी में कांटाटोली, रातू रोड, सिरमटोली से मेकन तक तीन फ्लाई ओवर का निर्माण हो रहा है. ऐसे में इन सड़कों में जाम होने पर लोग वैकल्पिक रोड के रूप में बाइलेन का प्रयोग करते हैं, लेकिन बाइलेन पर भी ई-रिक्शा वालों का कब्जा है. जिस कारण राजधानी वासी जाम से परेशान होकर ट्रैफिक पुलिस को कोसते हैं. दूसरी ओर ट्रैफिक पुलिस के वरीय अधिकारियों का कहना है कि हर बाइलेन में भी ट्रैफिक पुलिस की मौजूदगी संभव नहीं है.
कचहरी से लेकर अलबर्ट एक्का चौक तक धड़ल्ले से ई-रिक्शा चल रहे हैं. कचहरी में कमिश्नरी चौक के पास भी ई-रिक्शा लगे रहते हैं और वहां ट्रैफिक पुलिस भी लाचार नजर आती है. ट्रैफिक पुलिस हमेशा उन्हें भगाती रहती है, लेकिन ई-रिक्शा वाले थोड़ी देर के लिए वहां से हट कर फिर से आ धमकते हैं. इ-रिक्शा के साथ कुछ सब्जी वालों के द्वारा भी दुकान लगाने से कचहरी स्थित कमिश्नरी चौक में जाम लगा रहता है और लोग परेशान रहते हैं.
मेन रोड में अवैध रूप से धड़ल्ले से ई-रिक्शा चल रहे हैं. ट्रैफिक पुलिस की नजर के सामने ई-रिक्शा वाले मेन रोड में प्रवेश करते हैं. ट्रैफिक पुलिस जब उन्हें खदेड़ती है, तो वह मौका देखकर निकल जाते हैं. लेकिन यह सिलसिला बार-बार चलता रहता है और परेशानी का सबब बना हुआ है. शास्त्री मार्केट के सामने और शहीद चौक के पास ई-रिक्शा वाले पैसेंजर का इंतजार करते रहते हैं. हालंकि शहीद चौक पर ट्रैफिक पुलिस की तैनाती होती है, लेकिन वह भी उन पर लगाम नहीं लगा पा रही है. ई-रिक्शा वाले कई बार तर्क देते हैं कि यह तो एक प्रकार से रिक्शा है, जैसे पैडल रिक्शा कहीं भी जा सकता है, उसी प्रकार ई-रिक्शा पर भी पाबंदी नहीं होनी चाहिए.
अलबर्ट एक्का चौक से जेल मोड़ जानेवाले रास्ते में चडरी में ई-रिक्शा का जमावाड़ा लगा रहता है. चडरी से ई-रिक्शा जेल मोड़ होते हुए करमटोली जाते हैं. जेल मोड़ पर भी ई-रिक्शा लगा रहता है. चडरी में ई-रिक्शा लगे होने के कारण मेन रोड से जेल चौक की ओर जाने वाले वाहन चालकों को हमेशा जाम का सामना करना पड़ता है. थड़पखना में भी वही स्थिति है. इस रोड में प्लाजा और लालपुर चौक तक ई-रिक्शा चलता है.
क्लब रोड से ओवर ब्रिज के नीचे तक ई-रिक्शावाले मनमानी करते रहते हैं. क्लब रोड में गोस्सनर कॉलेज के पास और ओवरब्रिज के नीचे से सरकारी बस स्टैंड होते हुए स्टेशन तक इ-रिक्शा वाले मनमानी करते रहते हैं. इस रोड में एक दूसरे से आगे निकल कर सवारी बैठाने की होड़ में इ-रिक्शा वाले रोड में दो से तीन लाइन लगा देते हैं, जिसके कारण जाम की स्थिति बनती है. इस रोड में सुजाता चौक के पास, ओवरब्रिज के नीचे ट्रैफिक पुलिस की तैनाती है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस उनके सामने विवश है या अन्य कारण से उन पर कार्रवाई नहीं करती. जिससे कारण उस रोड में लोगों की परेशानी बनी रहती है. कडरू ब्रिज के नीचे भी यही स्थिति है. रेडिशन ब्लू होटल से लेकर कडरू ब्रिज के नीचे ई-रिक्शा का जमावाड़ा रहता है, जिससे जाम की स्थिति बनती है.
किशोरी यादव चौक के पास और पिस्का मोड़ पर ई-रिक्शा वालों ने अवैध स्टैंड बना लिया है. रातू रोड में फ्लाइओवर निर्माण हो रहा है. जिसके कारण रातू मांडर जाने वाली बस किशोरी यादव चौक नहीं आती और लोग इ-रिक्शा व ऑटो के सहारे हैं. ई-रिक्शा की संख्या बढ़ने से जाम लग रहा है.
