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प्रधान संपादक धमकी मामला: प्रभात खबर न पहले कभी झुका था और न कभी झुकेगा

इसके बाद प्रभात खबर की ओर से पहले प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. सदर थाना की पुलिस ने आइपीसी की धारा 385, 503 और 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे सीआइडी को सौंप दिया गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 4, 2024 11:37 PM

रांची: बिरसा मुंडा कारा, रांची में बंद शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी ने जेल से ही प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी को पहले फोन कर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी. फिर उन्हीं के खिलाफ पुलिस से शिकायत की. इसके बाद पुलिस ने अत्यधिक तत्परता दिखाते हुए एक फर्जी मामले में प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी और वरीय स्थानीय संपादक विजय पाठक के खिलाफ खेलगांव थाना में प्राथमिकी दर्ज कर ली है. ज्ञातव्य है कि इडी चार्जशीट की खबर प्रभात खबर में छापने के बाद प्रधान संपादक श्री चतुर्वेदी को जेल से 29 दिसंबर की सुबह योगेंद्र तिवारी ने धमकी दी थी.

इसके बाद प्रभात खबर की ओर से पहले प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. सदर थाना की पुलिस ने आइपीसी की धारा 385, 503 और 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे सीआइडी को सौंप दिया गया है. सीआइडी इस मामले की जांच कर रही है. योगेंद्र तिवारी शराब, बालू और जमीन कारोबारी है और मनी लाउंड्रिंग के मामले में वह जेल में बंद है. प्रभात खबर आरंभ से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर रहा है. जनहित की पत्रकारिता के कारण प्रभात खबर को पहले भी निशाना बनाने की कोशिश की जाती रही है, उसे परेशान करने का प्रयास किया गया है, प्रभात खबर को झुकाने का प्रयास किया गया है. इसके बावजूद प्रभात खबर न पहले कभी झुका था और न कभी झुकेगा.

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हमेशा जनता की आवाज बना रहेगा. इतिहास बताता है कि जब-जब प्रभात खबर को परेशान किया गया है, झूठे मुकदमे में फंसाने का प्रयास किया गया है, जनता की आवाज को दबाने का प्रयास किया गया है, पाठक-जनता सड़कों पर प्रभात खबर के समर्थन में उतरी है. यही प्रभात खबर की सबसे बड़ी ताकत रही है. यही कारण है कि जब भी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़नेवाले देश भर के जिन चुनिंदा अखबारों की चर्चा होती है, उसमें प्रभात खबर का महत्वपूर्ण स्थान होता है.

ईडी की चार्जशीट में तिवारी से जुड़ी 11 कंपनियां हैं आरोपी

मनी लाउंड्रिंग के आरोप में जेल में बंद योगेंद्र तिवारी से संबंधित 14 कंपनियों को वित्तीय वर्ष 2021-22 में झारखंड में शराब के कारोबार का लाइसेंस मिला था. इडी ने पीएमएलए कोर्ट में दायर आरोप पत्र में 11 कंपनियों को आरोपी बनाया है. इन कंपनियों में सारण अल्कोहल, संतालपरगना बिल्डर्स, प्रशांंत ट्रेडर्स, आनंद ट्रेडर्स, बैद्यनाथ इंटरप्राइजेज, बासुकीनाथ ट्रेडर्स, गुप्ता ट्रेडर्स, राजमहल ट्रेडर्स, मिश्रा वाइंस, संजीत हेम्ब्रम और मइहर होटल्स एंड रिसॉर्ट प्राइवेट लिमिटेड शामिल है. शराब का ठेका हासिल करनेवाली इन कंपनियों में योगेंद्र तिवारी, उनके पारिवारिक सदस्यों और उनसे संबंधित लोगों की हिस्सेदारी थी.

राजमहल ट्रेडर्स में अमरेंद्र तिवारी के पास कंपनी की 60 प्रतिशत हिस्सेदारी थी. सुकांतो राय और राम कुमार सिंह के पास 20-20 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी. सारण अलकोहल प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी का 66,500 शेयर योगेंद्र तिवारी के पास था. नीतू तिवारी के पास 51500 शेयर था. अमरेंद्र तिवारी, सबिता तिवारी, आनंद कुमार सिंह, शंकर सिह, अखिलेश सिंह के पास 7500-7500 शेयर थे. बासुकीनाथ ट्रेडर्स को हजारीबाग में शराब के कारोबार का लाइसेंस मिला था. इस कंपनी की 90 प्रतिशत हिस्सेदारी अमरेंद्र तिवारी के पास थी. विमल मंडल और विवेकानंद झा के पास सिर्फ पांच-पांच प्रतिशत की हिस्सेदारी थी. इन कंपनियों में भारी नकद राशि जमा हुई थी.

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