Prabhat Khabar Explainer : झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने शनिवार को बड़ा फैसला लिया. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का विरोध और पत्थलगड़ी करने वालों पर गुमला थाना में दर्ज केस वापस लिए जायेंगे. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केस वापस लेने से संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. झारखंड में पत्थलगड़ी में मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी रहती है. आइए जानते हैं क्या है पत्थलगड़ी.
पूर्वजों की पंरपरा संजोए रखने के लिए की जाती है पत्थलगड़ी
झारखंड में पत्थलगड़ी में मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी रहती है. वंशानुगत, पूर्वज और मरनी (मृत व्यक्ति) की याद को संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की परंपरा रही है. कई गांवों में अंग्रेजों या दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीर सपूतों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है. पूरे विधि-विधान के साथ पत्थलगड़ी होती है. झारखंड के आदिवासी समुदाय और गांव में विधि-विधान तथा संस्कार के साथ पत्थलगड़ी (शिलालेख) की परंपरा पुरानी है.
दायर मुकदमे होंगे वापस
सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का विरोध करने के कारण तथा पत्थलगड़ी का समर्थन करने वाले लोगों पर गुमला थाना में 20 दिसंबर 2016 को प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. कांड सं 421/2016 सीआर नं 1161/16 दर्ज कराया गया था. सीएम हेमंत सोरेन के प्रस्ताव पर मंजूरी के साथ अब इस केस को वापस ले लिया जायेगा. सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का विरोध तथा पत्थलगड़ी करने के आरोप में गुमला थाना कांड संख्या 421/2016 में जिन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर मुकदमे दायर किये गये थे, उन्हें वापस लेने से संबंधित गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रस्तावित संकल्प प्रारूप को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी स्वीकृति दे दी है.
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Posted By : Guru Swarup Mishra