सरकुलर रोड में डिप्टी पाड़ा चौक के पास से लालपुर, डंगरा टोली और कांटाटोली तक ई-रिक्शा का कब्जा रहता है. ऑटो और ई-रिक्शा, दोनों के सड़क पर रहने से पूरा रोड जाम हो रहा है. ऐसे ही इस रोड के आसपास कई शिक्षण संस्थान होने से वाहनों का दबाव सड़क पर अधिक होता है और उसके बाद इ-रिक्शा की अधिकता होने से वाहन चालकों को काफी परेशानी होती है. इस सड़क में स्कूल के समय स्कूल बसें भी प्रवेश कर जाती हैं, उसके बाद तो हर थोड़ी-थोड़ी देर पर जाम लगता है. जिसके कारण कई लोग इस सड़क का प्रयोग नहीं करना चाहते, लेकिन मजबूरी है कि दोपहिया व चार पहिया चालकों को इस रोड से गुजरना पड़ता है. क्योंकि न्यूक्लियस मॉल से होकर प्लाजावाले ईस्ट जेल रोड से कर्बला चौक तक ट्रैफिक पुलिस ने ऑटो के रूट तय कर दिये हैं. लालपुर चौक तथा कांटाटोली चौक पर इ-रिक्शा वालों की मनमानी इस कदर है कि यहां पता ही नहीं चलता है कि वह कब किधर से निकल जायेंगे, जिससे कारण दुर्घटना की संभावना बनी रहती है.
बहू बाजार के चर्च के पास ई-रिक्शा वालों ने कब्जा कर लिया है, जिसके कारण वहां अधिकतर समय जाम लगा रहता है. कांटाटोली फ्लाइओवर निर्माण के कारण उस रोड को वन वे किया गया है. सिरमटोली चौक की ओर आनेवाले दोपहिया व चार पहिया वाहनों को बसर टोली और नया टोली होते हुए ऑक्सफोर्ड स्कूल की ओर भेजा जा रहा है. जिस कारण सभी प्रकार के वाहनों को बहू बाजार चौक चर्च होते हुए कांटाटोली की ओर जाना होता है. इस रोड में सुजाता की ओर से आने वाले ऑटो भी प्रवेश करते हैं, क्योंकि ऑटो का बहूबाजार से कर्बला चौक, प्लाजा न्यूक्लियस मॉल होते हुए कचहरी व रातू रोड का रोड तय किया गया है. बहू बाजार से सभी प्रकार के वाहन प्रवेश करते हैं और वहीं पर इ-रिक्शा का जमावाड़ा होने से जाम की स्थिति बनती है.
राजधानी की सड़कों पर ई-रिक्शा बिना किसी रूट पास के संचालित हो रहे हैं और इन्हें देखनेवाला कोई नहीं है. इसका नतीजा है कि आज इनकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. सवारी के इंतजार में ये इ-रिक्शा चौक-चौराहे के कोने पर खड़े रहते हैं. इससे सड़कों पर जाम लग रहा है. साथ ही ग्रीन सिग्नल होने के बाद भी वाहनों को चौक पार करने में पसीने छूट जाते हैं.
ई-रिक्शे की मनमानी को देखते हुए रांची नगर निगम द्वारा वर्ष 2016-17 में रूट पास सिस्टम लागू किया गया था. इसके तहत किस रोड पर कितने इ-रिक्शे चलेंगे, इसका निर्धारण किया गया था. हर रूट के इ-रिक्शा को क्यू-आर कोड युक्त रूट पास भी दिया गया था. लेकिन वर्ष 2020 में जब कोरोना आया, तो रूट पास सिस्टम ही बंद हो गया. आज जब कोरोना का नामोनिशान नहीं है, तो उसके बाद भी निगम ने दोबारा रूट पास सिस्टम को लागू नहीं किया. नतीजा जिस सड़क पर अधिक पैसेंजर मिलने की संभावना रहती है. सारे इ-रिक्शे उसी रूट पास पिक आवर में चलने लगते हैं.
