झारखंड में प्लास्टिक और थर्मोकोल के प्रतिबंध होने के बाद बाद भी आपके पास हैं ये विकल्प, जानिए विस्तार से
प्लास्टिक और थर्मोकोल से निर्मित सामग्री पर प्रतिबंध लग गया है, लेकिन घबराएं नहीं, इसके विकल्प भी अब बाजार में मौजूद हैं. विकल्प के तौर पर बायो पॉलिथीन भी है, जिसके बारे में दुकानदारों का कहना है कि ये आसानी से गल जाते हैं
रांची : झारखंड में प्लस्टिक व थर्मोकोल निर्मित समाग्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. लेकिन इसके अलावा भी बाजार में विकल्प मौजूद है. सुगर केन से बने पत्तल व कटोरा और लकड़ी का कांटा व चम्मच बाजार में मिलने लगे हैं. सुगर केन से बने पत्तल 650 रुपये में 100 पीस, क्वार्टर प्लेट 190 रुपये में 100 प्लेट और छोटा कटोरा 160 रुपये में 100 पीस मिल रहे हैं. लकड़ी का कांटावाला और सामान्य चम्मच 90 रुपये में 100 पीस मिल रहा है.
बाजार में कागज से बने स्ट्रॉ पाइप 30 रुपये में 50 पीस मिल रहे हैं. ये सारी सामग्री बिहार के भभुआ, गुजरात और महाराष्ट्र से आ रही है. प्रकृति प्रदत्त सामग्री से निर्मित उत्पाद का उपयोग कर आप और हम धरती को बेहतर बनाने में मदद पहुंचा सकते हैं. प्लास्टिक और थर्मोकोल से निर्मित सामग्री जहां धरती और पर्यावरण के लिए नुकसानदेह होते हैं, वहीं प्राकृतिक उत्पाद प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचाते.
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एक माह में गल जाता है बायो पॉलिथीन :
बाजार में बायो पॉलिथीन भी मिल रहा है. दुकानदारों का कहना है कि मिट्टी में एक माह में यह पूरी तरह गल जाता है. यह कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है. यह 300 रुपये प्रति किलो मिल रहा है. इसके अलावा बाजार में पत्ता और कागज का बना प्लेट भी है. अपर बाजार स्थित अमन ट्रेडर्स के प्रोपराइटर श्याम चौधरी ने कहा कि बाजार में सुगर केन से बने पत्तल से लेकर लकड़ी के चम्मच उपलब्ध हैं.
सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध इसलिए जरूरी
सिंगल यूज प्लास्टिक पर्यावरण, वन्य जीवन और लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा है. यह प्रदूषण के स्तर को बढ़ाने के लिए जिम्मेवार है और उनसे निकलने वाले जहरीले रसायन भूजल को आसानी से प्रदूषित कर सकते हैं, जिससे घातक जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं.
Posted By: Sameer Oraon