Prabhat Khabar 40 Years : प्रभावशाली रहा है प्रभात खबर का मतदाता जागरूकता अभियान, झारखंड बनने से पहले हुई थी शुरुआत
प्रभात खबर मतदाता जागरूकता अभियान बेहद प्रभावशाली रहा था. झारखंड बनने के पहले से ही इसकी शुरुआत हो चुकी थी. 2014 के विधानसभा चुनाव में प्रभात खबर ने बड़ी भूमिका अदा की थी.
रांची : प्रभात खबर झारखंड बनने के पहले से ही चुनाव में मतदाताओं काे जागरूक करने का गंभीर अभियान चलाता रहा है. 1999 में जमशेदपुर संस्करण ने इसकी शुरूआत की थी. अभियान का नाम था- मतदाता जागरूकता अभियान. यह तब कोल्हान तक ही सीमित था. उसके बाद हर चुनाव में अखबारों के जरिये और रथ निकाल कर, दौड़ का आयोजन कर, कालेजों और संस्थाओं में कार्यक्रम कर प्रभात खबर मतदाताओं को जागरूक करता रहा है. सबसे बड़ा अभियान 2014 में प्रभात खबर ने चलाया, जिसने राज्य में स्थायी सरकार बनाने में मदद की थी. इस अभियान का नाम था-आओ हालात बदलें. झारखंड के सभी 81 विधानसभा क्षेत्र में प्रभात खबर का रथ पहुंचा था. 1999 में जब जमशेदपुर से मैंने पहली बार मतदाता जागरूकता अभियान आरंभ किया था, तो साधन का अभाव था.
अखबार ढोनेवाले जीप में दोनों ओर टीन पर लिखा बोर्ड बांध कर अभियान आरंभ किया गया था. अखबार जिस प्लेट पर छपता था, उसी प्लेट को पलट कर उस पर संदेश लिखा गया था. इस अभियान का उद्देश्य था- पूरे कोल्हान में प्रभात खबर द्वारा छोटी-छोटी सभा कर सही प्रत्याशी का चयन करने के लिए बताना. किसी दल या प्रत्याशी का न तो पक्ष लेना, न विरोध करना. मैंने अपनी टीम के साथ जमशेदपुर के हाता, राजनगर, चाईबासा, झींकपानी, जगन्नाथपुर, नोवामुंडी, गुवा तक जा कर सभा की थी. सारंडा में जाना आसान काम नहीं था. घाटशिला, गुड़ाबांधा, बहरागोड़ा आदि इलाकों में गया था. ये सारे इलाके नक्सलियों के प्रभाव वाले थे. लोग सभा में आने से डरते थे.
स्थायी सरकार के लिए प्रभात खबर ने चलाया था अभियान
2009 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन प्रधान संपादक हरिवंश जी खुद पटमदा और टुंडी जैसे इलाकों में गये थे. वहां कालेज में छात्रों से बात की थी. 2014 के विधानसभा चुनाव में प्रभात खबर ने बड़ी भूमिका अदा की थी. राज्य बनने के 14 साल बीतने के बाद भी बहुमत की सरकार नहीं बनी थी. निर्दलीयों की शर्त पर सरकार चलती थी. स्थायी सरकार (किसी भी दल या गठबंधन की) के लिए प्रभात खबर ने अभियान चलाया. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त कुरैशी ने अभियान का उदघाटन किया था.
ट्रक को सजा कर प्रभात खबर का जागरूकता रथ निकाला गया
बड़े-बड़े स्कूलों, कालेजों, संस्थाओं, चैंबर आफ कामर्स, बार काउंसिल आदि जगहों पर सैकड़ों सभाएं की गयीं. बैठकें की गयीं और बताया गया कि कैसे राजनीतिज्ञों ने झारखंड को बर्बाद कर दिया है. आंकड़ों के साथ सारी बातों को बताया गया था. पंपलेट बांटे गये थे. अखबार में विज्ञापन प्रकाशित कर लोगों को झारखंड का सच बताया गया था.
ट्रक को सजा कर प्रभात खबर का जागरूकता रथ बनाया गया था, जो झारखंड के सभी विधानसभा क्षेत्रों में गया. मैंं खुद अधिकांश जिलों में गया. झारखंड के सभी संस्करणों के संपादक और उनकी पूरी टीम इसमें लगी थी. अन्य विभागों के साथी भी इस अभियान में जुटे थे. यह रथ उन इलाकों में भी गया था जहां नक्सलियों ने चुनाव का बहिष्कार किया था. अभियान में इस बात का ध्यान रखा गया था कि किसी भी दल के पक्ष या विपक्ष मेें प्रचार न हो. इसका मकसद था-झारखंड को राजनीतिक अस्थिरता के दौर से बाहर निकाल कर स्थायी सरकार बनाना और प्रभात खबर अपने दायित्व को निभाने में पूरे तौर पर सफल रहा.
पूरे झारखंड में चर्चित हुआ था
अभियान में हर जिला में नागरिकों को जोड़ने के लिए 24 जिलों में 15 नवंबर, 2014 को दौड़ का आयोजन हुआ था. 47 दिनों तक यह अभियान चलाया गया था. 536 कार्यक्रम किये गये थे. रथ ने 7449 किलोमीटर की झारखंड में यात्रा की थी. पूरे झारखंड में प्रभात खबर का यह अभियान चर्चित हुआ था. इसका असर तो और भी दिखा. प्रभात खबर के आंकड़ों-अभियान से पूरे राज्य में इतना संदेश जरूर चला गया कि राज्य का भला तभी होगा जब झारखंड में किसी एक दल या गंठबंधन की बहुमत की सरकार होगी. प्रभात खबर ने किसी दल या गंठबंधन का समर्थन नहीं किया लेकिन राज्य में पहली बार बहुमत की सरकार बनी और सरकार पांच साल तक चली. यह था प्रभात खबर के अभियान का असर.