Jharkhand News: पूजा सिंघल ने ED से कहा था झूठ, उनका ही निकला बैंक ऑफ बड़ौदा का एकाउंट
ईडी ने मनी लाउंड्रिंग के मामले की जांच में यह पाया था कि बैंक ऑफ बड़ौदा में पूजा सिंघल के नाम का एक अकाउंट था. इस बैंक खाते से राधेश्याम एक्सप्लोसिव और संतोष क्रशर के खातों में कुल 12.61 लाख रुपये ट्रांसफर किये गये थे.
Jharkhand News: ईडी ने अपनी जांच में आइएएस पूजा सिंघल के उस दावे को गलत पाया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके नाम से जालसाजी कर बैंक ऑफ बड़ौदा में खाता खोल कर लेन-देन किया गया. उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से इसका आरोप सीए सुमन कुमार सिंह पर लगाया था. साथ ही दावा किया था कि उनके आइसीआइसीआइ बैंक खाते में जमा नकद 73.81 लाख रुपये बच्चों के जन्मदिन सहित अन्य अवसरों पर मिले उपहार की नकद राशि है. ईडी ने जांच के दौरान उनके दावों को गलत पाया. इडी ने पूजा सिंघल द्वारा कार्मिक प्रशासनिक सुधार विभाग को दिये गये ब्योरे की भी जांच की. जिसमें पाया गया कि उन्होंने बच्चों के जन्म सहित अन्य मौकों पर मिले नकद उपहार की जानकारी नहीं दी थी.
खाते से दो तिथियों में ट्रांसफर की गयी रकम
ईडी ने मनी लाउंड्रिंग के मामले की जांच में यह पाया था कि बैंक ऑफ बड़ौदा में पूजा सिंघल के नाम का एक अकाउंट (41110100002602) था. इस बैंक खाते से राधेश्याम एक्सप्लोसिव और संतोष क्रशर के खातों में कुल 12.61 लाख रुपये ट्रांसफर किये गये थे. संतोष क्रशर के नाम पर 28 मार्च 2016 को 6,39,500 रुपये और 21 सितंबर 2017 को 6,22,000 रुपये राधे श्याम एक्सप्लोसिव प्रालि के खाते में ट्रांसफर हुए थे. राधेश्याम एक्सप्लोसिव नामक कंपनी सीए सुमन के पिता राधेश्याम सिंह के नाम पर बनायी गयी थी. बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते में पूजा द्वारा बीमा पॉलिसी को भुनाने से मिली रकम जमा हुई थी.
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पूजा ने यह दावा किया कि यह बैंक खाता उनका नहीं है. किसी ने उनकी तस्वीर और हस्ताक्षर की जालसाजी कर इस खाते को खोला है. साथ ही इससे लेन-देन भी उनका नहीं है. ईडी ने जब उनसे यह जानना चाहा कि अगर यह बैंक खाता जालसाजी कर किसी ने खोला था, तो बीमा का भुगतान इस फर्जी खाते में क्यों लिया गया. जवाब में उन्होंने कहा कि फार्म भरनेवाले व्यक्ति पर विश्वास के कारण हस्ताक्षर कर दिया. जिससे सीए सुमन कुमार लाभान्वित हुआ है. वही बेहतर बता सकता है.
जमा रकम वेतन भत्ता से कई गुना ज्यादा थी
ईडी ने जांच में पाया कि पूजा सिंघल के आइसीआइसीआइ के बैंक खाते में वित्तीय वर्ष 2009-10 और 2010-11 में 61.50 लाख रुपये नकद जमा हुए थे. बैंक में जमा यह रकम उनके वेतन भत्ता से कई गुना ज्यादा थी. उन्होंने छह वित्तीय वर्षों के दौरान अपना आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया.