Loading election data...

किसान दिवस 2022: आजादी के बाद इस तरह बदली भारत में कृषि की तस्वीर, देखें किस क्षेत्र में कितनी आयी तेजी

National Farmers Day: आजादी के बाद के शुरुआती 15 सालों में अनाज के उत्पादन में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई. इसके बाद के लगातार दो वर्ष 1965-66 और 1966-67 में अकाल पड़ा, जिसने पूरा परिदृश्य ही बदल दिया. हालात इस कदर बिगड़ गये कि ऐसा लगा मानो भारत इस मुश्किल घड़ी से उबर ही नहीं पायेगा.

By Mithilesh Jha | December 23, 2022 12:34 PM
an image

National Farmers Day: आजादी के बाद भारत में पारंपरिक कृषि उत्पादों में बड़े पैैमाने पर गिरावट दर्ज की गयी, तो कुछ ऐसे भी क्षेत्र रहे, जिसमें बंपर इजाफा हुआ. देश के जाने-माने अर्थशास्त्री और नीति आयोग के सदस्य (कृषि) रमेश चंद ने बताया है कि वर्ष 1950-51 से 1964-65 के बीच सभी अनाज के उत्पादन में वृद्धि की दर 2.81 फीसदी थी, जो वर्ष 1967-68 से 1990-91 के बीच 2.63 फीसदी, वर्ष 1990-91 से 2004-05 के बीच 2.29 फीसदी और वर्ष 2004-05 से 2020-21 के बीच 2.65 फीसदी रही.

आजादी के बाद के 15 साल में कृषि उत्पादन सबसे ज्यादा

नीति आयोग के सदस्य श्री चंद बताते हैं कि आजादी के बाद के शुरुआती 15 सालों में अनाज के उत्पादन (Production of Crops in India) में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई. इसके बाद के लगातार दो वर्ष 1965-66 और 1966-67 में अकाल पड़ा, जिसने पूरा परिदृश्य ही बदल दिया. हालात इस कदर बिगड़ गये कि ऐसा लगा मानो भारत इस मुश्किल घड़ी से उबर ही नहीं पायेगा. लेकिन, हरित क्रांति ने इस मुश्किल घड़ी से भारत को बचा लिया.

Also Read: Flower Farming: झारखंड के लखपति किसान, फूलों की खेती से मिली पहचान, अब दूसरों को भी दे रहे रोजगार
हरित क्रांति ने भारत को खाद्यान्न संकट से उबारा

हरित क्रांति ने न केवल भारत को खाद्यान्न संकट से बचा लिया, बल्कि कृषि के क्षेत्र में शोध के महत्व को भी स्थापित कर दिया. इसका एक नुकसान भी हुआ. बाजरा और दलहन की खेती प्रभावित होने लगी. बाजरा (Millets) और दहलन (Pulses) की खेती में गिरावट आने लगी. हाल के वर्षों में मिलेट्स की खेती में निगेटिव ग्रोथ आ गयी है. हालांकि, वर्ष 2004-05 के बाद दलहन की खेती में गिरावट का दौर थमा और इसके उत्पादन में बंपर वृद्धि दर्ज की गयी.

महीन अनाज और दाल का उत्पादन बढ़ा

नेशनल फूड सिक्यूरिटी मिशन (NFSM) और ब्रिंगिंग ग्रीन रिवोल्यूशन टू ईस्टर्न इंडिया (BGREI) की वजह से महीन अनाज और दाल का उत्पादन बढ़ा. पोषक अनाजों के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गयी. अंतत: पोषक अनाजों का उत्पादन नकारात्मक हो गया. वर्ष 1991 की शुरुआत में बड़े पैमाने पर आयात ने तिलहन के उत्पादन में वृद्धि को रोक दिया. फल और सब्जियों का उत्पादन बढ़ने लगा. मांग बढ़ी, तो उसी के अनुरूप कई चीजों का उत्पादन भी बढ़ने लगा.

