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Post Covid Impact : लोगों के ब्रेन पर पड़ा रहा असर, इन गंभीर बीमारियों के हो रहे शिकार, रांची में खुला क्लिनिक

कोरोना के बाद लोगों में ब्रेन फॉगिंग, पीटीएसडी व डर की समस्या आम हो गयी है, जिस वजह से तनाव बढ़ रहा है हो रहा है. इस वजह से सीआइपी रांची में प्रभावित लोगों के इलाज के लिए पोस्ट कोविड स्पेशल क्लिनिक खुला है जो कि हर सप्ताह सोमवार की सुबह साढ़े आठ बजे से अपराह्न साढ़े तीन बजे तक खुला रहेगा.

Coronavirus Update, Jharkhand News रांची : कोरोना संकट ने लोगों के दिलोदिमाग पर अपना बुरा प्रभाव डाला है. कोरोना वायरस से दुरुस्त होने के बाद भी कई लोग बीमार पड़ जा रहे हैं, लेकिन यह बीमारी शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक हो रही है. लोग ब्रेन फॉगिंग, पीटीएसडी और डर से पीड़ित हो रहे हैं. हल्का सा बुखार या फिर सर्दी-खांसी होने पर ही ऐसे लोग डर जा रहे हैं. खास कर, वैसे लोगों में इस तरह का भय ज्यादा देखने को मिल रहा है, जो कोरोना से पीड़ित होने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए, वेंटिलेटर तक पहुंचे और फिर स्वस्थ भी हो गये.

लोगों में हाई एंग्जाइटी लेवल और खुद को नुकसान पहुंचाने जैसी समस्या भी बढ़ चली है. केंद्रीय मन: चिकित्सा संस्थान (सीआइपी) के निदेशक डॉ वासुदेव दास कहते हैं कि संस्थान में इन दिनों कोविड महामारी से पूरी तरह उबरने के बाद भी कई लोग खुद को दिखाने या फिर सलाह लेने पहुंच रहे हैं. लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए संस्थान में पोस्ट कोविड स्पेशल क्लिनिक खोला गया है. यह फिलहाल सप्ताह में एक दिन सोमवार को सुबह साढ़े आठ बजे से अपराह्न साढ़े तीन बजे तक चलेगा.

क्लिनिक में अभी एक चिकित्सक डॉ आलोक प्रताप की प्रतिनियुक्ति की गयी है.
सामान्य बात पर भी रहो रही टेंशन :

एक तीसरा और महत्वपूर्ण लक्षण सामने आया है, जिसमें प्रभावित लोगों के व्यवहार में परिवर्तन आया है. उन्हें सामान्य बात पर भी टेंशन हो जा रही है. यह स्थिति भी लोगों को डिप्रेशन तक पहुंचा रही है. लोगों में एंग्जाइटी के लक्षण देखे जा रहे हैं. निदेशक कहते हैं कि ऐसा सिर्फ आम लोगों में ही नहीं है, बल्कि कोरोना काल में कार्य कर रहे हेल्थ वर्कर/फ्रंट लाइन वारियर्स भी परेशान हैं. खास कर अपने सामने इतनी संख्या में मौत या लोगों की तकलीफ को देख कर उनके बीच भी घबराहट देखी जा रही है.

पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी)-पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) एक मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्या है. जो किसी ऐसी भयानक घटना से उत्पन्न होती है, जिसे व्यक्ति ने खुद अनुभव किया होता है या देखा होता है. कोरोना महामारी की भयावह स्थिति सामने देखने के बाद लोगों में यह समस्या दिख रही है. इस डिसऑर्डर के लक्षणों में फ्लैशबैक, घटना से जुड़े सपने आना, हाई एंग्जाइटी लेवल और घटना के बारे में लगातार विचार आने लगना शामिल है.

जिससे साधारण रूप से जीवन जीना मुश्किल हो जा रहा है. व्यक्ति में चिड़चिड़ापन आ जा रहा है. एकाग्रता प्रभावित हो जा रही है. सामान्य चीजें करने और सोचने में परेशानी आने लगी है. व्यक्ति इससे कभी-कभी खुद को नुकसान पहुंचाने लग जा रहे हैं. डॉ दास ने कहा कि ऐसे लोगों को काउंसिलिंग कर ठीक किया जा सकता है.

ब्रेन फॉगिंग की समस्या :

22 से 30 प्रतिशत लोग कोरोना से ठीक होने के बाद नये लक्षण बता रहे हैं. अध्ययन के बाद देखा गया कि ऐसे लोगों में ब्रेन फॉगिंग की समस्या हो रही है यानी उनकी याददाश्त धुंधली हो रही है. मेमोरी लॉस हो रहा है. स्थिति डिप्रेशन तक पहुंच जा रही है.

बिना जरूरत का डर :

डॉ दास ने बताया कि एक दूसरा लक्षण डर पैदा होनेवाला सामने आया है. लोग डर रहे हैं कि क्या उन्हें कोरोना फिर से हो जायेगा. मौसम परिवर्तन से भी बुखार, सर्दी या खांसी होने पर लोग डर या परेशान हो जा रहे हैं. दवा खाने को लेकर बैचेन हो जा रहे हैं. खास कर वैसे लोग ज्यादा परेशान हैं, जो अस्पताल में भरती हुए, वेंटिलेटर तक पहुंचे या फिर इस कोरोना में रिश्तेदार को खोया है.

चार अहम लक्षण बन रहे परेशानी का सबब

निदेशक डॉ दास कहते हैं कि पोस्ट कोविड के बाद मुख्य रूप से चार लक्षण लोगों की परेशानी का सबब बन गये हैं . संस्थान में आये मरीजों से पहले दो ही सवाल किये जा रहे हैं कि वर्तमान में जो लक्षण दिख रहे हैं, क्या यह कोरोना से पहले भी थे या फिर कोरोना से ठीक होने के बाद आये हैं.

 Posted By : Sameer Oraon

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