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Explainer: झारखंड में ट्रिपल टेस्ट को लेकर पक्ष-विपक्ष आमने-सामने, जानें नगर निकाय चुनाव में क्यों हो रही देरी

झारखंड के स्थानीय निकाय चुनाव में पिछड़ों के आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट को लेकर वाक युद्ध तेज है. विपक्ष जहां झारखंड कैबिनेट के फैसले पर सवाल खड़ा कर रहा है, वहीं झामुमो ने पलटवार करते हुए आयोग में जल्द अध्यक्ष के पदस्थापित होने के साथ कार्य तेजी से होने की बात कही.

Prabhat Khabar Explainer: झारखंड कैबिनेट की बैठक में राज्य के स्थानीय निकाय चुनाव में पिछड़ों के आरक्षण की पात्रता की जांच के लिए डेडिकेटड कमीशन बनाने का फैसला किया है. इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है. बीजेपी ट्रिपल टेस्ट को लेकर राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश का कहना है कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का अभी तक पूर्ण गठन नहीं हुआ. आयोग अध्यक्ष विहीन है और दूसरी ओर राज्य सरकार कैबिनेट की बैठक में पिछड़ा वर्ग आयोग से ट्रिपल टेस्ट कराने का निर्णय लेती है. वहीं, झामुमो ने पलटवार करते हुए आयोग में जल्द अध्यक्ष होने की बात कही, वहीं बीजेपी को भी निशाना पर लिया.

राज्य का पिछड़ा वर्ग आयोग ही डेडिकेटेड कमीशन के रूप में करेगा काम

बता दें कि राज्य में ट्रिपल टेस्ट के बिना स्थानीय निकाय चुनाव नहीं हो पा रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए हेमंत सरकार पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा ट्रिपल टेस्ट कराने की बात कही. सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में 26 जून, 2023 को हुई झारखंड कैबिनेट की बैठक में पिछड़ों के आरक्षण की पात्रता की जांच के लिए डेडिकेटेड कमीशन बनाने का फैसला किया, वहीं यह भी तय किया कि राज्य का पिछड़ा वर्ग आयोग ही डेडिकेटेड कमीशन के रूप में काम करेगा. इसके तहत सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कर आयोग पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण तय करेगा.

जानें क्या है ट्रिपल टेस्ट

सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग का आरक्षण तय करने के लिए ट्रिपल टेस्ट का फार्मूला दिया है. इसके तहत राज्य के स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के पिछड़ेपन की स्थितियों जिनमें आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक प्रकृति तथा प्रभाव का डेटा इकट्ठा करने के लिए एक विशेष आयोग का गठन किया जाना आवश्यक है. राज्य सरकार को इस विशेष आयोग की सिफारिशों के आधार पर नगर निगम और नगरपालिका चुनाव में आनुपातिक आधार पर आरक्षण देना होगा. साथ ही ट्रिपल टेस्ट के आधार पर यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि एसटी, एससी और ओबीसी के लिए तय आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से अधिक ना हो.

बीजेपी का हेमंत सरकार पर निशाना

इधर, झारखंड कैबिनेट में पिछड़ों के आरक्षण की पात्रता की जांच के लिए डेडिकेटेड कमीशन बनाने और राज्य का पिछड‍़ा आयोग ही इस कमीशन द्वारा काम करने की स्वीकृति के बाद विरोध तेज हो गया है. इसको लेकर बीजेपी हेमंत सरकार को घेरने लगी है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश का कहना है कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का अभी तक पूर्ण गठन नहीं हुआ है. इसके बावजूद इस आयोग द्वारा डेडिकेटेड कमीशन के रूप में कैसे काम लिया जाएगा. कहा कि इस आयोग में अध्यक्ष तक नहीं हैं.

राज्य सरकार की मंशा साफ नहीं

दीपक प्रकाश ने कहा कि ट्रिपल टेस्ट को लेकर राज्य सरकार की मंशा साफ नहीं है‍. कहा कि राज्य सरकार की मंशा साफ रहती, तो पंचायत चुनाव में पिछड़ों के हक को सरकार नहीं मारती. पंचायतों में भी पिछड़े वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व मिलता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अब नगर निकाय चुनाव में भी राज्य सरकार पिछड़े वर्ग को धोखा देने की तैयारी में है.

राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग है अध्यक्ष विहीन

उन्होंने सरकार से ही सवाल पूछे कि आखिर अध्यक्ष विहीन पिछड़ा वर्ग आयोग से कैसे ट्रिपल टेस्ट करा सकते हैं. कहा कि आयोग की भी अपनी प्रक्रिया होती है. आयोग ट्रिपल टेस्ट का निर्णय तभी कर पाएगा जब वह पूरी तरह फंक्शन में आएगा.

राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में जल्द दिखेंगे अध्यक्ष : सुप्रियो भट्टाचार्य

इधर, बीजेपी के आरोपों पर पलटवार करते हुए झामुमो के मुख्य प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रभात खबर डॉट कॉम से बात करते हुए कहा कि राज्य सरकार की मंशा पूरी तरह से साफ है. जल्द ही राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में अध्यक्ष भी होंगे और ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया भी शुरू होगी. उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष पहले विधायक दल का नेता चुन ले. अब तक विधायक दल का नेता नहीं चुन पाये, वहीं सिर्फ राज्य सरकार की खामियां ही गिनाने में जुटे हैं.

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