झारखंड में नहीं घटा वैट तो लोग डीजल लेने लगे पड़ोस के राज्यों से, पेट्रोल पंप संचालक भुगत रहे खमियाजा
झारखंड सरकार ने अब भी पेट्रोल डीजल के वैट में कमी नहीं की है, इसका खमियाजा पेट्रोल पंप को संचालकों को भुगतना पड़ रहा है. क्यों कि लोग पड़ोस के राज्यों से डीजल ले रहे हैं. झारखंड में चल रही कंपनियां भी अब पड़ोस के राज्यों से डीजल लाने लगी है.
Jharkhand News, Ranchi News, Jharkhand vat रांची : झारखंड में वैट अधिक होने का खामियाजा झारखंड के पेट्रोल पंप संचालक भुगत रहे हैं. साथ ही सरकार को भी राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है. डीजल की कीमत अधिक होने के कारण झारखंड से गुजरनेवाले ट्रक झारखंड सीमा में प्रवेश करने से पहले ही दूसरे राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से डीजल भरा ले रहे हैं. साथ ही झारखंड में स्थित बड़ी कंपनियां झारखंड के बजाय उत्तर प्रदेश के मुगलसराय और पश्चिम बंगाल से लगभग 30,000 किलोलीटर डीजल ला रही हैं.
झारखंड में डीजल पर वैट दर घटाने को लेकर शुक्रवार को झारखंड पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव और आलमगीर आलम से मिला. एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह ने ज्ञापन देकर आंकड़ों के साथ बताया कि वैट दर अधिक होने से कैसे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है. श्री सिंह ने कहा कि हमारी बातों को सुनते हुए श्री उरांव ने कहा कि सरकार से इस पर बात करेंगे. एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह ने कहा कि 21 नवंबर को रांची में आमसभा बुलायी गयी है. वैट दर यदि नहीं घटायी जाती है, तो आंदोलन करने पर विचार किया जायेगा. स्थिति यह हो गयी है कि झारखंड में पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री बढ़ने के बजाय घट रही है.
जब झारखंड में 18 प्रतिशत वैट दर थी, तो फरवरी 2015 में डीजल की कुल बिक्री 1,45,000 केएल थी. वहीं, जब वैट दर वर्तमान में 22 प्रतिशत है, तो अक्तूबर 2021 में कुल बिक्री घट कर 1,23,000 केएल हो गयी है. जानकारों का कहना है कि पेट्रोलियम उत्पादों में सालाना वृद्धि पांच से छह प्रतिशत होती है. उदाहरण के रूप में धनबाद, गिरिडीह का कुछ हिस्सा, हजारीबाग और पाकुड़ स्थित राष्ट्रीय उच्चमार्ग की बात करें, तो फरवरी 2015 में डीजल की बिक्री 26,612 केएल थी, जबकि जून, 2021 में यह बिक्री घट कर 9981 केएल हो गयी है. लगभग 62 प्रतिशत की गिरावट आयी है.
इसे ऐसे समझें :
झारखंड पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह ने कहा कि आसान-सा हिसाब है कि मौजूदा समय में राज्य में हर माह 1,23,000 किलोलीटर डीजल की खपत हो रही है. एक किलोलीटर में 1,000 लीटर होता है. 22 प्रतिशत वैट के साथ इस पर सरकार को राजस्व 210.50 करोड़ रुपये मिल रहा है. पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री में सालाना लगभग पांच से छह प्रतिशत की वृद्धि होती है. इस प्रकार छह सालों में यह वृद्धि लगभग 35 प्रतिशत होने की उम्मीद है.
यानी राज्य में कुल खपत बढ़ कर 1,66,050 किलोलीटर प्रति माह हो जायेगी. इस खपत पर 17 प्रतिशत वैट की दर से सरकार को राजस्व 223. 37 करोड़ रुपये मिलेगा. इसके अलावा, वैट घटने के बाद जो इंडस्ट्रियल उपभोक्ता अभी तक 30,000 किलोलीटर डीजल दूसरे राज्यों से मंगा रहे हैं, वह राज्य से ही खरीदेंगे. राजस्व के रूप में सरकार को कुल 40.36 करोड़ रुपये अतिरिक्त प्राप्त होंगे. कुल जोड़-घटाव करने पर सरकार को 53.23 करोड़ प्रति माह का अतिरिक्त राजस्व का लाभ मिलेगा.
दूसरे राज्यों में यह है वैट दर
केंद्र सरकार द्वारा एक्साइज ड्यूटी में कटौती के बाद विभिन्न राज्यों ने भी वैट में कमी की है. बिहार में वैट 19 प्रतिशत से घटा कर 16. 37 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 17 प्रतिशत के अलावा एक रुपया की अतिरिक्त छूट दी गयी है. उत्तर प्रदेश में अभी वैट की दर 17.08 प्रतिशत है. वहीं झारखंड में 22 प्रतिशत और एक रुपया सेस लगता है. इस प्रकार यह कुल 25 प्रतिशत हो जाता है. झारखंड में डीजल 91.56 रुपये प्रति लीटर, पश्चिम बंगाल में 89. 79 रुपये, यूपी में 86.80 रुपये और बिहार में 91. 09 रुपये प्रति लीटर है.
Posted By : Sameer Oraon