गैर हिंदी भाषी पाठकों के बीच भी प्रभात खबर ने बनायी खास पहचान, बंग समाज ने कहा- यह हमारी संस्कृति का सारथी

बंगाली सुमदाय के बीच भी प्रभात खबर बेहद लोकप्रिय है. 40 साल पूरे होने पर बंग सुमदाय के लोगों ने प्रभात खबर को शुभकामनाएं दी है.

By Sameer Oraon | August 8, 2024 1:35 PM

रांची : गैर हिंदी भाषी पाठकों के बीच प्रभात खबर ने अपनी खास पहचान बनायी है. दैनिक खबरों के साथ सामुदायिक मुद्दों पर प्रभात खबर लगातार सजग रहा है. बंग समुदाय के पाठकों का भी प्रभात खबर से गहरा जुड़ाव है. बंग समुदाय से जुड़े लोग कहते हैं : बांग्ला कला-साहित्य, संस्कृति को बढ़ावा देने में अखबार की भूमिका काफी सराहनीय है. प्रभात खबर ने अपने आलेखों से बंग समुदाय को आकर्षित किया है. एक तरह से यह बंग संस्कृति का सारथी है. प्रभात खबर के 40 वर्ष का सफर पूरा होने पर बंग समाज ने खुशी जतायी है. साथ ही शुभेच्छा यानी शुभकामनाएं एवं धोनोबाद यानी आभार जताया है.

हमारे मुद्दों को प्रमुखता से उठाता है : सुप्रियो

बंगाली युवा मंच के संरक्षक और झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि प्रभात खबर बंगाली समाज के विभिन्न मुद्दों को हमेशा से जगह देता रहा है. वार्षिक अनुष्ठान में विशेषांक निकालकर समाज के बीच सकारात्मक संदेश देने की पहल की जाती है. लोग अखबार में खबरें पढ़कर ही सामाजिक कार्यों के लिए एकजुट होते हैं. दुर्गोत्सव और बांग्ला नववर्ष के आयोजनों की बेहतर रिपोर्टिंग दिखती है. राजनीतिक मुद्दों को भी संतुलित अंदाज में पेश किया जाता है.

कॉसमॉस क्लब को बड़ा बनाया : देबाशीष राॅय

कॉसमॉस क्लब के संस्थापक एवं संरक्षक देबाशिष रॉय कहते हैं : प्रभात खबर हिंदी पत्रकारिता का मजबूत स्तंभ है. लोग इस अखबार में प्रकाशित होनेवाली खबरों पर विश्वास करते हैं. खबरों की चर्चा न केवल प्रशासनिक स्तर पर बल्कि सामाजिक संगठनों में भी होती है. कॉसमॉस क्लब 1981 में अस्तित्व में आया. लेकिन क्लब को प्रभात खबर ने ही बड़ा बनाया. क्लब की गतिविधियों को अखबार में जगह मिली, तो लोग जुड़ते गये.

कोरोना काल में किया मिलकर काम : कौशिक

कॉसमॉस क्लब के अध्यक्ष कौशिक चक्रवर्ती ने कहा कि प्रभात खबर को बचपन से ही अपने घर में पाया है. उम्र के साथ अखबार की प्रगति को महसूस किया है. बंगाली समाज की हर खबर को प्रभात खबर में जगह दी जाती है. कई ऐसे मौके भी होते हैं, जिसकी जानकारी हमें नहीं होती, उन पर विस्तृत रिपोर्ट का प्रकाशन किया जाता है. इन्हें देख इसे पढ़ने की ललक बढ़ जाती है. कोरोना काल में क्लब और अखबार ने मिलकर कई कार्यक्रम किये.

प्रकाशित होते हैं रोचक तथ्य : विष्णु आयकट

नेशनल इंश्योरेंस के सेवानिवृत कार्यकारी पदाधिकारी विष्णु आयकट कहते हैं : बंगाली समाज के बीच प्रभात खबर खूब पढ़ा जाता है. स्थानीय और सामाजिक खबरों को विशेष जगह मिलती है. यह एकमात्र हिंदी अखबार है, जो बांग्ला विशेषांक निकालता है. नेताजी, रवींद्र नाथ टैगोर के अलावा अन्य व्यक्तित्वों पर खास पन्ने निकाले जाते हैं. नेताजी 1940 में हमारे घर आये थे, प्रभात खबर ने इस जानकारी को कई रोचक तथ्यों के साथ प्रकाशित किया है.

