मैकलुस्कीगंज में सिंह इंफ्राटेल की साइट पर हमले को पुलिस ने नहीं माना नक्सली या उग्रवादी घटना
पुलिस ने केस दर्ज करने के दौरान नहीं लगायी 17 सीएलए एक्ट की धारा
रांची (वरीय संवाददाता). मांडर से मैकलुस्कीगंज तक फाइबर बिछाने का काम कर रही सिंह इंफ्राटेल की साइट पर 28 मई की रात हमला, आगजनी और हत्या के मामले को पुलिस ने नक्सली या उग्रवादी घटना नहीं माना है. घटना को लेकर मैकलुस्कीगंज थाना की पुलिस ने कंपनी के चालक शिवनारायण ठाकुर के बयान पर जो केस दर्ज किया है, उसमें पुलिस ने 17 सीएलए एक्ट की धारा भी नहीं लगाया है. जबकि पुलिस को जांच के दौरान एक संदिग्ध उग्रवादी पर्चा मिलने की जानकारी दी गयी थी. इस पर्चे में काम बंद करने और संगठन से मिलने के लिए कहा गया था. लेकिन घटना के बाद किसी उग्रवादी संगठन या नक्सली संगठन ने इसकी जिम्मेवारी नहीं ली. इसलिए पुलिस ने उग्रवादियों द्वारा घटना को अंजाम देने के आरोप में 17 सीएलए के तहत केस दर्ज नहीं किया. वहीं प्राथमिकी दर्ज कराने के दौरान शिवनारायण ठाकुर ने भी पुलिस को बताया था कि वह दुलमी जंगल में कंपनी का काम करने के बाद कंटेनर पर सात साथियों के साथ सो रहा था. इसी दौरान वहां चार लोग पहुंचे और फायरिंग की. इसके बाद सभी लोग डर से कंटेनर से उतर कर इधर-उधर भागने लगे. इसके बाद कंटेनर के केबिन का शीशा तोड़ने के बाद तेल छिड़क कर गाड़ी में आग लगा दी गयी. गाड़ी में आग लगने के बाद चारों जंगल की ओर भाग गये. 29 मई की सुबह एक साथी संजय भुइयां नहीं मिला. तब कंटेनर के अंदर देखने पर उसका शव अंदर पाया गया. अपने बयान में आगे उसने पुलिस को बताया था कि 13 मई को बाइक से दो लोग आये थे और मेरा मोबाइल लेकर पेटी कांट्रेक्टर रवि कुमार को रंगदारी के लिए फोन किया और बाद में फोन लेकर चला गया. इसके बाद दूसरे दिन पहले दो लाख रुपये रंगदारी की मांग की. पैसा नहीं होने की बात कहने पर 80 हजार, फिर 50 हजार, 35 हजार और अंत में 20 हजार रुपये की मांग की. इसके बाद मोबाइल देने के लिए जंगल बुलाया और मोबाइल वापस कर दिया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है