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Prabhat Khabar Special: रांची के कलेक्ट्रेट बिल्डिंग में भगवान भरोसे फायर फाइटिंग सिस्टम, DC साहब लें सुध

झारखंड की राजधानी रांची के कलेक्ट्रेट बिल्डिंग में फायर फाइटिंग सिस्टम का हाल देखिए. कई जगहों पर लोहे के पाइप का कनेक्शन अलग है. पाइप का बॉक्स सिर्फ लटका दिया गया है. कई बाक्स से प्लास्टिक तक नहीं हटायी गयी है.

Prabhat Khabar Special: धनबाद में हाजरा क्लिनिक और आशीर्वाद टावर में आग लगने से 19 जिंदगियां खत्म हो गयी थी. दर्जनों लोग अस्पताल में पहुंच गये. वहीं, सोमवार को धनबाद के सेंटर प्वाइंट मॉल के तीसरे तल्ले पर आग लग गयी, लेकिन दमकल कर्मियों ने समय रहते इस पर काबू पाने से एक बड़ी अनहोनी होने से टल गई. अगर धनबाद अग्निकांड जैसा हादसा राजधानी रांची के कचहरी परिसर स्थित छह मंजिला रांची समाहरणालय बिल्डिंग (Ranchi Collectorate Building) में हो जाए, तो भगवान ही मालिक होंगे. यहां भी धनबाद जैसे हालात उत्पन्न होने में देर नहीं लगेगी. समाहरणालय बिल्डिंग के ब्लॉक-ए में फायर सेफ्टी उपकरण की स्थिति काफी दयनीय है. हादसा होने पर यह काम नहीं करेगा. इसी ब्लॉक में डीसी सहित जिला स्तर के अधिकारियों के कार्यालय एवं चेंबर है. एफसीआई, एसबीआई ग्रामीण सहित कई संस्थानों के कार्यालय संचालित होते हैं. चार फरवरी को डीसी ने अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर सभी भवनों में फायर सेफ्टी मानक का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया था.

बिल्डिंग में फायर सेफ्टी सिस्टम का देखिए हाल

डीसी ने यह भी निर्देश दिया था कि एक माइक्रो प्लान बनाया जाए और नक्शा के अनुसार अगर फायर सेफ्टी नहीं लगाया गया है, तो बिल्डरों पर क्रिमिनल केस चलाया जाए. हालत यह है कि समाहरणालय बिल्डिंग (डीसी साहब एवं अन्य का दफ्तर) में ही फायर सेफ्टी मानक का पालन नहीं हो रहा है. अब डीसी साहब किस पर एफआईआर कराएंगे. ब्लॉक-ए में पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा और पांचवें तल्ले की सीढ़ियों के कोने पर अग्नि सुरक्षा से बचाव के लिए लगाये गये उपकरण अलग-अलग है. कई जगहों पर लोहे के पाइप का कनेक्शन अलग है. पाइप का बॉक्स सिर्फ लटका दिया गया है. कई बाक्स से प्लास्टिक तक नहीं हटायी गयी है. आधुनिक रिकॉर्ड रूम के पास भी यही स्थिति है. यहां पर नाै लीटर का एक और छह लीटर का दो अग्निशमन सिलिंडर लगा हुआ है, जिस पर वर्ष 2019 का निर्माण अंकित है. ऐसा अन्य जगहों पर भी लगा हुआ है. सबसे आश्चर्यजनक स्थिति समाहरणालय बिल्डिंग के प्रवेश द्वार के पास लगे फायर सेफ्टी उपकरणों की है. बॉक्स में कुछ नहीं है. खाली है और खुला हुआ है. लोहे का पाइप है, जो खुला है. इसी प्रवेश द्वार से हर दिन डीसी राहुल कुमार सिन्हा, अपर समाहर्ता राजेश बरवार सहित जिले के अन्य वरीय अधिकारी अपने चेंबर में जाते हैं. डीसी सभाकक्ष में हर दिन कोई न कोई बैठक होती रहती है. अधिकारियों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन फायर सेफ्टी उपकरणों की हालत पर किसी अधिकारी का ध्यान तक नहीं जाता है. कर्मियों का कहना है कि यदि हादसा हो जाए, तो लगाए गए उपकरण कैसे काम करेंगे.

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ब्लॉक-बी में फायर सेफ्टी उपकरण जोड़े गए

हालांकि, दूसरी तरफ ब्लॉक-बी के सभी फ्लोर पर लगाये गए फायर सेफ्टी उपकरणों को कनेक्ट कर दिया गया है. यह काम करता है या नहीं, यह पता नहीं चल सका. हालांकि, ब्लॉक-बी बिल्डिंग के बाहर लगे फायर सिस्टम को बच्चे खिलौना बनाये हुए हैं. बॉक्स में पाइप नहीं है. बच्चे उसमें बैठक कर लुका-छुपी खेलते हैं. उधर, समाहरणालय कर्मियों का कहना था कि फायर सेफ्टी उपकरण को काम करते हुए उन्होंने कभी नहीं देखा है. उनका कहना था कि फायर सेफ्टी उपकरण का समय-समय पर परीक्षण होते रहना चाहिए. उल्लेखनीय है कि पुराने एसडीओ भवन, समाहरणालय भवन व बारी पार्क मैदान की जमीन पर नया समाहरणालय भवन बनाया गया था. शुरुआत में भवन में फायर सेफ्टी उपकरण नहीं था. बाद में उसे जैसे-तैसे व आधा-अधूरा स्थापित किया गया, जिसे पूरा करने का दावा किया जा रहा है.

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