हिंदी में प्रभात खबर को अपनाया : शंभुनाथ

कांके रोड के व्यवसायी शंभुनाथ रॉय ने कहा कि एक समय रांची में बांग्ला अखबार आसानी से मिल जाते थे. बांग्ला अखबार में स्थानीय, सामाजिक मुद्दों, कला-संस्कृति, खेल और देश-विदेश की खबरें होती थीं. रांची में जब बांग्ला अखबार आना बंद हो गया, तब प्रभात खबर ही एकमात्र ऐसा अखबार था, जिसने अपने पाठकों की रुचि को समझा. प्रभात खबर में उन सभी खबरों का संकलन मिलता है, जो बांग्ला अखबार में होते थे.

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कला और साहित्य को दे रहा बढ़ावा : आलोक

हिनू दुर्गा पूजा कमेटी के सचिव आलोक मित्रा 20 वर्षों से प्रभात खबर पढ़ रहे हैं. वे कहते हैं : प्रभात खबर में कला-संस्कृति और साहित्य से जुड़ी खबरें नियमित प्रकाशित होती हैं. बंगाली समाज इन विषयों को लेकर गंभीर है. खास मौके पर सांस्कृतिक कर्मियों पर खबरों का प्रकाशन होने से स्थानीय लोगों को इनकी जानकारी मिलती है. सामाजिक जुड़ाव बढ़ता है. बंगाली समाज के लिए दुर्गोत्सव बड़ा आयोजन होता है.

बांग्ला विशेषांक पर रहती है खास नजर : बीरेंद्रनाथ

हरिमती मंदिर के सचिव बीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती ने कहा कि प्रभात खबर समाज के बीच सक्रिय भूमिका में है. ज्ञानरंजन जी ने जब प्रभात खबर की शुरुआत की थी, उस समय से अखबार का नियमित पाठक हूं. अखबार में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय से ज्यादा स्थानीय और एक्सक्लूसिव खबरें होती हैं. हिंदी अखबारों में प्रभात खबर एकमात्र ऐसा अखबार है, जिसने बांग्ला विशेषांक बांग्ला भाषा में प्रकाशित किया है.

क्लब की लाइब्रेरी में हैं विशेषांक : सेतांक सेन

यूनियन क्लब के सचिव सेतांक सेन ने कहा कि समय के साथ युवा पीढ़ी अपनी मातृभाषा से दूर होती जा रही है. इन सामाजिक विषयों पर प्रभात खबर गंभीर है. यही कारण है कि जितने भी बंग समुदाय से जुड़े बुद्धिजीवी हैं, उनके घर में प्रभात खबर दिख जाता है. बंग समाज के उत्थान को लेकर अखबार ने विशेषांक निकाला है, जिसकी प्रतियां आज भी क्लब की लाइब्रेरी में हैं.

कला-संस्कृति की खबरें करती हैं आकर्षित : कुंडू

कृष्टि ग्रुप मेकन के सचिव सोमनाथ कुंडू कहते हैं : बंगाली पाठक कला-संस्कृति और साहित्य से जुड़ी खबरों की चाह रखते हैं. इस मांग को प्रभात खबर वर्षों से पूरा करता आ रहा है. अखबार से पाठकों से न सिर्फ कला-साहित्य की रोचक जानकारी मिलती है, बल्कि इन विषयों पर प्रकाशित होनेवाले विशेषांक में रोचक तथ्यों से ज्ञान बढ़ता है. प्रभात खबर अपने पाठक वर्ग का ध्यान रखकर खबरें प्रकाशित करता है.

बचपन से ही प्रभात खबर को फलता फूलता देखा है : राजीव चटर्जी

बंगो शक्ति के अध्यक्ष राजीव चटर्जी कहते हैं : मैंने बचपन से ही प्रभात खबर को अपने सामने फलता-फूलता देखा है. इसलिए प्रभात खबर से एक अटूट रिश्ता रहा है. अखबार में हर सेक्टर की खबरों का बेहतर कवरेज मिलता है. प्रभात खबर का खेल पेज पहले भी बेहतर था और आज भी है. इसलिए खेल प्रेमियों के बीच इसे काफी पसंद किया जाता रहा है. यह अन्य अखबारों से अलग है. साथ ही हमारी संस्था समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयाेजन करती है, जिसे बेहतर जगह मिलती है.

