प्रभात खबर के संपादकों को जेल से फोन पर धमकी देनेवाले जेल में बंद भ्रष्टाचार के आरोपी की फरजी शिकायत पर पुलिस द्वारा संपादकों के खिलाफ ही प्राथमिकी दर्ज करने का समाज के हर तबके के लोगों द्वारा निंदा की जा रही है. लगातार आ रही प्रतिक्रिया में लोग इसे उल्टा चोर कोतवाल को डांटे को चरितार्थ करने की बात कह रहे हैं. कई राजनीतिक-सामाजिक संगठनों ने बैठकें कर मामले की न्यायिक जांच कराने और फरजी प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की. वहीं व्यवस्था के विरोध में आंदोलन करने की बात भी कह रहे हैं.
वेटरन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ झारखंड ( आर्मी, एयरफोर्स और नेवी) ने प्रभात खबर के प्रधान संपादक और स्थानीय वरीय संपादक को जेल से धमकी देने की निंदा की है. सचिव महेश प्रसाद सिन्हा ने कहा कि झारखंड और राजधानी में आपराधिक घटनाएं बढ़ गयी हैं. अपराधी बेखौफ होकर हत्या की घटना को अंजाम दे रहे है. चिंता की बात यह है कि चौथे स्तंभ को भी भयभीत करने का प्रयास किया जा रहा है. पत्रकारों को धमकी देने से समाज में गलत संदेश जा रहा है. सरकार से आग्रह है कि वह आवश्यक और अनुशासनात्मक कार्रवाई करें. अगर ऐसा नहीं होता है, तो सभी भूतपूर्व सैनिक आंदोलन को विवश होंगे.
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झारखंड यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट ने बयान जारी कर कहा कि अपराधी तत्वों के द्वारा कलम की ताकत को रोकने की कोशिश हो रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. वरिष्ठ पत्रकारों को जेल से कॉल कर धमकी दी गयी. मामला यहीं नहीं रुका, बल्कि इसी मामले में प्रभात खबर के संपादकों के खिलाफ ही प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है. यूनियन के महानगर अध्यक्ष जावेद ने कहा कि दरअसल यह झारखंड में प्रशासन और अपराधियों के द्वारा उत्पीड़न करने का सिलसिला ही चल पड़ा है. इस कड़ी में रांची, खूंटी, पलामू, महुआडांड़, धनबाद, जमशेदपुर सहित कई जिलों में पत्रकारों पर हमले और उन पर झूठे मुकदमे दर्ज किये जाने के मामले भी समय-समय पर सामने आते रहे हैं.
प्रभात खबर के संपादकों के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज किये गये मुकदमे की इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन ने निंदा की है. यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गितार्थ पाठक, सबीना इंद्रजीत, मधुकर, अरविंद कुमार ने कहा है कि सरकार को पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करानी चाहिए. जेल से धमकी देना निंदनीय है. उन्होंने कहा कि जेल आइजी का अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई सराहनीय है. लेकिन, सरकार को इस पूरे घटना की जांच करा कर संपादकों पर से मुकदमा वापस लेना चाहिए.
राज्य में कानून व्यवस्था बद से बदतर हो गयी है. लोकतंत्र के एक मजबूत स्तंभ मीडिया को अपराधियों द्वारा धमकी देना चिंता की बात है. प्रभात खबर की यह घोषणा कि अखबार दबाव में न पहले झुका था, न आगे झुकेगा, जनता की आवाज बना रहेगा. यह चौथे स्तंभ की मजबूती को प्रदर्शित करता है. संपादकों को अगर धमकी मिलने लगे तो आम आदमी की स्थिति क्या होगी इसकी कल्पना की जा सकती है. सरकार राज्य के विकास के लिए बाहर के निवेशकों को इस असुरक्षा के माहौल में कैसे बुलायेगी.
झारखंड प्रदेश वैश्य पोद्दार महासभा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष संजय पोद्दार ने झारखंड पुलिस द्वारा प्रभात खबर के प्रधान संपादक व स्थानीय संपादक पर प्राथमिकता दर्ज करने की कड़ी निंदा की है. अध्यक्ष श्री पोद्दार ने कहा सरकार उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली कहावत चरितार्थ को चरितार्थ कर रही है. उन्होंने कहा कि जेल से धमकी देना गंभीर मामला है. इस घटना से ऐसा प्रतीत होता है कि रांची जेल से माफिया अपना साम्राज्य चला रहे हैं.
हटिया विधायक नवीन जायसवाल ने कहा कि संपादकों पर एफआइआर लोकतंत्र की हत्या करने जैसी बात है, वह भी एक अपराधी द्वारा जो सरकार के संरक्षण में फला-फूला है. उन्होंने कहा कि इस सरकार में कोई सुरक्षित नहीं है. न आम जनता, न पुलिस, न नेता और न ही पत्रकार. चारों तरफ भ्रष्टाचार का बोलबाला है. अपराधियों की इतनी हिम्मत बढ़ गयी है एक तरफ जेल से ही फोन करके संपादकों को धमकी देते हैं और दूसरी तरफ खुद ही संपादकों पर एफआइआर भी करते हैं. जाहिर है उन्हें कोई संरक्षण दे रहा है.
पूर्व मंत्री देव कुमार धान ने प्रभात खबर के प्रधान संपादक और स्थानीय संपादक को जेल से माफियाओं द्वारा धमकी दिये जाने की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया है. सरकार और सरकारी तंत्र को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि यह हमारी कानून- व्यवस्था की असफलता है. इससे डरने की आवश्यकता नहीं है. आप समाज के प्रहरी हैं. समाज के आईना हैं. पत्रकार समाज का चौथा स्तंभ है, इसलिए उन्हें निडर होकर लिखना है. हम सब आपके साथ हैं.
प्रभात खबर के संपादकों को बिरसा मुंडा कारा से शराब घोटाला के आरोपी योगेंद्र तिवारी द्वारा फोन पर धमकी दिये जाने का मूलवासी सदान मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने कड़े शब्दों में निंदा की है. श्री प्रसाद ने इसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ में सीधा हमला बताया है. मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि अखबार समाज की घटनाओं को आम जनता के बीच रखती है. कोई गलत करता है, तो चौथा स्तंभ होने के नाते उन बातों को अखबार प्रकाशित करे. चौथा स्तंभ होने के नाते इनका कर्तव्य है. लेकिन दुर्भाग्य से माफियाओं के द्वारा पैसे के बल पर कानून से खिलवाड़ करना आदत बन गयी है. प्रसाद ने कहा कि सरकार इस पूरे मामले की न्यायिक जांच कराये.