रूट पास के लिए शहर के सभी ई-रिक्शा को निगम में रजिस्ट्रेशन कराने का निर्देश दिया गया था. रजिस्ट्रेशन के साथ ही सभी को टोकन नंबर आवंटित किया गया था. फिर सभी टोकनों की लॉटरी की गयी थी. इस लॉटरी के दौरान जिसे जो रूट मिला था, उसे उसी रूट पर रिक्शा चलाने के लिए परमिट दिया गया था. जो इ-रिक्शे अपने रूट से हटकर चलते, उनसे जुर्माना वसूला जाता था. इसके तहत पहली बार फाइन पांच हजार, दूसरी बार में 10 हजार और तीसरी बार में 25 हजार रुपये का फाइन रखा गया था. नियमों का उल्लंघन कर चलने वाले इन इ-रिक्शा से निगम ने दो साल में 12 लाख रुपये जुर्माना वसूल लिया था. इसका असर यह हुआ था कि जिस इ-रिक्शा को जहां का रूट मिला था, वह उसी रूट में चला करते थे.
रांची में पेट्रोल और डीजल ऑटो के साथ-साथ इ-रिक्शा की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. साथ ही वह मनमाना किराया भी वसूल रहे हैं रांची में निबंधित ई-रिक्शा की संख्या अब तक 3,192 पहुंच गयी है. हालत ऐसी है कि ये इ-रिक्शा बेतरतीब तरीके से सड़कों पर चल रहे हैं. अकेले, साल 2022 में ही रांची में 969 इ-रिक्शा निबंधित हुए हैं, जबकि 2021 में 125 इ-रिक्शा निबंधित हुएं. वहीं, 2020 में कोरोना के कारण मात्र 55 इ-रिक्शा और 2019 में 321 इ-रिक्शा निबंधित हुए हैं. इसी प्रकार, 2023 में साढ़े तीन माह में ही अब तक 479 वाहन बिक गये हैं. रांची में इ-रिक्शा की बिक्री साल 2014 से हो रही है.
डीटीओ प्रवीण कुमार प्रकाश ने कहा कि नियमों के अनुसार ई-रिक्शा का फिटनेस टेस्ट हर दो-दो साल के अंतराल पर कराना होता है. वहीं इ-रिक्शा के लिए परमिट की कोई जरूरत नहीं है.
रांची जिला रांची जिला इ-रिक्शा चालक यूनियन के जिलाध्यक्ष दिनेश सोनी ने कहा कि पूर्व में निगम द्वारा ई-रिक्शा के लिए रूट पास दिया गया था, लेकिन बाद में कोई रूट पास या पास का नवीनीकरण नहीं किया गया. रूट पास देकर हर रूट पर इ-रिक्शा की संख्या तय करनी चाहिए, ताकि सड़कों पर जाम की स्थिति न बने. इ-रिक्शा चालक यूनियन के जिलाध्यक्ष दिनेश सोनी ने कहा कि पूर्व में निगम द्वारा इ-रिक्शा के लिए रूट पास दिया गया था, लेकिन बाद में कोई रूट पास या पास का नवीनीकरण नहीं किया गया. रूट पास देकर हर रूट पर इ-रिक्शा की संख्या तय करनी चाहिए, ताकि सड़कों पर जाम की स्थिति न बने.
शहर में कई जगहों पर इ-रिक्शा चल रहे हैं. इनका कोई निर्धारित किराया नहीं होता. स्टूडेंट्स लोग से कई बार अधिक किराया तक ले लेते हैं. कई जगहों में इ-रिक्शा एक हाथ से हैंडल पकड़ कर चलते हैं और दूसरे हाथ में मोबाइल लेकर बात करते चलते हैं. उन्हें व्यस्त रोड का कोई डर नहीं रहता. इ-रिक्शा के लिए नियम होने चाहिए.
अभिषेक कच्छप, मोरहाबादी
इ-रिक्शा की मनमानी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. सड़क पर पैदल चलने तक की जगह नहीं होती है. कभी भी कहीं पर मोड़ लेते है. वहीं दूसरी तरह इनका कोई फिक्स किराया नहीं होता है. मनमाना किराया लेने लगते हैं. अगर सिंगल जाना हो, तो 100-200 रुपये तक ले लेते हैं. इ-रिक्शा की मनमानी पर रोक लगनी चाहिए.
कंचन कुमारी, कांके
हर जगह के रूट के आधार पर इ-रिक्शा का किराया निर्धारित है. कम दूरी का 10 रुपये और अधिक दूरी का 20 रुपये लिया जाता है. कई बार रिजर्व में भी इ-रिक्शा चलता है. किसी से अधिक किराया नहीं लिया जाता है.
-शक्ति सोनी, इ-रिक्शा चालक
रिजर्व के आधार पर ही किराया अधिक लेते हैं. ऐसे 10 से 20 रुपये ही किराया लिया जाता है. इ-रिक्शा चालक प्रतिदिन ~400-500 कमा रहे हैं. जिससे वह जीवनयापन कर रहे है. कुछ इ-रिक्शा चालकों की मनमानी होने लगी है.
-मदन, इ-रिक्शा चालक