रांची, राजीव पांडेय : रिम्स ऐसे एंबुलेंस चालकों का अड्डा है, जहां से मरीजों को निजी अस्पताल में शिफ्ट किया जाता है. एक मरीज को निजी अस्पताल में पहुंचाने के लिए एंबुलेंस चालक को 12 हजार से 20 हजार रुपये तक मिलते हैं. इसका खुलासा ‘प्रभात खबर’ की स्टिंग में हुआ. एंबुलेंस चालक ने तो शहर के निजी अस्पतालों के नाम भी बता दिये हैं, लेकिन हम उन्हें प्रकाशित नहीं कर रहे. रिम्स सेंट्रल इमरजेंसी और कार्डियोलॉजी विंग के बाहर लाइन बनाकर खड़े एंबुलेंस चालक खुलेआम निजी अस्पताल के एजेंट का काम करते हैं. मरीजों को शिफ्ट करने का पैसा धड़ल्ले से मांगा जाता है. दलाल का कहना है कि हर अस्पताल का रेट फिक्स है. एक मरीज को पहुंचाने पर कोई अस्पताल 12,000 देता है, तो कोई 15,000. सर्जरी वाले मरीजोंं को अस्पताल पहुंचाया 20,000 रुपये तक मिलते हैं. एक नये अस्पताल का हवाला देते हुए जब एंबुलेंस चालक से बातचीत की गयी, तो उसने बताया कि रिम्स के बगल वाले अस्पताल 15,000 रुपये तक देते हैं, फिर रेट कम करने का सवाल ही नहीं है. मरीज से कमाई का हिसाब समझाते हुए एंबुलेंस चालक ने बताया कि एक मरीज का एक दिन में खर्च 10,000 रुपये से ज्यादा खर्च आता है. मरीज अगर अस्पताल में 10 दिन रह गया, तो अस्पताल को एक लाख रुपये तो ऐसे ही आ गये. इसमें दवा और अन्य खर्च अलग हैं. ऐसे में 15,000 रुपये मरीज को पहुंचाने का कहां ज्यादा है?
रिम्स सेंट्रल इमरजेंसी के बाहर रहने के लिए होती है मारामारी
रिम्स सेंट्रल इमरजेंसी के सामने या आसपास एंबुलेंस खड़ा करने के लिए चालकों में मारामारी तक होती है. एंबुलेंस चालकों ने स्वीकारा कि मरीज मिले, इसलिए वह एंबुलेंस को सेंट्रल इमरजेंसी के बाहर लगाकर रखते हैं. वहीं, रिम्स द्वारा सेंट्रल इमरजेंसी और कार्डियोलॉजी विंग के बाहर एंबुलेंस हटाने का हर प्रयास विफल रहा है. हटाने के कुछ देर बात ही वहां एंबुलेंस का जमावड़ा लग जाता है. एंबुलेंस चालक उसी अस्पताल में मरीज को पहुंचाते हैं, जहां उन्हें ज्यादा पैसे मिलते हैं. एंबुलेंस चालक मरीज को लादकर निजी अस्पतालों से मोलभाव करते हैं. मरीज अगर किसी जाननेवाले अस्पताल का नाम देता है, तो एंबुलेंस चालक उसे भ्रमित कर अपने मनचाहे अस्पताल में शिफ्ट करा देते हैं.
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निजी और कॉरपोरेट अस्पतालों के एजेंट के रूप में रिम्स के बाहर खड़े रहते हैं एंबुलेंस चालक
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जो ज्यादा देता है, वहीं पहुंचाते हैं मरीज
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हर अस्पताल का रेट फिक्स, मरीजों को शिफ्ट करने के लिए दलाल धड़ल्ले से करते हैं मोलभाव
एक डॉक्टर ने स्वीकारा एंबुलेंस वाले करते हैं मोलभाव
राजधानी रांची के निजी क्लिनिक के डॉक्टर ने माना कि एंबुलेंस चालकों की मनमानी बहुत बढ़ गयी है. धनबाद के एक अस्पताल से एक एंबुलेंस चालक मरीज लेकर चला. उसने मुझे फोन किया कि आपके अस्पताल ला रहे हैं, आप कितना पैसा दीजियेगा? अन्य अस्पताल वाले 15,000 रुपये तक दे रहे हैं. अगर आप ज्यादा दीजियेगा, तो हम आपके अस्पताल में लायेंगे. जब उन्होंने ड्राइवर को सख्त लहजे में बोला कि मेरे अस्पताल में ऐसा नहीं होता है, तो वह दूसरे अस्पताल लेकर चला गया.
फोन पर हुई बातचीत में एंबुलेंस चालक ने खोली पोल
मरीज को अस्पताल पहुंचाने के लिए कितना लगेगा?
राजधानी के अस्पतालों से जो पुराना रेट तय है उसी के हिसाब से लेंगे. 15,000 रुपये लेते हैं एक मरीज को अस्पताल पहुंचाने का. इससे कम नहीं होगा.
छोटा अस्पताल है, थोड़ा कम नहीं लगेगा क्या?
देखिये एक दिन का बिल गिरता है 10,000 से 12,000 रुपये हॉस्पिटल में. उसके हिसाब से आप हमको कितना दे रहे हैं, जोड़कर बताइये न? 10 दिन पेशेंट को रखियेगा, तो आपको कितना मिलेगा? आपका अलग खर्च है, तो ड्राइवर के पैसा से थोड़े कम कराइयेगा. आप अपने घर से थोड़े ही दे रह है. शुरू से इतना ही ले रहे हैं.
शहर के अन्य अस्पताल कितना दे रहे हैं?
यहां से नजदीक वाला अस्पताल 15,000 दे रहा है. बाकी अस्पताल भी 12,000 दे रहे हैं. अगर न्यूरो का पेशेंट लेकर जाते हैं, तो उसमें बिना बोले 15,000 से 20,000 मिल जाते हैं. अगर हमलोग से बोलियेगा कम, तो नहीं हो पायेगा. कार्ड या नंबर दे दीजिये. फोन कर देंगे.
पैसा कैसे लेंगे, प्रतिदिन या एक मुश्त?
पैसा कैश लेंगे. रोज का हिसाब उसी दिन कैश में करना होगा. रांंची के बाहर मरीज लेकर गये और वहां से पेशेंट लेकर आये तो भी कम नहीं होगा. 15,000 ही लगेंगे. अगर पेशेंट पार्टी अस्पताल में आपको फोन कर दिया, तो आप 10-पांच या दो भी दीजियेगा, चलेगा.
रिम्स से कैसे मरीज अस्पताल लाइयेगा?
रिम्स तो भैया अभी बहुत मारामारी है. आप देने खोज रहे हैं 12,000 रुपये और अगला दे रहा है 15,000 रुपये तो कहां से होगा? जो 15,000 देगा, उसी के पास न मरीज लेकर जायेंगे. एक महीना के गाड़ी का किस्ती एक ही बार उठ जा रहा है. छह से सात लाख रुपये फंसा कर जो गाड़ी ले रहा है आदमी, यह करेगा न. रिम्स से ध्यान देंगे, तभी तो गाड़ी इमरजेंसी के सामने रखे हैं.
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