Prabhat Khabar Aparajita Samman: समाज कन्या संतान नहीं चाहता. इसलिए भ्रूण हत्या हो रही है. प्रकृति में जो भी है, उसमें आधा नारी है. समाज में नारी की हिस्सेदारी समय के साथ बढ़ी है. उन्हें सम्मान देने की जरूरत है. ये बातें प्रभात खबर अपराजिता सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष डॉ रवींद्रनाथ महतो ने कहीं. कांके के सीएमपीडीआइ स्थित मयूरी सभागार में आयोजित अपराजिता सम्मान समारोह में समाज में अपने दम पर विशेष पहचान बनाने वाली महिलाओं को सम्मानित किया गया.
मौके पर डॉ महतो ने कहा कि समाज को एकजुट होकर कुरीतियों को खत्म करने की दिशा में काम करने की जरूरत है. जिस तरह ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने समाज में बाल-विवाह को खत्म करने और विधवा विवाह की परंपरा की शुरुआत की, राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा को खत्म करने की पहल की, उसी तरह आज समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए समाज को आगे आना होगा. इससे महिलाएं सशक्त होंगी. पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं की हिस्सेदारी को मजबूत करने के लिए बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना होगा. पुरुषों को भी यह सोचना होगा कि दोपहिया रूपी जीवन में एक हिस्सा नारी का है. शक्ति रूपी नारी को समान अधिकार और प्रोत्साहन दें.
डॉ रवींद्रनाथ ने कहा कि सरकार ने इस वर्ष बालिकाओं को सशक्त करने के लिए सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना की शुरुआत की है. इसके तहत राज्य सरकार ने आठवीं और नौवीं कक्षा में पढ़नेवाली छात्राओं को 2500-2500 रुपये प्रति छात्रा, 10वीं, 11वीं और 12वीं की छात्राओं को पांच-पांच हजार रुपये देने और 18 से 19 साल की उम्र में पहुंचने पर उन्हें एकमुश्त 20 हजार रुपये देने की घोषणा की है. ऐसे में अभिभावक अपनी बेटी को परिवार का बोझ नहीं समझें और उदार मन से उन्हें आगे बढ़ने में सहयोग करें. सरकार बेटी का हर बोझ उठायेगी.
समारोह की विशिष्ट अतिथि राज्यसभा सांसद डॉ महुआ माजी ने कहा कि महिलाओं को सम्मान मिलने पर वह उत्साहित और प्रेरित होती हैं. इससे नि:स्वार्थ भाव और बेहतर तरीके से काम करने की इच्छा जगती है. हर समाज में महिला की भूमिका सर्वोपरि है. हर महिला के बेहतर कार्य को सराहते हुए उन्हें समाज में रोल मॉडल के रूप में स्थापित करना होगा. इससे बाकी महिलाएं भी प्रेरित होंगी. डॉ महुआ माजी ने स्वामी विवेकानंद के शिकागो अधिवेशन के दौरान महिला सशक्तिकरण के उनके विचार को साझा किया. बताया कि अधिवेशन से लौटकर स्वामी जी ने समाज की महिलाओं के उत्थान की दिशा में समाज को जागरूक किया था. ऐसे में हर पुरुष को महिला को सम्मान देने का भाव रखना होगा. उनके साथ हो रही प्रताड़ना में उनका ढाल बनना होगा. इससे समाज की दशा बदलेगी और महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा मिल सकेगी.
प्रभात खबर के वाइस प्रेसिडेंट विजय बहादुर ने समाज में महिलाओं को बराबर का स्थान देने की बात कही. कहा कि समाज में महिलाएं सकारात्मक माहौल तैयार करती हैं. जिस समाज में महिलाओं को सर्वोच्च स्थान दिया जाता है, वहां संस्कार की कमी नहीं होती. वहीं, धन्यवाद ज्ञापन प्रभात खबर के कार्यकारी संपादक अनुज सिन्हा ने किया. इस अवसर पर कार्यकारी निदेशक आरके दत्ता, डॉ मंजीत सिंह संधु समेत अन्य मौजूद थे.
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ममता देवी की जगह रूपम ने सम्मान लिया
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डॉ शिप्ती की जगह उनके पार्टनर कृषनेंदु दास ने पुरस्कार लिया
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लवली चौबे की जगह उनके पति ने पुरस्कार लिया
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रूपा रानी तिर्की जगह उनकी बहन ने पुरस्कार लिया
1. पूर्णिमा लिंडा (वुशु खिलाड़ी): कांके की पूर्णिमा लिंडा वुशु की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं. अब तक 23 नेशनल और दो इंटरनेशनल वुशु चैंपियनशिप खेल चुकी हैं और कई मेडल जीते हैं. 2004 से खेलना शुरू किया.
