‘प्रभात खबर संवाद’ में पहुंचे झारखंड के डीजीपी अजय कुमार सिंह ने पुलिस विभाग से जुड़े कई सवालों पर खुलकर अपनी बातें रखी. उन्होंने कहा कि डीजीपी के तौर पर पीपुल्स फ्रेंडली पुलिसिंग हो, अपराध में कमी आये और ऐसी चीजें, जो आम नागरिकों से जुड़ी हैं, को बेहतर करने का प्रयास किया जायेगा. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चतरा के लावालौंग में पुलिस ने 65 लाख के पांच इनामी नक्सलियों को मार गिराया है. यह बड़ी उपलब्धि है. इससे जुड़े साक्ष्य जितने हैं, वह प्रमाणित हैं. घटना से पहले वहां की इंटेलिजेंस रिपोर्ट थी. जो लोग मुठभेड़ में मारे गये, उन सभी का पुराना आपराधिक रिकॉर्ड रहा है. किसी पर 100, तो किसी पर 50 केस दर्ज थे. कोई 10-12 साल से नक्सली घटना में लिप्त था. 12 पुलिसकर्मियों के मारे जाने में इनकी संलिप्तता थी. इसके कई उदाहरण हैं.
कोयले के अवैध धंधे पर
कोयले का अवैध कारोबार रोकने के मामले में पुलिस का रोल बहुत सीमित होता है. इसकी जिम्मेवारी कई विभागों की है. बेरोजगारी और आसानी से पैसा कमाना इस अवैध कारोबार का मेन फैक्टर है. अगर कोयले की चोरी हो रही है, तो सबसे पहला दायित्व उस कंपनी का है, जिसकी संपत्ति है. दूसरा कोयला चोरी नहीं हो, इसके लिए केंद्रीय बल सीआइएसएफ है. सरकार के माइनिंग डिपार्टमेंट का भी अपना रोल है. पुलिस की महज एक ही भूमिका है कि अगर कोयले की चोरी हो रही है, तो मामले में प्राथमिकी दर्ज कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करे.
जमीन विवाद और उसे लेकर हो रही हत्याओं पर
जमीन विवाद और उससे जुड़े अपराध के कई आयाम हैं. पुलिस मुख्यालय के स्तर पर कई बिंदुओं का आकलन किया गया था. जब तक संबंधित विभागों के बीच आपसी तालमेल नहीं होगा, तब तक इसे रोकना संभव नहीं है. सिर्फ पुलिस के बस की बात नहीं है.
विशाल चौधरी पर
पुलिस हाउसिंग निगम में ओपन टेंडर के आधार पर विशाल चौधरी को कुछ काम मिला था. जब शिकायत मिली कि उसने टेंडर की शर्तों को पूरा नहीं किया है, तब काम को रद्द कर दिया गया था.
बालू के अवैध कारोबार पर : बालू के मामले में राज्य सरकार के स्तर पर पॉलिसी बननी है. बाकी इसमें भी कई विभागों की जवाबदेही है. अगर कोई शिकायत सामने आती है, तो उस पर कार्रवाई होगी.