झारखंड के 8 मेडिकल कॉलेज में से में सिर्फ 4 मेडिकल कॉलेज में पीजी की पढ़ाई होती है, जिनमें 220 सीटें हैं. इसमें एमएस के लिए 74 और एमडी की 146 सीटें शामिल हैं. लेकिन दूसरे राज्यों जैसे कि बिहार, छत्तीसगढ़, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल व उत्तराखंड की स्थिति देखें तो वहां मेडिकल कॉलेज की संख्या अधिक है और वहां पीजी की सीट तीन से सात गुना अधिक है. इनमें से कई राज्य तो झारखंड के साथ ही अलग हुए हैं.
लेकिन अलग राज्य बनने के बाद भी यहां मेडिकल कॉलेज की संख्या नहीं बढ़ी. इससे डॉक्टरों की कमी बनी हुई है. यह स्थिति तब है, जब झारखंड में आबादी की तुलना में डॉक्टरों की संख्या काफी कम है. एक लाख की आबादी पर राज्य में मात्र एक डॉक्टर ही है.
एनएमसी से मिली जानकारी के अनुसार, बिहार में 13 मेडिकल कॉलेज में पीजी की पढ़ाई होती है, जिनमें 988 सीटें हैं. 10 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें 755 सीटें हैं, वहीं तीन निजी मेडिकल कॉलेज में 233 सीटें हैं. ओड़िशा में आठ मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें चार सरकारी व चार निजी शामिल हैं. यहां पीजी की कुल सीटें 877 हैं.
पश्चिम बंगाल में 25 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें 1565 पीजी की सीटें हैं. वहीं उत्तराखंड में छह मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें चार सरकारी और दो निजी मेडिकल कॉलेज हैं. यहां कुल सीटों की संख्या 1118 है, जिसमें एमडी के लिए 791 और एमएस के लिए 327 सीटें हैं.
झारखंड और छत्तीसगढ़ का गठन एक साथ हुआ, लेकिन यहां मेडिकल कॉलेज की संख्या झारखंड से ज्यादा है. छत्तीसगढ़ में पीजी की पढ़ाई आठ मेडिकल कॉलेज में होती है, जिसमें छह सरकारी और दो निजी मेडिकल कॉलेज हैं.
दूसरे राज्यों में सरकारी के साथ पीजी में नामांकन के लिए निजी कॉलेज भी विकल्प
झारखंड में सरकारी और निजी मिलाकर आठ मेडिकल कॉलेज, पर सिर्फ चार में होती है पढ़ाई
राज्य कॉलेज सीट
झारखंड 04 220
बिहार 13 988
छत्तीसगढ़ 08 452
ओड़िशा 08 877
पश्चिम बंगाल 25 1565
उत्तराखंड 04 1118
बिहार से अलग होने के बाद वहां मेडिकल कॉलेज की संख्या बढ़ी नहीं है. चार कॉलेज हैं, जहां पीजी की पढ़ाई होती है. सरकार को मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ानी चाहिए.
डॉ सहजानंद प्रसाद सिंह, नेशनल प्रेसिडेंट आइएमए
Posted By: Sameer Oraon