नशे के कारोबारियों को सजा दिलाने में भी फेल हो जाती है पुलिस
राज्य में पुलिस नशे के कारोबारियों को गिरफ्तार कर जेल भेजती है. साथ ही चार्जशीट भी कर देती है, लेकिन अदालत में ट्रायल के दौरान आरोपियों को सजा दिलाने में फेल हो जाती है. संबंधित केसों के ट्रायल के बाद आनेवाले फैसलों के आंकड़े इस तथ्य की पुष्टि करते हैं.
राज्य में पुलिस नशे के कारोबारियों को गिरफ्तार कर जेल भेजती है. साथ ही चार्जशीट भी कर देती है, लेकिन अदालत में ट्रायल के दौरान आरोपियों को सजा दिलाने में फेल हो जाती है. संबंधित केसों के ट्रायल के बाद आनेवाले फैसलों के आंकड़े इस तथ्य की पुष्टि करते हैं. वर्ष 2022 में मादक द्रव्य पदार्थ अधिनियम (एनडीपीएस एक्ट) के तहत दर्ज कुल 200, जबकि उत्पाद अधिनियम के तहत दर्ज 124 केसों का ट्रायल पूरा हुआ था. एनडीपीएस एक्ट से जुड़े केस में सजा की दर सिर्फ 47-50 प्रतिशत रही. वहीं, उत्पाद अधिनियम में सजा की दर 12.90 प्रतिशत रही. इन केसों में सबसे अधिक लोग ‘साक्ष्य के अभाव में’ बरी कर दिये गये. यानी उक्त केसों के अनुसंधान के दौरान पुलिस ने आरोपियों को सजा दिलाने लायक सुबूत इकट्ठा नहीं किये थे.