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PM Modi in Jharkhand : प्रधानमंत्री ने हेमंत सोरेन को आर्ट गैलरी को नये तरीके से विकसित करने की दी सलाह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिरसा मुंडा संग्रहालय की तुलना अंडमान के तीन मंजिला सेल्यूलर जेल से की. उनके साथ चल रहे केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने पीएम को बिरसा मुंडा जेल का इतिहास से परिचय कराया.

जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर बिरसा कॉलेज परिसर में जनजातीय कार्य मंत्रालय के सौजन्य से स्टॉल लगाया गया था. जिसमें अलग-अलग उत्पादों के लगभग 50 स्टॉल थे. वहीं आठ स्टॉल में विभिन्न उत्पादों का लाइव डेमो प्रदर्शित किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी स्टॉल का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने मोती की खेती तथा कुचाई में होने वाली हल्दी की खेती करने वाले किसानों से बातचीत भी की. उन्होंने मोती की खेती की जानकारी ली. इस दौरान स्टॉल में किसानों ने उन्हें शिप से मोती निकालकर पूरी प्रक्रिया को बताया. हल्दी की खेती के स्टॉल में उन्होंने खेती की प्रक्रिया और अन्य जानकारियां ली. प्रदर्शनी में ट्रायफेड, नायलेट्स, जेएसएलपीएस, लाइफ डेमो, जरियागढ़ का कांसा वर्तन, मोती की खेती, कुचाई में होने वाली हल्दी की खेती, हस्तकरघा, हस्तशिल्प तथा बांस से निर्मित विभिन्न उत्पाद, लाह की चूड़ियां, पलाश मार्ट के उत्पाद, चांदी के जेवरात के स्टॉल लगाये गये थे. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्किल सेल, आयुष्मान भारत, एनसीडी से संबंधित स्टॉल लगाये गये थे. निरीक्षण के क्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने नगाड़ा भी बजाया. इस दौरान केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा भी साथ थे.

पीएम ने बिरसा मुंडा संग्रहालय की तुलना अंडमान के सेल्यूलर जेल से की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिरसा मुंडा संग्रहालय की तुलना अंडमान के तीन मंजिला सेल्यूलर जेल से की. उनके साथ चल रहे केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने पीएम को बिरसा मुंडा जेल का इतिहास से परिचय कराया. उन्होंने बताया कि लोहरदगा से कचहरी रांची स्थानांतरित होने के बाद 1899 में इसका निर्माण कराया गया था, तब इसकी कैपेसिटी 585 बंदियों की थी. जब बिरसा मुंडा को कैद कर यहां लाया गया था तब 61 बंदी उनके साथ कैद थे. इसमें 19 महिला बंदी भी थीं.

झारखंड के अमर शहीदों के आंदोलनों को जाना

प्रधानमंत्री ने जेल परिसर के अंदर पीछे के हिस्से में बने पार्क में शहीद सिदो-कान्हू,नीलांबर-पीतांबर, दिवा किशुन, पोटो हो, गया मुंडा, तेलंगा खड़िया, जतरा टाना भगत, वीर बुधु भगत जैसे 13 जनजातीय सेनानियों से परिचय किया. पीएम एक-एक कर उनके बेहद करीब जाकर उनके दर्शन किये. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन प्रत्येक प्रतिमा के सामने जाकर प्रधानमंत्री को संक्षेप में उनके बारे में कुछ जानकारी दे रहे थे, कि कैसे यह सभी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अद्भुत लड़ाई लड़ी थी. टीआरआइ के निदेशक रणेंद्र कुमार ने संथाल-हूल आंदोलनों के बारे में संक्षिप्त परिचय दिया कि कैसे उस दौर में अंग्रेज अपराजेय नहीं हैं.

प्रधानमंत्री ने हेमंत सोरेन को आर्ट गैलरी को नये तरीके से विकसित करने की दी सलाह

पीएम ने जेल परिसर में बने बिरसा मुंडा आर्ट गैलरी को भी देखा, जहां बिरसा मुंडा के जीवन से जुड़ी जानकारी दीवारों पर चित्र वृतांत के माध्यम से दर्शाए गये थे. इस दौरान वह बेहद शांत थे. फादर हॉफमैन की तश्वीर को देख वह रूक गये, तब अर्जुन मुंडा ने मुंडारी भाषा पर उनके योगदान और जनजातीय कानूनों और एक्ट को तैयार करने में उनकी भूमिका के बारे में बताया. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से थियेटर की भूमिका को लोकप्रिय बनाने के लिए इसे नाट्य रूपांतरण करने और शहीदों के व्यक्तित्व को किताबों से निकाल कर उन्हें लोकप्रिय बनाने की सलाह दी.

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