झारखंड: PHD रेगुलेशन-22 के तहत ही प्रवेश परीक्षा, रिजल्ट और नामांकन होगा, राज्यपाल ने दिया निर्देश

पीएचडी कार्यक्रम की अवधि कम से कम तीन वर्ष व अधिकतम छह वर्ष होगी. इसमें कोर्स वर्क भी शामिल होंगे. महिला पीएचडी शोधार्थियों और दिव्यांग शोधार्थियों (40 प्रतिशत से अधिक विकलांग वाले) को दो वर्ष की अतिरिक्त छूट दी जायेगी

By Prabhat Khabar News Desk | January 6, 2024 4:46 AM

रांची : राज्यपाल सह कुलाधिपति ने राज्य के सभी विवि में पीएचडी प्रवेश परीक्षा से लेकर रिजल्ट व नामांकन प्रक्रिया यूजीसी रेगुलेशन 2022 के आधार पर ही पूरी करने का निर्देश दिया है. हालांकि झारखंड में यूजीसी रेगुलेशन 2022 लागू करने की प्रक्रिया चल रही है. यूजीसी रेगुलेशन 2022 के अनुसार, प्रवेश परीक्षा में 50 अंक रिसर्च मैथेडोलॉजी से तथा 50 अंक विशिष्ट विषय से पूछे जायेंगे. इसके अलावा प्रवेश परीक्षा में 50 अंक अर्जित करनेवाले अभ्यर्थी साक्षात्कार के लिए बुलाये जाने के पात्र होंगे. एससी/एसटी/ ओबीसी/दिव्यांग वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और अन्य श्रेणियों के उम्मीदवारों के लिए प्रवेश परीक्षा में पांच अंकों की छूट रहेगी.

उच्चतर शिक्षण संस्थान उपलब्ध सीटों की संख्या के आधार पर साक्षात्कार के लिए बुलाये जानेवाले पात्र छात्रों की संख्या तय किया जा सकता है., बशर्ते कि उच्चतर शिक्षण संस्थान द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा के आधार पर उम्मीदवारों के चयन के लिए प्रवेश परीक्षा के लिए 70 और साक्षात्कार/मौखिक परीक्षा के लिए 30 अंक दिये जायेंगे. किसी एक समय में एक पात्र प्रोफेसर/एसोसिएट प्रोफेसर/असिस्टेंट प्रोफेसर क्रमश: आठ, छह, चार पीएचडी छात्रों का मार्गदर्शन कर सकेंगे. पीएचडी कोर्स वर्क के लिए कम से कम 12 क्रेडिट की आवश्यकता होगी.

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महिलाओं और दिव्यांगों को दो वर्ष की अतिरिक्त छूट : 

पीएचडी कार्यक्रम की अवधि कम से कम तीन वर्ष व अधिकतम छह वर्ष होगी. इसमें कोर्स वर्क भी शामिल होंगे. महिला पीएचडी शोधार्थियों और दिव्यांग शोधार्थियों (40 प्रतिशत से अधिक विकलांग वाले) को दो वर्ष की अतिरिक्त छूट दी जायेगी. हालांकि पीएचडी कार्यक्रम पूरी करने की कुल अवधि पीएचडी कार्यक्रम प्रवेश की तिथि से 10 वर्ष से अधिक नहीं हो. महिला पीएचडी शोधार्थी को कार्यक्रम की पूरी अवधि में 240 दिनों तक के लिए मातृत्व अवकाश/शिशु देखभाल अवकाश दिया जायेगा.

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