सुनील कुमार झा (रांची). राज्य में अब आठवीं कक्षा की तर्ज पर पांचवीं कक्षा में भी बच्चों के बिना पास किये अगली कक्षा में प्रमोट करने की पॉलिसी समाप्त करने की तैयारी है. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. विभागीय स्तर पर इस संबंध में प्रस्ताव तैयार किया गया है. पांचवीं कक्षा की परीक्षा लेने की जिम्मेदारी जेसीइआरटी को दी जा सकती है. परीक्षा में विद्यार्थी के असफल होने पर उसे दूसरा अवसर दिया जायेगा. इसके लिए पहले विशेष कक्षाएं संचालित की जायेंगी. इसके बाद दोबारा परीक्षा ली जायेगी. विद्यार्थी अगर इस परीक्षा में भी उत्तीर्ण नहीं होते हैं, तो उन्हें पांचवीं कक्षा में ही पढ़ना होगा. यह प्रावधान वर्ष 2026 से लागू किया जायेगा. बता दें कि केंद्र सरकार ने भी स्कूली बच्चों के शैक्षणिक स्तर को और बेहतर करने के लिए बच्चों को अनुत्तीर्ण नहीं करने की नीति समाप्त कर दी है.
आठवीं कक्षा में पहले से प्रावधान
राज्य में कक्षा आठवीं में बच्चों को फेल नहीं करने की नीति पहले ही समाप्त कर दी गयी थी. राज्य में आठवीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा का प्रावधान पहले से हैं. राज्य सरकार ने आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा लेने की जिम्मेदारी जैक को दी है. परीक्षा में असफल होनेवाले विद्यार्थियों को एक और अवसर दिया जाता है. असफल विद्यार्थियों के लिए विशेष कक्षा का संचालन किया जाता है. इसके बाद फिर विशेष परीक्षा ली जाती है. इस परीक्षा में भी अगर कोई विद्यार्थी सफल नहीं हो पाता है, तो उसे आठवीं कक्षा में फिर से पढ़ना पड़ता है.
राज्य में बदलाव की आवश्यकता क्यों?
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे रिपोर्ट-2021 के अनुसार, झारखंड की सभी कक्षाओं में बच्चों का औसत अंक राष्ट्रीयस्तर की तुलना में कम था. कक्षा बढ़ने के साथ बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते जा रहे थे. उच्च कक्षाओं की तुलना में पांचवीं कक्षा तक बच्चों की स्थिति अधिक खराब थी. तीसरी, पांचवीं, आठवीं व 10वीं के विद्यार्थियों की परीक्षा ली गयी थी. इसके अनुसार, तीसरी और पांचवीं कक्षा में झारखंड के बच्चे भाषा, गणित व विज्ञान तीनों विषयों में राष्ट्रीयस्तर की तुलना में पीछे थे. ऐसे में कक्षा पांचवीं में बोर्ड परीक्षा से प्रारंभिक कक्षा में बच्चों की पढ़ाई और बेहतर होगी.
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