झारखंड : पेसा कानून को दिया गया अंतिम रूप, ग्रामसभा को आदिवासियों की जमीन वापसी का मिलेगा अधिकार
पेसा रूल में पुलिस की भूमिका निर्धारित करते हुए किसी की गिरफ्तारी के 48 घंटे के अंदर गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी ग्रामसभा को देने की बाध्यता तय की गयी है.
रांची, शकील अख्तर :
सरकार ने सभी आपत्तियों व सुझावों पर तर्कसंगत फैसला करते हुए पेसा रूल-2022 को अंतिम रूप दे दिया है. पेसा रूल में ग्रामसभाओं को ‘शक्तिशाली’ और ‘अधिकार संपन्न’ बनाने का प्रावधान किया गया है. इसके तहत ग्रामसभा की बैठकों की अध्यक्षता मानकी, मुंडा आदि पारंपरिक प्रधान ही करेंगे. ग्रामसभा की सहमति के बिना जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जा सकेगा. ग्रामसभा का फैसला ही अंतिम होगा. आदिवासियों की जमीन खरीद-बिक्री मामले में भी ग्रामसभा की सहमति की बाध्यता होगी. ग्रामसभा गांव में विधि-व्यवस्था बहाल करने के उद्देश्य से आइपीसी की कुल-36 धाराओं के तहत अपराध करनेवालों पर न्यूनतम 10 रुपये से अधिकतम 1000 रुपये तक का दंड लगा सकेंगी.
दंड का अपील पारंपरिक उच्चस्तर के बाद सीधे हाइकोर्ट में किया जायेगा. पेसा रूल में पुलिस की भूमिका निर्धारित करते हुए किसी की गिरफ्तारी के 48 घंटे के अंदर गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी ग्रामसभा को देने की बाध्यता तय की गयी है. ग्रामसभा को आदिवासियों की जमीन वापस कराने का अधिकार भी दिया गया है.
31 अगस्त तक सरकार ने मांगी थी आपत्तियां और सुझाव
राज्य सरकार द्वारा जारी पेसा रूल के प्रारूप पर 31 अगस्त तक आपत्तियां और सुझाव मांगे गये थे. इसके आलोक में कई संगठनों ने रूल के प्रारूप पर आपत्तियां दर्ज करायी थीं. साथ ही कई सुझाव भी दिये थे. सरकार ने उन आपत्तियों और सुझावों को अस्वीकार कर दिया है, जो हाइकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और पेसा अधिनियम, झारखंड पंचायत राज अधिनियम-2001 के प्रावधानों के विपरीत थे. साथ ही नियम संगत सुझावों को स्वीकार करते हुए पेसा रूल-2022 को अंतिम रूप दिया है. इसमें कुल 17 अध्याय और 36 धाराएं हैं. सरकार ने जिन महत्वपूर्ण सुझावों के स्वीकार किया है उसमें ग्रामसभा के लिए अलग कोष, लाभुकों के चयन का अधिकार, परंपराओं के संरक्षण, परंपराओं का पालन, विभाग द्वारा बनायी जानेवाली योजनाओं को लागू करने से पहले ग्रामसभा की सहमति के अलावा मजदूरों को बाहर ले जाने से पहले उनकी विस्तृत जानकारी ग्रामसभा को देना सहित अन्य मुद्दे शामिल हैं.
ग्रामसभा में कोष स्थापित करने का प्रावधान :
पेसा रूल में ग्रामसभा में कोष स्थापित करने का प्रावधान किया गया है. इसे अन्न कोष, श्रम कोष, वस्तु कोष, नकद कोष के नाम से जाना जायेगा. नकइ कोष में दान, प्रोत्साहन राशि, दंड, शुल्क, वन उपज से मिलने वाले रॉयल्टी, तालाब, बाजार आदि के लीज से मिलनेवाली राशि रखी जायेगी. ग्रामसभा में बक्से में बंद कर अधिकतम 10 हजार रुपये ही रखे जायेंगे. इससे अधिक जमा हुई राशि को बैंक खाते में रखा जायेगा.
योजना के लाभुकों का चयन भी ग्रामसभा ही करेगी :
ग्रामसभाएं ही संविधान के अनुच्छेद-275(1) के तहत मिलनेवाले अनुदान और जिला खनिज विकास निधि(डीएमएफटी) से की जानेवाली योजनाओं का फैसला करेंगी. योजना के लाभुकों का चयन ग्रामसभा के माध्यम से किया जायेगा. विभाग द्वारा चलायी जाने वाली योजनाओं के लिए ग्राम सभा के विचार-विमर्श करना होगा.
ग्रामसभा को दंड लगाने का भी दिया गया अधिकार
पेसा रूल में ग्रामसभा को विधि-व्यवस्था बनाये रखने के लिए 10 रुपये से 1000 रुपये तक का दंड लगाने का अधिकार दिया गया है. दंडित व्यक्ति पारंपरिक उच्चस्तर पर अपील कर सकेगा. उच्चस्तर से भी राहत नहीं मिलने पर वह सीधे हाइकोर्ट में अपील करेगा. पुलिस द्वारा किसी को गिरफ्तार करने के 48 घंटे के अंदर ग्रामसभा को इसकी सूचना देने होगी.
