पूजा सिंघल कोर्ट में हुई उपस्थित, इस दिन फिर होना है हाजिर, मनरेगा घोटाले के आरोपी इंजीनियर ने किया सरेंडर
जमानत मिलने के बाद चार जनवरी को पूजा सिंघल आठ माह बाद जेल से बाहर निकली थी. उन पर खूंटी जिले में हुए मनरेगा घोटाला के जरिए करोड़ों रुपये की अवैध कमाई करने और मनी लाउंड्रिंग करने का आरोप है
निलंबित आइएएस पूजा सिंघल गुरुवार को पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत में बुधवार को उपस्थित हुई. उन्हें अगली बार आठ फरवरी को हाजिर होना है. जबकि छह फरवरी को उनकी जमानत अवधि समाप्त हो रही है इस कारण उन्हें छह फरवरी के पूर्व सरेंडर करना होगा. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पुत्री के इलाज के लिए सशर्त एक माह की जमानत दी थी.
इसमें कहा गया था कि इस दौरान वह झारखंड के बाहर रहेंगी. जमानत मिलने के बाद चार जनवरी को वह आठ माह बाद जेल से बाहर निकली थी. पूजा सिंघल पर खूंटी जिले में हुए मनरेगा घोटाला के जरिए करोड़ों रुपये की अवैध कमाई करने और मनी लाउंड्रिंग करने का आरोप है. इडी ने पांच मई 2022 पूजा सिंघल के ठिकाने पर छापेमारी की थी.
इस छापेमारी में उनके सहयोगी सीए सुमन कुमार के पास से कुल 19.31 करोड़ बरामद हुए थे. इडी ने सुमन को गिरफ्तार कर लिया था. उसके बाद इडी ने पूजा सिंघल से पूछताछ की और बाद में उन्हें 11 मई 2022 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. पूजा सिंघल के साथ इसी मामले के आरोपी सीए सुमन कुमार व इंजीनियर राम विनोद सिन्हा वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग (वीसी) के जरिए इडी के विशेष न्यायाधीश के कोर्ट में पेश हुए. उनकी अगली पेशी के लिए आठ फरवरी की तारीख निर्धारित की गयी है.
शशि प्रकाश को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया :
मनरेगा घोटाला के आरोपी इंजीनियर शशि प्रकाश ने इडी के विशेष न्यायाधीश प्रभात कुमार शर्मा की अदालत में गुरुवार को सरेंडर किया. सरेंडर के बाद अदालत ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में 16 फरवरी तक के लिए जेल भेज दिया. शशि प्रकाश पर खूंटी जिले में हुए मनरेगा घोटाला में शामिल होने और उस घोटाले के द्वारा अवैध कमाई करने का आरोप है.
गौरतलब है कि इंजीनियर शशि प्रकाश, राजेंद्र जैन, पूजा सिंघल के पति अभिषेक झा तथा एक अन्य के खिलाफ इडी ने जांच के बाद चार्जशीट दाखिल की है. चार्जशीट में शशि प्रकाश को मनी लाउंड्रिंग का आरोपी बनाया गया है. इडी ने चार्जशीट में कहा है कि शशि प्रकाश मनरेगा घोटाला के दौरान खूंटी जिला में डिस्ट्रिक्ट इंजीनियर के पद पर तैनात थे. उन्हें घोटाले की जानकारी थी और वह भी इस पूरे घोटाले में शामिल थे.