Prabhat Khabar 40 Years : मेरे जीवन के हर पड़ाव पर प्रभात खबर साथ रहा, सीएम हेमंत सोरेन ने कही ये बात

मैंने प्रभात खबर समाचार पत्र के साथ जीवन के हर पड़ाव को देखा है. बचपन से लेकर आज तक इस अखबार की खबरों को गंभीरता के साथ पढ़ा है और समझा है. प्रभात खबर समाचार पत्र मेरे लिए समाज सेवा और राजनीतिज्ञ के रूप मे एक शिक्षक की भांति रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 12, 2024 8:38 AM
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जोहार
विषय गौरव का है और अवसर है कई वर्षगांठों की पगडंडियों से निकल कर अपने 41वें वर्ष में प्रभात खबर के प्रवेश करने का. दैनिक समाचार पत्र का समाचार से समाधान का लंबा इतिहास रहा है, जिसे शब्दों में समेटना आसान नहीं है. इसके बावजूद पत्रकारिता के उच्चतम मानदंड स्थापित करनेवाले प्रभात खबर ने खबरों की प्रतिद्वंद्विता की दौड़ में शामिल होने के बजाय पत्रकारिता के उद्देश्य के प्रति ज्यादा वफादारी दिखायी है. वफादारी का मतलब जनहित से सीधे तौर पर जुड़ाव है. जिसका संबंध सरकार और जनसरोकार दोनों से है. इसके केंद्र में जनता है, जनता की आवाज है और उनकी समस्याओं पर आधारित आगाह करते आलेख और समाचार.

प्रथम पेज से लेकर अंतम पेज तक जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर बात

प्रभात खबर प्रथम पृष्ठ से लेकर अंतिम पन्ने तक समसामयिक विचारों की संपन्नता और जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर अलग राज्य के आंदोलन की पृष्ठभूमि के साथ-साथ बुनियादी सुविधाओं की मुखर आवाज के रूप में उभरा है. संपादकीय पन्ने में नवाचार का समावेश और रांची लाइफ पन्ने से झांकती राजधानी की संस्कृति पाठकों के बीच परंपराओं की जीवंतता के गवाह बने हुए हैं. जनहित की खबरों का प्रमुखता से प्रकाशन और अभिव्यक्ति की खुली आजादी देता समाचार पत्र समूह सदैव ही अन्य मीडिया हाउस के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है. आज उसके 40 वर्ष पूरे हो रहे हैं, तो पत्रकार और पत्रकारिता दोनों के मापदंडों की व्याख्या करना आवश्यक हो जाता है.

जनता को जागरूक करना पत्रकारिता का अहम कर्तव्य : हेमंत सोरेन

लोगों को जागरूक करना और एक न्यूनतम राहत देना पत्रकारिता का एक अहम कर्तव्य है. यह एक प्रकार से अपने पाठकों की चिंता करने और उसकी देखभाल करने की भूमिका है. यह काम प्रिंट मीडिया से लेकर टीवी, रेडियो और एफएम रेडियो व अन्य अपने-अपने ढंग से करते नजर आते हैं. प्रिंट ने इस मामले में कुछ ज्यादा जगह दी है और गहराई के साथ विश्लेषण करते हुए दी है. समाज में अचानक उपस्थित हुई परेशानी को बता कर भय फैलाने के बजाय, उसका विश्लेषण करना, राहत देना और रास्ता बताना यानी कि कुल मिला कर तकलीफ में हिस्सेदार होना और उन्हें दिशा दिखाना मीडिया का एक नया उद्देश्य बन कर उभरा है.

कोविड में जान देकर पत्रकारों ने निभाया कर्तव्य

पत्रकार और पत्रकारिता का फोकस आपदा के बीच समाज की जिम्मेदारी और प्रशासन की कार्रवाई आदि पर रहा है. कहा जाता है कि जब-जब समाज पर आपदा आती है, मीडिया उसे अपने ढंग से कुछ इस तरह बनाता है कि समाज समस्या के प्रति जागरूक हो सके. मसलन, कोविड-19 को लेकर मीडिया की भूमिका आज की पीढ़ी ने बहुत करीब से देखी है और समाज सेवा की भावना से कोविड काल में की गयी पत्रकारिता की कीमत पूरे देश के पत्रकारों ने अपनी जान देकर भी चुकायी है. संवेदनाओं के दौर में जब आमजन कुछ नहीं कर सकते हैं, ऐसे में पत्रकार निडर होकर बाजार में निकलते हैं और जीवन से जुड़ी खबरों का संकलन कर पाठकों और दर्शकों को परोसते हैं. इस प्रकार जिंदगी में पत्रकारिता का समर्पण, स्पष्ट और पारदर्शी है.