ग्रामसभा को दंड लगाने से संबंधित अधिकार का उदाहरण
आइपीसी किया गया दंड की
की धारा अपराध रकम
160 दंगा-फसाद ~100 तक
265 खोटे बाट का इस्तेमाल करना ~500 तक
277 जलस्रोतों को प्रदूषित करना ~500 तक
289 जीव जंतुओं के साथ उपेक्षापूर्ण बरताव ~500 तक
249 अश्लील काम और अश्लील गाना ~200 तक
298 धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना ~500 तक
374 जबरन काम कराना ~1000 तक
379 चोरी करने पर ~1000 तक
417 छल-कपट के लिए ~500 तक
429 जीव जंतु को मारने या विकलांग करने पर ~500 तक
500 मानहानि के लिए ~500 तक
504 लोक शांति भंग करने पर ~200 तक
पारंपरिक प्रधान करेंगे ग्रामसभा की बैठकों की अध्यक्षता
पेसा रूल के तहत ग्रामसभा की बैठकों की अध्यक्षता मानकी, मुंडा, माँझी, परगना, दिउरी, डोकलो, सोहरो, पड़हा राजा जैसे पारंपरिक प्रधान करेंगे. पंचायत सचिव ‘ग्रामसभा सचिव’ के रूप में काम करेंगे. बैठकों में कोरम पूरा करने के लिए 1/3 सदस्यों की मौजूदगी जरूरी है. कोरम पूरा करने के लिए निर्धारित इस संख्या में 1/3 महिलाओं की उपस्थिति भी जरूरी है. ग्रामसभा की बैठक में अभद्र व्यवहार करने, अनुशासन तोड़नेवाले सदस्य को बैठक से निष्कासित करने का अधिकार सभा के अध्यक्ष को दिया गया है.
ग्रामसभा को प्रावधानों पर आपत्ति दर्ज कराने का भी दिया गया है अधिकार
पेसा रूल के प्रावधानों के सामाजिक, धार्मिक और प्रथा के प्रतिकूल होने की स्थिति में ग्रामसभा को इस पर आपत्ति दर्ज करने का अधिकार होगा. इस तरह के मामलों में ग्रामसभा प्रस्ताव पारित कर उपायुक्त के माध्यम से राज्य सरकार को भेजेगी. सरकार 30 दिनों के अंदर एक उच्चस्तरीय समिति बनायेगी. यह समिति 90 दिनों के अंदर सरकार को अपनी रिपोर्ट देगी. रिपोर्ट के आधार पर सरकार फैसला करेगी और ग्रामसभा को सूचित करेगी.
अपनी सीमा के अंदर प्राकृतिक स्रोतों का प्रबंधन करेगी ग्रामसभा
ग्रामसभा अपनी पारंपरिक सीमा के अंदर प्राकृतिक स्रोतों का प्रबंधन करेगी. ग्रामसभा को वन उपज पर अधिकार दिया गया है. साथ ही वन उपज की सूची में पादक मूल के सभी गैर-इमारती वनोत्पाद को शामिल किया गया है. वन उपज की सूची में बांस, झाड़-झंखाड़, ठूंठ, बेंत, तुसार, कोया, शहद, मोम, लाह, चार, महुआ, हर्रा, बहेरा, करंज, सरई, आंवला, रुगड़ा, तेंदू, केंदू पत्ता, के अलावा औषधीय पौधों और जड़ी-बूटी को शामिल किया गया है. ग्रामसभा को लघु खनिजों का अधिकार दिया गया है. ग्रामसभाएं सामुदायिक संसाधनों का नियंत्रण समुदाय के पारंपरिक पद्धति और प्रथाओं से करेंगी. हालांकि, इस दौरान विल्किसन रूल्स, छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम, संताल परगना काश्तकारी अधिनियम सहित अन्य कानूनों का ध्यान रखा जायेगा.
जमीन अधिग्रहण और पुनर्वास में ग्रामसभा की सहमति जरूरी
पेसा रूल में ग्रामसभा को जमीन पर भी अधिकार दिया है. इसके तहत जमीन अधिग्रहण और पुनर्वास के मामलों में ग्रामसभा की सहमति की बाध्यता तय की गयी है. ग्रामसभा को आदिवासियों की जमीन वापसी का अधिकार भी दिया गया है. अगर कोई ग्रामसभा अपने क्षेत्राधिकार में आदिवासियों की जमीन को गलत ढंग से लेने या उसकी नासमझी का फायदा उठा कर लेने का मामला पाती है, तो वह जमीन उसके असली मालिक को वापस करा देगी. जमीन के असली मालिक के जीवित नहीं होने की स्थिति में उसके वारिसों को जमीन वापस की जायेगी. जमीन वापसी के मामले में किसी तरह की परेशानी होने पर ग्रामसभा ऐसे मामलों को उपायुक्त को सौंप देगी. पेसा रूल में ग्रामसभा की अनुमति के बिना अनुसूचित जनजातियों की किसी भी तरह की जमीन के हस्तांतरण पर पाबंदी लगायी गयी है. आदिवासियों की जमीन के हस्तांतरण से पहले उपायुक्त द्वारा ग्रामसभा से अनुशंसा लेने की बाध्यता तय की गयी है.