प्रभात खबर आज 14 अगस्त, 2024 को स्थापना के 40 वर्ष पूरे कर रहा है. किसी भी अखबार के लिए यह बड़ा अवसर है कि हम इतिहास के झरोखे में झांकें. प्रभात खबर का सफर संघर्षों की दास्तां है. प्रभात खबर अपने पाठकों के सुख और दुख का साथी रहा है. इन 40 वर्ष में राज्य बनने से पहले 16 साल प्रभात खबर ने झारखंड राज्य निर्माण की दिशा में कार्य किया. बाद के 24 साल राज्य के पुनर्निर्माण में और राज्य हित में लगाये.
40 साल पहले प्रभात खबर के सामने चुनौतियां कुछ अलग तरह की थीं, आज की कुछ अलग हैं. पिछले चार दशकों के दौरान राजनीति और अर्थनीति में भारी परिवर्तन आया है. मौजूदा दौर में अखबार निकालना पहले से ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया है. कोविड के दौरान जब कहा गया कि अखबार खत्म हो जाएगा, तब प्रभात खबर ने पाठकों के दर्द व समस्याओं को समझा और उन्हें जोरशोर से उठाया. अगर एक वाक्य में कहूं तो सामाजिक सरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता और विश्वसनीय खबरें ही प्रभात खबर की पत्रकारिता की पहचान हैं.
यह सदी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की है. टेक्नोलॉजी के विस्तार का असर सभी अखबारों पर पड़ा है और आगे और पड़ेगा. आज डिजिटल मीडिया व सोशल मीडिया के बीच बने रहना प्रिंट मीडिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. बढ़तेे फेक न्यूज के नये दौर में प्रामाणिक खबरों की जरूरत बढ़ी है. यह सच है कि मौजूदा दौर में खबरों की साख का संकट है. लेकिन, आज भी अखबार खबरों के सबसे प्रामाणिक स्रोत हैं.
ज्ञान और नयी तकनीक जिस समाज के पास होंगे, वह समाज आगे बढ़ेगा. ‘नॉलेज एरा’ से हम दूर रहेंगे, तो हमारा विकास असंभव है. नये दौर में प्रभात खबर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपने पाठकों के लिए तेज गति से न्यूज कंटेंट पेश कर रहा है. आपसे अनुरोध है कि प्रभात खबर पढ़ने के साथ-साथ प्रभात खबर के डिजिटल प्लेटफॉर्म prabhatkhabar.com पर भी जायें और वहां से सटीक सूचनाएं प्राप्त करें.
एक बात मुझ जैसे पुरानी पीढ़ी के पत्रकार को अखरती है कि जो आदर मीडियाकर्मियों को मिलता था, पूरे देश में उसमें भारी कमी आयी है. मीडिया पर एकतरफा टीका टिप्पणी करने का चलन बढ़ा है. निर्भीक पत्रकारिता करना बेहद मुश्किल होता जा रहा है.
मीडियाकर्मी कठिन और प्रतिकूल परिस्थितियों में अपने काम को अंजाम देते हैं. कभी कभार यह चुनौतीपूर्ण माहौल उनकी जान तक ले लेता है. वह यह चुनौती इसलिए स्वीकार करते हैं ताकि आप तक निष्पक्ष और सटीक खबरें पहुंच सकें. झारखंड और बिहार के सुदूर इलाकों में रिपोर्टिंग करना तो और भारी दुष्कर काम है. नक्सलवादियों से लेकर दबंगों तक का निशाना बनने का हमेशा खतरा बना रहता है. इतने दबावों के बीच आप अंदाजा लगा सकते हैं कि खबरों में संतुलन बनाये रखना कितना कठिन कार्य होता है.
मित्रों, आज प्रभात खबर की यात्रा के 40 साल पूरे हो रहे हैं. पाठकों और विज्ञापनदाताओं के स्नेह के बगैर हम इतनी दूरी तय नहीं कर पाते. इस मौके पर हम आप सबका दिल से आभार व्यक्त करते हैं. हर सुबह पाठकों तक अखबार पहुंचाने वाले वितरक बंधुओं के प्रति भी हम सम्मान जाहिर करते हैं. यात्रा के इस पड़ाव तक प्रभात खबर के विभिन्न विभागों के सहयोगियों के बगैर पहुंच पाना मुमकिन नहीं था. उन सबके प्रति भी आभार और शुभकामनाएं.