संजीव सिंह, रांची : झारखंड राज्य बनने के बाद वर्ष 2002 में झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) का गठन किया गया. इसके गठन का उद्देश्य राज्य में सिविल सेवा, चिकित्सक, विवि शिक्षक, जेट, बाजार पर्यवेक्षक, इंजीनियर सहित अन्य कई विभागों में नियुक्ति करना था. जेपीएससी ने पहली बार 64 पदों के लिए प्रथम और 172 पदों के लिए द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन किया. इस परीक्षा का जब रिजल्ट आया, तो पाया गया कि बड़े पैमाने पर पैरवी व पहुंच वालों सहित राजनीतिज्ञ व आयोग के रिश्तेदारों तक की नियुक्ति की गयी है. प्रभात खबर ने सबसे पहले इस मामले को उजागर किया. प्रभात खबर द्वारा समाचार प्रकाशित होने के बाद इस परीक्षा में हुई गड़बड़ी परत-दर-परत खुलती गयी, जिसे प्रभात खबर प्रमुखता से प्रकाशित करता रहा. स्थिति यह हुई कि झारखंड के युवाओं में आक्रोश उत्पन्न हुआ. विधानसभा में सरकार की किरकिरी हुई. पूरे राज्य में धरना-प्रदर्शन शुरू हो गया.
प्रभात खबर को मिला पाठकों का भरपूर समर्थन :
प्रभात खबर को पाठकों का भरपूर समर्थन मिला. परीक्षा में धांधली से खफा एक युवक ने तो प्रभात खबर तथा सरकार को पत्र लिखा कि अगर आयोग जैसी प्रतिष्ठित संवैधानिक संस्था में गड़बड़ी हो रही है और दूसरी तरफ प्रतिभा संपन्न अभ्यर्थी नौकरी से वंचित रह जा रहे हैं, तो ऐसे में यहां के युवा नक्सली क्यों नहीं बनें. इसके बाद प्रभात खबर आयोग द्वारा ली गयी अन्य परीक्षाओं में हुई गड़बड़ी को प्रमुखता से उजागर करने लगा. अंतत: मामला एसीबी सहित हाइकोर्ट पहुंचा. मामले की जांच शुरू हुई. गड़बड़ी का मामला सही पाया गया. पहुंच और पैरवी वाले अभ्यर्थी की आसंरशीट में परीक्षक के हस्ताक्षर तक नहीं थे. फॉरेंसिक जांच हुई. आंसर शीट में ओवर राइटिंग के मामले सामने आये.
फलस्वरूप आयोग के अध्यक्ष डॉ दिलीप प्रसाद सहित सदस्य गोपाल प्रसाद, शांति देवी व अधिकारी एलिस उषा रानी को जेल की हवा खानी पड़ी. हाईकोर्ट ने नियुक्ति परीक्षा को रद्द तक करने का आदेश दिया. हाालंकि सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया. इसके बावजूद प्रभात खबर ने जब सिविल सेवा सहित बाजार पर्यवेक्षक, इंजीनियर, झारखंड पात्रता परीक्षा परीक्षा आदि नियुक्ति में भी गड़बड़ी को उजागर किया, तो हाइकोर्ट ने आयोग द्वारा ली गयी 16 नियुक्ति परीक्षा की जांच सीबीआइ के हवाले कर दी. सीबीआइ अब भी लगातार जांच कर रही है. इस बीच 12 साल बाद प्रथम जेपीएससी सिविल सेवा नियुक्ति परीक्षा घोटाला में सीबीआइ ने 37 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया.
पांचवीं सिविल सेवा परीक्षा में भी हुई गड़बड़ी को उजागर किया
प्रभात खबर ने पांचवीं सिविल सेवा परीक्षा में भी हुई गड़बड़ी को उजागर किया. इसमें सफल होनेवाले एक सीरीज में 19 में से 16 का चयन कर लिया गया. सभी सफल उम्मीदवार एक ही कोचिंग सेंटर से मिले. गड़बड़ी सामने आने के बाद आयोग ने मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण 618 अभ्यर्थियों का रिजल्ट तकनीकी कारण बताते हुए रद्द कर दिया. इतना ही नहीं प्रभात खबर ने सातवीं, आठवीं व नौवीं सिविल सेवा में भी गड़बड़ी को उजागर किया. नतीजा आयोग को गड़बड़ी स्वीकार करते हुए पीटी रिजल्ट में संशोधन करना पड़ा. पूर्व में घोषित 49 सफल अभ्यर्थियों का बाद में रिजल्ट रद्द करना पड़ा. प्रभात खबर ने 2005 में 50 पदों के लिए आयोजित प्रथम उपसमाहर्ता सीमित परीक्षा में भी गड़बड़ी ्के सामने लाया था. आयोग को एक बार परीक्षा रद्द करनी पड़ी. फिर मामला कोर्ट व राजभवन पहुंचा. पुन: परीक्षा ली गयी. आखिरकार 17 साल बाद आयोग को जनवरी 2023 में फाइनल रिजल्ट जारी करना पड़ा.
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झारखंड पात्रता परीक्षा में गड़बड़ी को किया उजागर :
विवि में शिक्षक नियुक्ति के लिए आयोजित झारखंड पात्रता परीक्षा की बात करें, तो इसमें हुई गड़बड़ी के उजागर होने के बाद सीबीआइ ने दो शिक्षकों को जेल भेज दिया. वहीं 64 शिक्षकों के विरुद्ध आरोप पत्र तक दायर किया. इस सीबीआइ जांच प्रक्रिया के कारण शिक्षकों की प्रोन्नति तक रुक गयी है.