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कोल इंडिया की सभी कंपनियों में लगेगा प्रदूषण मापने का यंत्र, अभी सिर्फ इन स्थानों पर लगी है मशीन

सीसीएल रजरप्पा में महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष प्रदूषण मापने का यंत्र लगा हुआ है. यहां से खदान क्षेत्र व वाशरी की दूरी तीन-चार किमी है. खदान से कोयला निकाल कर वाशरी में पहुंचाया जाता है

प्रदूषण बोर्ड ने कोल इंडिया की सभी कंपनियों समेत खनन करनेवाली सभी कंपनियों को प्रदूषण मापने का यंत्र लगाने का निर्देश दिया है, ताकि खनन एरिया में प्रदूषण का स्तर मापा जा सके. वास्तव में खनन क्षेत्र के साथ-साथ उसकी ढुलाई वाले रास्ते में प्रदूषण का स्तर अधिक होता है. लेकिन बोर्ड के आदेश के आलोक में सीसीएल समेत अन्य खनन कंपनियों ने प्रदूषण मापने वाले यंत्र या तो अपने कार्यालय या फिर आवासीय परिसरों में लगा रखा है. ऐसे में क्षेत्र से मिलनेवाली प्रदूषण की रिपोर्ट में हवा की गुणवत्ता अच्छी बतायी जाती है.

रजरप्पा और अरगड्डा में जीएम कार्यालय में लगी है मशीन : सीसीएल रजरप्पा में महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष प्रदूषण मापने का यंत्र लगा हुआ है. यहां से खदान क्षेत्र व वाशरी की दूरी तीन-चार किमी है. खदान से कोयला निकाल कर वाशरी में पहुंचाया जाता है, लेकिन जीएम कार्यालय के समक्ष जिस स्थान पर कंटीन्यूअस एंबीनट एयर मॉनिटरिंग स्टेशन है, वह पूरी तरह से साफ और स्वच्छ है. यहीं से प्रदूषण की रिपोर्टिंग भेजी जाती है.

अरगड्डा कोयला क्षेत्र व गिद्दी के जीएम ऑफिस में लगभग एक करोड़ की लागत से परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन स्थापित किया गया है. इसके अलावा सिरका परियोजना में प्रदूषण मापने का यंत्र लगा हुआ है. क्षेत्र के जीएम ऑफिस, गिद्दी में एसओएम कार्यालय में यंत्र साफ-सुथरी जगह पर लगा है. परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन से हवा में उत्पन्न प्रदूषण की जानकारी झारखंड प्रदूषण विभाग को सतत रूप से मिलती है.

सात परियोजना में मात्र दो स्थान पर यंत्र :

सीसीएल कुजू क्षेत्र के सात परियोजनाओं में महज दो जगहों पर प्रदूषण मापक यंत्र लगे हैं. पहला महाप्रबंधक कार्यालय व दूसरा सीसीएल कुजू रेलवे साइडिंग में. सीसीएल कुजू क्षेत्र में सात परियोजना आरा, सारूबेड़ा, तोपा, पिंडरा, कुजू, करमा, पुंडी हैं. इन परियोजना की कोलियरियों में उक्त यंत्र नहीं लगा है. अभी इन जगहों में प्रदूषण मापने की जिम्मेवारी सीएमपीडीआइ को दी गयी है.

सीएमपीडीआइ की टीम हर 15 दिन में एक बार आकर मशीन से प्रदूषण मापती है. फिर इसकी रिपोर्ट प्रदूषण बोर्ड को की जाती है. यहां से प्रत्येक दिन की रिपोर्ट भेजी जाती है. यहां भी साफ-सुथरे स्थान पर यंत्र लगाया गया है. सयाल प्रक्षेत्र में भी साफ-सुथरे क्षेत्र में जीएम कार्यालय के पास प्रदूषण मापक यंत्र लगाया गया है.

एनके में भी जीएम ऑफिस में लगा है प्रदूषण मापने का यंत्र :

एनके एरिया में प्रदूषण के स्तर पर नजर रखने के लिए महाप्रबंधक कार्यालय में दो साल पहले 50 लाख की लागत से कंटीन्यू एंबेंट एयर क्वालिटी माॅनिटरिंग स्टेशन (सीपीसीबी) स्थापित किया गया है. महाप्रबंधक कार्यालय के मुख्य द्वार पर लगे डिस्प्ले पर इसका सीधा प्रसारण किया जाता है.

यह रिपोर्ट इंटरनेट के माध्यम से दुनिया में कहीं भी बैठकर देखा जा सकता है. पीएम-10 और पीएम-2.5 को मापने के लिए केडीएच और डकरा रेलवे साइडिंग में भी दो केंद्र बनाये गये हैं. इन दोनों को सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में माना जाता है. यहां भी दो केंद्र बनाये गये हैं. 30 छोटे-छोटे केेंद्र अलग-अलग जगहों पर बनाये गये हैं. एनके एरिया के पर्यावरण अधिकारी निशांक प्रकाश ने बताया कि पीएम-10 का स्तर 100 माइक्रो मिली ग्राम को संतोषजनक माना जाता है. पिछले दो साल में औसतन एनके एरिया का पीएम 80 माइक्रो मिली ग्राम के आसपास रहा है.

मगध में पीओ ऑफिस में लगी है मशीन

मगध व आम्रपाली कोल परियोजना में प्रदूषण मापने के लिए सतत परिवेशी वायु गुणवत्ता प्रबोधन स्टेशन चार अलग-अलग जगहों पर लगा है. इसमें ऑटोमेटिक तरीके से प्रदूषण विभाग को रिपोर्ट जाती है. आम्रपाली कोल परियोजना में आम्रपाली पीओ कार्यालय व शिवपुर साइडिंग में मशीन लगी हुई है. पीओ कार्यालय में लगी मशीन माइंस क्षेत्र के एक किलोमीटर की दूरी पर है. शिवपुर साइडिंग में रेलवे लाइन के किनारे प्रदूषित क्षेत्र में मशीन लगी हुई है. मगध कोल परियोजना में कुंडी स्थित मगध पीओ कार्यालय व फुलबसिया रेलवे साइडिंग में मशीन लगी हुई है. मशीन खनन क्षेत्र से एक किमी दूर लगी है. साइडिंग में लगी मशीन प्रदूषित क्षेत्र में लगी है.

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