बंग समुदाय की कला-संस्कृति को मिलता है बढ़ावा : सुतापा आयकट

बंगो शक्ति संस्था की सदस्य सुतापा आयकट ने कहा कि प्रभात खबर हमेशा बंग समुदाय के पर्व-त्योहार, कला, साहित्य और संस्कृति से जुड़ी खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित करता रहा है. विशेष तिथियों पर होनेवाले विभिन्न कार्यक्रमों को अखबार में जगह मिलती है. खास बात है कि प्रभात खबर के माध्यम से सभी महत्वपूर्ण दिनों और त्योहारों के बार में पता चलता है. नववर्ष हो या दुर्गाेत्सव ऐसे अनेक अवसरों पर प्रभात खबर में बंग संस्कृति, रीति-रिवाज को रेखांकित किया जाता है.
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पसंदीदा अखबार है प्रभात खबर : बरनाली चक्रवर्ती

बिजनेस वीमेन बरनाली चक्रवर्ती कहती हैं : देशप्रिय क्लब में महिलाओं के लिए आयोजित बसंत मेले से मैंने अपने काम की शुुरुआत की. मेरी पहचान बनाने में प्रभात खबर की अहम भूमिका रही है. आत्मनिर्भर बनने में अखबार का साथ मिला. साथ ही देशप्रिय क्लब से जुड़ी खबर और आयोजन को प्रमुखता से जगह मिलती है.

यहां प्रतिध्वनित होती है समुदाय की आवाज : कमल

कमल बोस देशप्रिय क्लब के अध्यक्ष हैं. वे कहते हैं : प्रभात खबर बंगभाषियों का पसंदीदा अखबार है. निष्पक्ष, विश्वसनीय और संपूर्ण पत्रकारिता इसकी पहचान है. प्रभात खबर बंग समुदाय का अभिन्न साथी है. समुदाय की आवाज यहां प्रतिध्वनित होती है.

देशप्रिय क्लब से जुड़ी खबरों को मिलता है कवरेज : प्रणव

देशप्रिय क्लब के सचिव प्रणव कुमार चौधरी कहते हैं : देशप्रिय क्लब की स्थापना के 50 वर्ष हो चुके हैं. मैं 30 वर्षों से प्रभात खबर पढ़ रहा हूं. देशप्रिय क्लब से जुड़ी खबराें को हमेशा बेहतर कवरेज मिलता रहा है. चाहे दुर्गाेत्सव हो या सांस्कृतिक कार्यक्रम, बढ़-चढ़ कर साथ दिया है. बंग समुदाय की सबसे पुरानी संस्था यूनियन क्लब एंड लाइब्रेरी और दुर्गा बाड़ी से जुड़े बंगभाषी शुरुआत से ही प्रभात खबर को पसंद करते रहे हैं.

35 वर्षों से प्रभात खबर का नियमित पाठक हूं : सुबीर

यूनियन क्लब के पूर्व उपाध्यक्ष सुबीर लाहिड़ी कहते हैं : मैं वर्ष 1989 में रांची आया. उस वक्त मैं प्रभात खबर का अंग्रेजी अखबार पढ़ता था. वहीं पिछले 35 वर्षों से प्रभात खबर का हिंदी संस्करण पढ़ रहा हूं. बंगाली समुदाय में भी इस अखबार ने अपनी खास जगह बनायी है.

प्रभात खबर से हिंदी पढ़ना और लिखना सीखा है : रीता

रीता डे यूनियन क्लब एवं लाइब्रेरी की एग्जीक्यूटिव कमेटी मेंबर हैं. वह कहती हैं : 34 वर्षों से प्रभात खबर से जुड़ाव रहा है. यह रिश्ता तब से है जब मैं रांची आयी. मैं बंगभाषी हूं, लेकिन हिंदी पढ़ना प्रभात खबर से ही सीखा है. अखबार में बंगाली समुदाय के हर पर्व और सांस्कृतिक कार्यक्रम की खबरें प्रमुखता से प्रकाशित होती हैं.

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