Also Read: झारखंड में मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना पोर्टल पर कब तक रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे किसान, ये है अपडेट
अंतिम 15 वर्ष में चावल, गेहूं, मक्का की उपज बढ़ी

नीति आयोग के सदस्य (कृषि) रमेश चंद ने कृषि से जुड़े जो आंकड़े पेश किये, उसके मुताबिक, चावल-गेहूं-मक्का की उपज की वृद्धि दर वर्ष 1950-51 से 1964-65 के दौरान 4.28 थी, जो वर्ष 1967-68 से 1990-91 के दौरान 3.6 फीसदी रह गयी. 1990-91 से 2004-05 के दौरान यह घटकर 1.38 फीसदी रह गया. हालंकि, वर्ष 2004-05 से 2020-21 के बीच इसमें उछाल आया और यह वृद्धि दर बढ़कर 2.37 फीसदी हो गयी.

ज्वार-बाजरा-रागी का उत्पादन भी गिरता चला गया

ज्वार-बाजरा-रागी और छोटे अनाज की बात करें, तो इसके उत्पादन में वृद्धि की रफ्तार 1950-51 से 1964-65 के बीच 2.38 फीसदी थी, जो 1967-68 से 1990-91 के बीच 0.86 रह गयी. 1990-91 से 2004-05 के दौरान इन अनाजों के उत्पादन में वृद्धि की रफ्तार नकारात्मक हो गयी. इस दौरान इन अनाजों की वृद्धि -1.62 फीसदी की दर से हुई, जो वर्ष 2004-05 से 2020-21 के दौरान घटकर -1.94 फीसदी रह गयी.

दलहन के उत्पादन में भारत ने किया बाउंस बैक

दलहन के उत्पादन में 1950-51 से 1964-65 के दौरान 1.68 फीसदी की दर से वृद्धि हो रही थी, जो 1967-68 से 1990-91 में 0.98 फीसदी रह गयी. वर्ष 1990-91 से 2004-05 के बीच वृद्धि की दर घटकर 0.20 फीसदी हो गयी. वर्ष 2004-05 से 2020-21 के बीच दलहन के उत्पादन में बाउंस बैक किया और उत्पादन में वृद्धि की दर 0.20 फीसदी से बढ़कर 4.04 फीसदी हो गयी.

Also Read: झारखंड के ‘धान का कटोरा’ में नहीं खुला क्रय केंद्र, औने-पौने दाम में धान बेचने को मजबूर हैं किसान
दाल का उत्पादन 1.68 फीसदी से बढ़कर 4.04 फीसदी हो गया

वर्ष 2004-05 से 2020-21 के दौरान दलहन के उत्पादन में भी तेजी आयी. वर्ष 1950-51 से 1967-68 के बीच दाल का उत्पादन 1.68 फीसदी दर से बढ़ रहा था. वर्ष 1967-68 से 1990-91 के बीच दलहन के उत्पादन की रफ्तार में गिरावट आयी और यह 0.98 फीसदी रह गयी. अगले 15 साल में यह रफ्तार 0.20 फीसदी रह गयी. लेकिन वर्ष 2004-05 से 2020-21 के दौरान इसमें बंपर तेजी आयी. दलहन उत्पादन में 4.04 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी.

लगातार बढ़ती रही सब्जियों व फलों के उत्पादन की रफ्तार

सब्जियों और फलों के उत्पादन में भारत की रफ्तार कभी कम नहीं हुई. वर्ष 1950-51 से 1967-68 के बीच इसकी वृद्धि की रफ्तार 1.73 फीसदी थी. वर्ष 1967-68 से 1990-91 के बीच भारत में डबल स्पीड से फलों एवं सब्जियों का उत्पादन बढ़ा. वृद्धि दर बढ़क 3.46 फीसदी हो गयी. वर्ष 1990-91 से 2004-05 के बीच वृद्धि दर 4.70 फीसदी रही, जबकि वर्ष 2004-05 से 2020-21 के बीच वृद्धि दर बढ़कर 4.84 फीसदी हो गयी.

