Ranchi News रांची : प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की 20 प्रतिशत सड़कों को नयी तकनीकी से बनाया जायेगा. यह देखा जायेगा कि किस क्षेत्र में कैसी तकनीक अपनायी जाये, उसके मुताबिक सड़कें बनेंगी. इस दिशा में झारखंड स्टेट रूरल रोड डेवलपमेंट अथॉरिटी की ओर से कार्रवाई शुरू की गयी है. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 15 प्रतिशत सड़कों को नयी तकनीकी से बनाने का निर्देश दिया है.
लेकिन, राज्य सरकार की ओर से 20 प्रतिशत सड़कों को लिया जा रहा है. इंजीनियरों का कहना है कि इसका आकलन कराया गया है कि नयी तकनीकी से सड़क निर्माण होने पर 10 से 20 प्रतिशत तक की लागत कम होगी. लागत कम होने के साथ ही पर्यावरण के हिसाब से भी नयी तकनीकी को अपनाना बेहतर होगा. मौजूदा तकनीक में पत्थर का इस्तेमाल ज्यादा होता है. पत्थर के लिए पहाड़ तोड़े जा रहे हैं, लेकिन नयी तकनीकी को अपनाने से पत्थर की जरूरत कम पड़ेगी. वहीं अलग-अलग जगहों के वेस्ट प्रोड्क्टस का इस्तेमाल भी सड़क निर्माण में कर लिया जायेगा.
पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम व सरायकेला-खरसावां के पूरे इलाके के साथ ही रांची के तमाड़ आदि क्षेत्र में भी एलडी स्लैग का इस्तेमाल सड़क निर्माण में किया जायेगा. टाटा कंपनी के वेस्ट प्रोडक्ट्स के रूप में एलडी स्लैग है. पत्थर की जगह पर एलडी स्लैग के इस्तेमाल से सड़क निर्माण बेहतर होगा. वहीं, लागत भी कम आयेगी. इस पर पूरी रिपोर्ट मंगायी जा रही है, ताकि पूरे इलाके में पीएमजीएसवाइ की सड़क बनाने में इसका इस्तेमाल हो सके. इसके आधार पर ही सड़क का डीपीआर तैयार कराया जायेगा.
इंजीनियरों ने बताया कि प्लास्टिक के इस्तेमाल से भी सड़क निर्माण के लिए काफी समय से प्रयास किया जा रहा है. इसके तहत यहां सड़क बनायी भी गयी है. ऐसे में अब इस पद्धति को तेजी से अपनाया जायेगा. सामान्य क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण में प्लास्टिक का इस्तेमाल होगा. प्लास्टिक के इस्तेमाल से पर्यावरण को लाभ मिलेगा. वहीं फॉरेस्ट एरिया में सड़क निर्माण से संबंधित मेटेरियल को गर्म करने की मनाही है, ताकि पेड़-पौधों पर इसका प्रतिकूल असर न पड़े. ऐसे में इस इलाके में भी पैनल्ड कंक्रीट के इस्तेमाल से सड़कों का निर्माण कराया जायेगा. साथ ही कोल्ड मिक्स तकनीक भी अपनायी जायेगी. इसके अलावा अन्य तकनीक पर भी विचार किया जा रहा है.
Posted By : Sameer Oraon