झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय : पोस्ट यूनियन बजट विश्लेषण में क्या बोले प्रोफेसर एनआर भानुमूर्ति

प्रो भानुमूर्ति ने केंद्रीय बजट-2023 के विवरणों को समझाने पर जोर दिया और इसे लोकलुभावन बजट के बजाय एक व्यावहारिक बजट करार दिया. वर्तमान बजट 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अंतिम पूर्ण बजट है क्योंकि अगले साल सरकार राजस्व के लिए जाएगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 10, 2023 9:16 PM

रांची : झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र और विकास अध्ययन विभाग (डीईडीएस) ने पोस्ट यूनियन बजट विश्लेषण 2023 पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया. प्रोफेसर एनआर भानुमूर्ति ने व्याख्यान दिया. प्रो भानुमूर्ति अर्थशास्त्र के एक प्रसिद्ध प्रोफेसर हैं और उन्होंने NIPFP IEG, विश्व बैंक, UNDP, UNESCAP, UN-DESA (न्यूयॉर्क) और UN-ESCWA (बेरूत) जैसे विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में माइक्रोइकॉनॉमिस्ट और सलाहकार के रूप में काम किया है. उन्हें महालनोबिस मेमोरियल मेडल अवार्ड (2014) और वीकेआरवी राव अवार्ड मिल चुका है. प्रो भानुमूर्ति ने केंद्रीय बजट-2023 के विवरणों को समझाने पर जोर दिया और इसे लोकलुभावन बजट के बजाय एक व्यावहारिक बजट करार दिया. वर्तमान बजट 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अंतिम पूर्ण बजट है क्योंकि अगले साल सरकार राजस्व के लिए जाएगी. यह राजकोषीय समेकन, व्यापक आर्थिक स्थिरता और आर्थिक विकास को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया है. वर्तमान बजट में अतिरिक्त सब्सिडी जैसे अनुत्पादक व्यय को कम करके सरकारी व्यय के युक्तिकरण पर जोर दिया गया है और पूंजीगत व्यय को बढ़ाने पर जोर दिया गया है जिसका आर्थिक विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

बजट को व्यावहारिक और विकासोन्मुखी

प्रो भानुमूर्ति ने मौजूदा कठिन समय के दौरान उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान देने वाले कारकों का विश्लेषण प्रस्तुत किया. उन्होंने राजकोषीय खाते के साथ-साथ पूंजीगत खाते पर गुणवत्तापूर्ण व्यय की पहचान की, जो भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख जिम्मेदार कारक हैं. उन्होंने वित्त आयोग अनुदान और जीएसटी मुआवजे के संदर्भ में राज्य सरकार पर केंद्रीय बजट के प्रभाव पर भी जोर दिया है. उन्होंने बजटीय प्रावधानों के बावजूद कृषि क्षेत्र में चुनौतियों के साथ-साथ मुद्रास्फीति को दो अंकों में बढ़ने से रोकने की अनिवार्यताओं के बारे में विस्तार से विचार-विमर्श किया. उन्होंने उन कारकों के बारे में बताया जो 2023 के बजट के प्रावधानों के कारण जीडीपी वृद्धि की गति सुनिश्चित करेंगे. उन्होंने इस बात पर भी विचार-विमर्श किया कि भारत बजटीय हस्तक्षेपों के माध्यम से राजस्व व्यय से पूंजीगत व्यय की ओर क्यों जा रहा है. अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर डॉ संहिता सुचरिता और विकास अध्ययन विभाग ने व्याख्यान का समन्वय किया. ओएसडी प्रो जेएन नायक ने अपने व्याख्यान में बजट 2023 प्रावधानों का विवरण प्रदान किया. झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो केबी दास ने सत्र की अध्यक्षता की और स्पीकर को इसके ज्ञानवर्धक विश्लेषण के लिए बधाई दी उन्होंने बजट में पूंजी निवेश के स्रोतों के बारे में भी अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने भी बजट को व्यावहारिक और विकासोन्मुखी बताया. डॉ आलोक कु गुप्ता, प्रमुख, डीईडीएस ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया. अन्य डीन, संकाय सदस्यों और छात्रों ने व्याख्यान में भाग लिया और वक्ता के साथ बातचीत की.

Also Read: सांसद सुदर्शन भगत ने लोकसभा में उठाया झारखंड में अवैध बालू खनन का मामला, टास्क फोर्स से की जांच की मांग

ओरिएंटेशन प्रोग्राम पर रिपोर्ट

झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (एसएमएस) ने ब्राम्बे ऑडिटोरियम में एमबीए और एमकॉम विभाग के पहले सेमेस्टर के छात्रों के लिए ओरिएंटेशन प्रोग्राम का आयोजन किया. झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ केबी दास बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में शामिल हुए. इसके बाद द्वितीय वर्ष के छात्रों द्वारा मंत्रोच्चार के साथ दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरूआत की गई. व्यवसाय प्रशासन विभाग (डीबीए), एसएमएस के डीन, एसएमएस और एचओडी प्रो भगवान सिंह ने अनुशासनात्मक पहलुओं, परिसर के नियमों और विनियमन, परीक्षा मानदंडों और पैटर्न, और 100% उपस्थिति के महत्व पर प्रकाश डाला. वाणिज्य एवं वित्तीय अध्ययन विभाग (DFCS) के विभागाध्यक्ष डॉ बटेश्वर सिंह ने वर्ष 2019 में शुरू हुए पाठ्यक्रम के बारे में संक्षिप्त विवरण दिया और जिसमें अनुसंधान विभाग भी शामिल है.

Next Article

Exit mobile version