दूध, अंडा, मांस मछली के उत्पादन में बना रहा उतार-चढ़ाव

दुग्ध उत्पादन हो या अंडा, मांस और मछली. इन सभी के उत्पादन में उतार-चढ़ाव बना रहा. हालांकि अच्छी बात यह है कि इन सभी क्षेत्रों में वृद्धि दर अब बहुत अधिक हो चुकी है. आजादी के बाद 15 सालों तक दूध के उत्पादन में 1.21 फीसदी की दर से वृद्धि हो रही थी, जो वर्ष 1967-68 से 1990-91 के दौरान यह बढ़कर 5.02 फीसदी हो गया. 1990-91 से 2004-05 के 15 साल के काल खंड में दुग्ध उत्पादन की वृद्धि दर घटकर 3.96 फीसदी रह गयी, जबकि वर्ष 2004-05 से 2020-21 के बीच यह अपने सर्वकालिक उच्चतम स्तर 5.09 फीसदी पर पहुंच गयी.

Also Read: सूखा राहत राशि लेने के लाइन में गढ़वा के किसान, पर पैक्स संचालक चाहते हैं धान क्रय केंद्र खुले
दूध व अंडा के उत्पादन में कभी वृद्धि हुई, तो कभी आयी गिरावट

दूध की तरह अंडा के उत्पादन में भी आजादी के बाद के 15-15 साल के चार कालखंडों में कभी भारत ने तेजी दर्ज की, तो कभी गिरावट. शुरुआती 15 साल यानी वर्ष 1950-51 से 1967-68 के बीच अंडा का उत्पादन 3.42 फीसदी की दर से बढ़ रहा था, जो 1967-68 से 1990-91 के बीच 6.76 फीसदी की दर से बढ़न लगा. 1990-91 से 2004-05 के बीच इसके उत्पादन की वृद्धि दर में गिरावट दर्ज की गयी और यह 4.11 फीसदी रह गया. हालांकि, वर्ष 2004-05 से 2020-21 के दौरान इसमें फिर तेजी आयी और वृद्धि दर 5.38 फीसदी पहुंच गयी.

मांस के उत्पादन में 7.18 फीसदी की वृद्धि

अब बात करते हैं मांस की. भारत के कृषि क्षेत्र में अंतिम 15 वर्ष के कालखंड यानी वर्ष 2004-05 से 2020-21 के दौरान इसमें सबसे ज्यादा 7.18 फीसदी की वृद्धि दर देखी गयी है. आजादी के बाद वर्ष 1950-51 से 1964-65 तक इसकी वृद्धि दर 1.62 फीसदी थी. वर्ष 1967-68 से 1990-91 के दौरान वृद्धि दर 4.03 फीसदी रही, जबकि 1990-91 से 2004-05 के दौरान 3.37 फीसदी रही. अंतिम 15 वर्ष में मांस का उत्पादन तेजी से बढ़ा. पिछले 15 साल की तुलना में उत्पादन में वृद्धि की रफ्तार 100 फीसदी से भी ज्यादा रही.

मछली के उत्पादन में ऐसा रहा है भारत का प्रदर्शन

मछली के उत्पादन में वर्ष 1950-51 से 1964-65 के बीच 4.77 फीसदी की दर से वृद्धि हो रही थी. इसके अगले 15 साल यानी वर्ष 1967-68 से 1990-91 के बीच मछली के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गयी. यही वजह रही कि इस क्षेत्र में वृद्धि दर घटकर 3.65 फीसदी रह गयी. वर्ष 1990-91 से 2004-05 के बीच वृद्धि दर में तेजी आयी और यह 4.35 फीसदी हो गयी. इसके बाद के 15 वर्ष के कालखंड यानी वर्ष 2004-05 से 2020-21 के बीच इसकी वृद्धि की रफ्तार बढ़कर 6.74 फीसदी हो गयी. मांस उत्पादन के बाद सबसे ज्यादा वृद्धि दर मछली में ही दर्ज की गयी.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Exit mobile version