2. रश्मि साहा (मोटिवेशनल स्पीकर) : करमटोली की रश्मि साहा मोटिवेशनल स्पीकर व लाइफ कोच हैं. वह देश-दुनिया में जीवन कौशल, मासिक धर्म स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य पर काम कर रही हैं. मुक्ति मिशन की संस्थापिका भी हैं.
3. वंदना कुमारी (समाज सेविका) : वंदना कुमारी माही केयर के नाम से पांच साल से रांची के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं व बच्चियों को जागरूक करने के लिए मासिक धर्म स्वच्छता सह जागरूकता अभियान चला रही हैं. उनके बीच सेनेटरी पैड बांटा करती हैं.
4 डॉ शिप्ती श्रद्धा सिंह : रांची की डॉ शिप्ती ने बेंगलुरु से एमबीबीएस और आरजीकर मेडिकल कॉलेज, कोलकाता से एनेस्थीसिया की डिग्री ली. आइसीयू की ट्रेनिंग लेकर दिल्ली एनसीआर के निजी अस्पताल के आइसीयू में कार्यरत हैं. साथ ही इस साल 26 जनवरी को अफ्रीका के सबसे ऊंचे पहाड़ माउंट किलिमंजारो की चढ़ाई पूरी की हैं. इसके पूर्व यूरोप के सबसे ऊंचे शिखर माउंट एलब्रुस की चढ़ाई के साथ भारत और नेपाल के कई हिमालय पहाड़ों पर ट्रेकिंग की हैं.
5. सदफ कायनात : डोरंडा की सदफ कायनात रांची विवि के एमए उर्दू विषय की गोल्ड मेडलिस्ट और कॉलेज टॉपर रही हैं. इनकी बीकॉम के प्रथम वर्ष की परीक्षा के दौरान आंखों की रोशनी चली गयी. सदफ ने बिना निराश हुए एमए उर्दू की पढ़ाई शुरू की. विवि में टॉपर बनी.
6. अनीता दास : अनीता दास पिछले 13 वर्षों से झारखंड के स्ट्रीट वेंडर्स के लिए काम कर रही हैं. इन्होंने रांची के स्ट्रीट वेंडर्स को संगठित किया और रांची फुटपाथ दुकानदार हॉकर संघ का गठन किया. वह संगठन की महासचिव हैं. अब रांची में स्ट्रीट महिला वेंडर्स के लिए संघर्षरत हैं.
7. ममता देवी (सदस्य राष्ट्रीय महिला आयोग) : झारखंड से पहली महिला हैं, जो राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य घोषित हुई हैं. लंबे समय से शिक्षा व महिलाओं के उत्थान के लिए काम कर रही हैं. हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाने में अहम योगदान रहा है. राष्ट्रीय शक्ति मंच बनाया. सीधी सेवा नामक संगठन बनाकर गांव में बुजुर्गों की सेवा कार्य से जुड़ीं. (इनकी जगह फोटो जर्नलिस्ट रूपम ने अवार्ड ग्रहण किया है.)
8. राखी मिश्रा (दिव्यांग) : राखी बचपन से ही पोलियो से पीड़ित हैं. जब एक वर्ष की हुईं, तो चलती थीं. लेकिन गलत दवा के प्रभाव के कारण उनके पैर और शरीर ने काम करना बंद कर दिया. डेढ़ साल की उम्र से ही दिव्यांग हैं. घर पर ही गरीब असहाय महिलाओं को हैंडीक्राफ्ट का प्रशिक्षण देकर उन्हें पैरों पर खड़ा कर रही हैं.
9. वीणा कुमारी शर्मा (दिव्यांग) : खुद दिव्यांग होते हुए भी दिव्यांग सहायता केंद्र से जुड़ कर दिव्यांग जनों की सेवा कर रही हैं. बचपन से ही पोलियो से ग्रसित हैं. लेकिन डिजाइनिंग के हुनर की बदौलत अपने पैरों पर खड़ी हैं. कई मल्टी नेशनल कंपनियों में काम कर चुकी हैं. 2021 में मिस इंडिया डिसेबल प्रतियोगिता की विजेता रही हैं.
10. रीना कुमारी (गुलाबी ऑटो चालक) : पति के निधन के बाद रीना पिंक ऑटो चालक बनी. छह साल पूर्व पति का निधन हुआ. दो बच्चों की परवरिश के लिए ऑटो चलाना सीखा.इसी ऑटो से कमाये पैसों से अपने बच्चों को उच्चस्तरीय शिक्षा दे रही हैं. पिंक ऑटो महिला चालकों के हक के लिए संघर्ष कर रही हैं.