मीडिया उदार मिजाज से अपनी जगह बनाता है

मीडिया प्रायः एक उदार स्पेस बनाता है. इसका कारण यह है कि मीडिया अपने उदार मिजाज से और अपने न्यूनतमवादी हस्तक्षेप से बहुत मामूली प्रतिरोध बनकर समाज में जनतांत्रिक बोध की जगह बनाता है, बहुलता की जगह बनाता है. पत्रकारिता छद्म तत्वों को दिखाकर एक्सपोज करता है और आहत को दिखाकर उसके प्रति हमदर्दी पैदा कर आत्मालोचना का भाव पैदा करता है.

छपी खबर की प्रमाणिकता से करें जांच

समाज के जनतंत्र विरोधी हमलावर तत्व पत्रकारिता के इसी उदार स्वभाव की सीमा को बेहतर समझते हैं और इसका भरपूर उपयोग भी करते हैं. बेहतर होगा कि छपी खबर की प्रामाणिकता की निष्पक्ष जांच करें.
विज्ञापनों के बाजार में निष्पक्ष खबरों की कामना करना गलत नहीं है, लेकिन चुनौतियों भरा है. इन चुनौतियों का सामना करते हुए पत्रकार और पत्रकारिता दोनों जीवित रहे, इसका प्रयास हमें करना होगा. विज्ञापन अखबारों के लिए आवश्यक है. परंतु यह वित्त पोषण का मामला कतई नहीं बनना चाहिए और विज्ञापनों की आड़ में पीत पत्रकारिता को भी बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए. पत्रकारिता पर पाबंदियों की तलवार कभी नहीं लटकनी चाहिए और पत्रकार को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि खबरों में सत्यता, शालीनता और स्पष्टवादिता की झलक हमेशा दिखायी दे.

समस्याओं का समाधान करना पत्रकारिता की अहम भूमिका

समाचार संकलन, उनका प्रकाशन और जनहित के विचारों को एक मंच देकर उनकी समस्याओं के समाधान में पत्रकारिता की अहम भूमिका होती है. प्रभात खबर दैनिक समाचार पत्र इन सभी अहर्ताओं को पूरा करते हुए अपने 40 वर्ष पूरे कर रहा है और अपने प्रमाणिक प्रकाशन सामग्री की वजह से राज्य ही नहीं अपितु पूरे देश में अभिप्रमाणित समाचार पत्र है.
देश के मशहूर पत्रकार सह राजनेता श्री हरिवंश जी के संपादन काल से ही प्रभात खबर अपनी विशिष्ट पहचान के साथ हम सब के बीच रहा है. प्रभात खबर पत्रकारिता के कालखंड में प्रगतिशील पत्रकारिता के विचारों के साथ आगे बढ़ा है. इस सफर में निरंतरता है, जो आज भी जारी है.

चार दशक में प्रभात खबर का रहा है स्वर्णिम इतिहास

चार दशक के अपने प्रकाशन के स्वर्णिम इतिहास में समाचार पत्र ने संयमित भाषा, उत्कृष्ट विचार और समसामयिक विषयों पर जनहित से जुड़े विचारों का प्रकाशन किया है, ऐसे उत्कृष्ट कार्यों के लिए मैं प्रभात खबर परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं.

झारखंड के विकास में प्रभात खबर की महती भूमिका

प्रभात खबर समाचार पत्र एक ऐसा अखबार है, जो झारखंड के विकास में अपनी महती भूमिका निभाता रहा है. एक ओर जन समस्याओं को एक सशक्त मंच देकर आमलोगों की आवाज को आंदोलन के रूप में परिवर्तित कर सरकार की चेतना को हमेशा जागृत करता रहा है, वहीं दूसरी ओर सरकार की योजनाओं एवं नीतियों को जन-जन तक पहुंचाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता रहा है. हमें उम्मीद है कि भविष्य में भी प्रभात खबर इसी प्रकार समसामयिक मुद्दों और सरकार के प्रयासों को लेकर जनता और सरकार के बीच समाचारों के माध्यम से अपनी भूमिका निभाता रहेगा.
जोहार…

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