झारखंड के इन पांच जिलों में सबसे अधिक गरीबी, नीति आयोग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, इन चीजों को बनाया गया आधार
वहीं, आयोग ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे ज्यादा गरीबी झारखंड और बिहार में होने का उल्लेख किया है. इस मामले में झारखंड की स्थिति बिहार से तुलनात्मक रूप में थोड़ी बेहतर है.
NiTI Aayog Poverty Index Jharkhand रांची : झारखंड के पांच जिलों में सर्वाधिक गरीबी है. इनमें चतरा, दुमका, साहिबगंज, पश्चिम सिंहभूम और पाकुड़ शामिल हैं. राज्य में सबसे कम गरीबी पूर्वी सिंहभूम में है. इस मामले में रांची दूसरे नंबर पर है. राज्य के विभिन्न जिलों में गरीबी की स्थिति का आकलन करने के बाद नीति आयोग ने रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें इसका उल्लेख किया गया है.
वहीं, आयोग ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे ज्यादा गरीबी झारखंड और बिहार में होने का उल्लेख किया है. इस मामले में झारखंड की स्थिति बिहार से तुलनात्मक रूप में थोड़ी बेहतर है.
बहुआयामी गरीबी सूचकांक को बनाया आधार :
नीति आयोग ने राज्य में गरीबी की स्थिति का आकलन करने के लिए बहुआयामी गरीबी सूचकांक (मल्टी डायमेंशनल पोवर्टी इंडेक्स-एमपीआइ) को आधार बनाया है. इसके तहत किसी परिवार की आर्थिक स्थिति के साथ ही उसके स्वास्थ्य, शिक्षा और रहन-सहन के स्तर को आधार बनाया जाता है.
आयोग ने इस आधार पर झारखंड का आकलन करने के बाद यह नतीजा निकाला है कि यहां गरीबी की तीव्रता 43.95 प्रतिशत है. आयोग की रिपोर्ट में चतरा, साहिबगंज, पश्चिम सिंहभूम, दुमका और पाकुड़ में सबसे ज्यादा गरीबी होने का उल्लेख किया है. रिपोर्ट के अनुसार, पाकुड़ में सबसे ज्यादा 66.2 प्रतिशत गरीबी है.
पश्चिम सिंहभूम में 61.7,साहिबगंज में 60, दुमका में 58.7 और चतरा में 58.4 प्रतिशत गरीबी होने का उल्लेख किया है. सबसे कम गरीबी पूर्वी सिंहभूम में है. इस जिले में 25.8 प्रतिशत गरीबी है. राजधानी रांची इस मामले में दूसरे नंबर पर है, इस जिले में 29.3 प्रतिशत गरीबी है.
जिला गरीबी
पूर्वी सिंहभूम 25.8%
रांची 29.3%
रामगढ़ 32.1%
धनबाद 32.8%
बोकारो 33.5%
जिला गरीबी
कोडरमा 38.0%
हजारीबाग 39.3%
सरायकेला 44.1%
गुमला 48.5%
जिला गरीबी
पलामू 48.7%
देवघर 49.1%
लोहरदगा 51.9
खूंटी 55.0%
गिरिडीह 55.0%
सिमडेगा 55.3%
लातेहार 56.1%
जामताड़ा 56.6%
गढ़वा 57.8%
गोड्डा 58.1%
जिला गरीबी
चतरा 58.4%
दुमका 58.7%
साहिबगंज 60.0%
पश्चिम सिंहभूम 61.7%
पाकुड़ 66.2%
Posted by : Sameer Oraon