दीपावली पर रोशन हुआ प्लांट, 23 साल बाद NTPC नॉर्थ कर्णपुरा की पहली यूनिट से बिजली उत्पादन शुरू
23 साल बाद एनटीपीसी के नॉर्थ कर्णपुरा पावर प्लांट की पहली यूनिट से बिजली उत्पादन शुरू हो गया है. 21 अक्टूबर की शाम 7 बजे यूनिट को चालू कर करंट को ग्रिड तक सफलतापूर्वक ट्रांसफर किया गया. 660 मेगवाट क्षमता की पहली यूनिट से पहले दिन 121 मेगावाट बिजली उत्पादन हुआ.
Ranchi News: शिलान्यास के 23 साल बाद एनटीपीसी के नॉर्थ कर्णपुरा पावर प्लांट की पहली यूनिट से बिजली उत्पादन शुरू हो गया है. 21 अक्टूबर की शाम 7:00 बजे यूनिट को चालू कर करंट को ग्रिड तक सफलतापूर्वक ट्रांसफर किया गया. 660 मेगवाट क्षमता की पहली यूनिट से पहले दिन 121 मेगावाट बिजली उत्पादन हुआ. इतने वर्षों बाद इस पावर प्लांट से बिजली उत्पादित होते देखे एनटीपीसी के अधिकारियों व कर्मियों में खुशी की लहर दौर गयी.
मौके पर एनटीपीसी (पूर्वी क्षेत्र-2) के क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक एके गोस्वामी और मुख्य प्रबंधक तजिंदर गुप्ता के नेतृत्व में टीम नॉर्थ कर्णपुरा ने यह सफलता हासिल की है. देश में पहली बार इस यूनिट में एसीसी शीतलन प्रणाली का प्रयोग किया गया है, जिससे पारंपरिक पावर प्लांट के मुकाबले पानी की आवश्यकता 80 प्रतिशत कम हो जाती है. बताया गया कि इस पावर प्लांट से दो माह में (दिसंबर तक) बिजली का वाणिज्यिक वितरण शुरू कर दिया जायेगा.
पीएम मोदी के आने की संभावना
एनटीपीसी के सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पावर प्लांट के उदघाटन समारोह में शामिल हो सकते हैं. एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा पीएमओ से संपर्क किया जा रहा है. पीएमओ भी इस योजना की लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है.
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एक साथ हुआ था बाढ़ और नॉर्थ कर्णपुरा का शिलान्यास
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त बिहार में छह मार्च 1999 को एनटीपीसी के नॉर्थ कर्णपुरा पावर प्लांट का, जबकि पांच जून 1999 को एनटीपीसी के बाढ़ पावर प्लांट का शिलान्यास किया था. बाढ़ की एक यूनिट से वर्ष 2020 में ही उत्पादन शुरू हो गया और वाणिज्यिक वितरण भी होने लगा. बाढ़ में 660 मेगावाट की पांच यूनिट हैं. इनमें से तीन चालू हो गयी हैं, जबकि दो पर काम चल रहा है.
2008 में बंद हुई परियोजना, 2014 में दोबारा शुरू की गयी
शिलान्यास के वक्त नॉर्थ कर्णपुरा परियोजना 1980 मेगावाट क्षमता वाली देश का पहला सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट था. इसे चार साल में बनाना था, लेकिन निर्माण की रफ्तार धीमी हो गयी. वर्ष 2008 में यह कहते हुए परियोजना को बंद कर दिया गया कि जमीन के नीचे कोयले का भंडार है. अक्तूबर 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुबारा परियोजना पर काम शुरू कराया. उसके बाद से 660 मेगावाट की तीन इकाइयों पर कार्य चल रहा है.