डॉ कमल कुमार बोस
प्रभात खबर यानी झारखंड की रत्नगर्भा भूमि के ऊपर बसे गरीबों की बस्तियों के समुन्नत बनाने के लिए खबर वाला, जीवन के लिए आवश्यक सूचना देने वाला समाचार पत्र, जो एक आंदोलन बन गया है. यह वह समाचार पत्र है, जिसमें किसी विचार या किसी भी तरह के अलग-अलग सदनों की प्रवृत्ति शामिल नहीं है. यह एकांगी भी नहीं है, बल्कि यह हर समाज और हर समुदाय के विचारों का संप्रेषण कर समाज में विचार-विनिमय का एक स्वस्थ लोकतांत्रिक मंच बन गया है. प्रभात खबर में झारखंड में होते लोकतंत्र पर ही नहीं, बल्कि देश और दुनिया में हो रहे हर परिवर्तन की कहानी या स्टोरी खबर प्रकाशित होती है, जिसमें जनहित व्याप्त होता है. इस समाचार पत्र के प्रबंधन में झारखंड में ही नहीं, बल्कि अन्य प्रदेशों में स्वतंत्र संस्करण प्रकाशित कर, देश के बड़े भूभाग में जन आंदोलन बन गया है.
आजादी के पहले भारतीय पत्रकारिता का भी एक आंदोलन हुआ था और आज जब पत्रकारिता आम तौर से इकरंगी हो रही है, प्रचारवादी हो रही है, प्रभात खबर ने समाज में हर विचारधारा को समाचार के स्तर पर स्थान दिया है. वर्तमान में प्रभात खबर का सामाजिक समरसता बनाये रखने का प्रयास उसके समाचारों में उनके पन्नों पर दिखता है, उसके संपादकीय में दिखता है. पत्रकारिता मनुष्य के लिए हर सुबह का सर्वोत्तम मानसिक आहार अपने चौके में बनाती है, और यह आहार प्रभात खबर में हर सुबह हकीकत में दिखता है. कागज के प्लेट में सजावट के साथ परोसा हुआ. यही इस अखबार की विशिष्टता है.
प्रभात खबर में आनेवाला हर समाचार यह बताता है कि मनुष्य के जीवन के चतुर्दिक क्या हो रहा है, क्या सही हो रहा है, क्या गलत हो रहा है, क्या होना चाहिए और क्या नहीं हो रहा है ? किसी भी अखबार का संपादकीय यह बताता है कि उसकी समाचार नीति क्या है ? समाज निर्माण में उनका क्या योगदान है ? आम आदमी या पूरा समाज किन घटनाअों और प्रसंगों की चर्चा करे. प्रभात खबर का संपादकीय आम जनता से ज्वलंत विषयों से अवगत करा कर, उसे पहले से अधिक प्रबुद्ध बनाता है. पहले से अधिक चैतन्य बनाता है. उसकी अंतश्चेतना को अच्छी जानकारियां दे कर जगाता है. ताकि वह सही गलत की पहचान कर सके. सत्य-असत्य की पहचान कर सके. समय को समझ सके. आधुनिकता का वास्तविक अर्थ जान सके.आम आदमी के जीवन पर प्रभाव वाला राजनीतिक जगत की नीति की विश्लेषित तस्वीर पेश कर आम लोगों को नीति का अच्छा आलोचक बनाता है. जो लोकतंत्र की भावना को पुष्ट करता है. संपादकीय विचारणीय मुद्दे भी समाज को देता है. जिस पर लोगों को दैनिक जीवन में चर्चा करनी चाहिए.
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इन दिनों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) पर घनघोर राजनीति हो रही है. बहुत विवाद हो रहा है. लेकिन आम आदमी को इस विषय की मुकम्मल जानकारी नहीं है. सात जुलाई, 2023 के संपादकीय में एआइ के बारे में जरूरी जानकारी दी गयी है. ताकि उसके बारे में समाज में उत्पन्न भ्रम को दूर किया जा सके. इसके कारण करोड़ों लोग बेरोजगार हो जायेंगे. साथ ही कहा गया है कि केंद्र सरकार ने एएआइ 2.0 के नाम से कार्यक्रम शुरू किया है. प्रशिक्षण भारत की नौ भाषाओं में दिया जा रहा है. अंग्रेजी ही तकनीक की भाषा हो सकती है. इस विचार का खंड करता यह कार्यक्रम बहुत लाभकारी है.
प्रभात खबर के तीन अगस्त 2023 के संपादकीय में वैकल्पिक सौर ऊर्जा और भारत की स्थिति पर लिखा गया है कि इसके उत्पादन विकास की क्यों जरूरत है. यह ऊर्जा वस्तुत: पर्यावरण के लिए नुकसानदायक भी नहीं है. इसे आम आदमी भी अपनी जरूरतों के लिए प्रयोग में ला सकता है और बड़ी मात्रा में सौर ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य भी सरकार ने निर्धारित किया है. जब-जब साहित्यिक पत्रिकाएं बंद हो रही हैं और बहुत-से अखबार से साहित्य का पन्ना गायब हो रहा है. तब प्रभात खबर साहित्य की सामग्री परोसता है.
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नयी फिल्म के प्रकाशन की जानकारी देता है. वस्तुत: समाचार भी साहित्य है, लेकिन कलात्मक साहित्य यानि कथा साहित्य, आलोचना साहित्य, यात्रा-वृत्तांत आदि लोगों के लिए नूतन चेतना का स्रोत होते हैं. साहित्य कुल मिलाकर मनुष्य के जीवन और समय की समीक्षा है. समय की समझ समाचार बनाता है और समय के अनुसार साहित्य जीवन की समीक्षा करता है. दोनों जगत की सामग्री जिस अखबार में सही दृष्टि और दृष्टिकोण में होता है, तो वह सामग्री आम आदमी के लिए अंधकार में रोशनी की तरह काम करती है.
(लेखक जाने-माने शिक्षाविद हैं.)