रांची, आनंद मोहन. स्पीकर रबींद्रनाथ महतो के न्यायाधिकरण में गुरुवार को विधायक प्रदीप यादव व कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की के दलबदल मामले की सुनवाई हुई. आठ महीने 17 दिनों के बाद हुई सुनवाई में वादी (प्रदीप-बंधु के खिलाफ शिकायत करनेवाले) और प्रतिवादी (प्रदीप-बंधु का बचाव पक्ष) ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं. स्पीकर श्री महतो ने चार बिंदुओं पर इश्यू फ्रेम करते हुए वादी-प्रतिवादी को अपना-अपना पक्ष रखने को कहा. वादी यानी बाबूलाल मरांडी की ओर से अधिवक्ताओं की दलील थी कि अब चार्ज फ्रेम हो गया है, तो गवाही की प्रक्रिया होनी चाहिए. वादी की ओर से अधिवक्ता आरएन सहाय, अभय मिश्रा और विनोद साहू ने बारी-बारी से पक्ष रखा.
अधिवक्ता श्री मिश्र ने सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि इस निर्णय के बाद सबकुछ साफ है. इसमें कोर्ट ने सारी चीजों को तय कर दिया है. यह मामला भी उसी से मिलता-जुलता है. इसके एक-एक बिंदु पर गौर करने की जरूरत है. वादी की ओर से कहा गया कि झाविमो का भाजपा में विलय पॉलिटिकल था. पूरी प्रक्रिया के साथ विलय हुआ है. प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को तब पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था. चुनाव आयोग ने मर्जर को मान्यता भी दे दी है. चुनाव आयोग को ही इसका अधिकार है. अधिवक्ता श्री साहू का कहना था कि न्यायाधिकरण को बताना चाहिए कि किस प्रक्रिया के तहत सुनवाई हो रही है. सुनवाई कर सीधे फैसला देना है या फिर गवाही की प्रक्रिया पूरी की जायेगी. पार्टी का विलय हुआ है, तो गवाह ही बता सकते हैं कि क्या प्रक्रिया अपनायी गयी.
उधर, प्रतिवादी यानी प्रदीप यादव-बंधु तिर्की की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता सुमित गड़ौदिया की दलील थी कि स्पीकर सुनवाई की प्रकिया तय करने के लिए स्वतंत्र हैं. अभी गवाही की बात कही जा रही है, लेकिन इसके लिए कोई आवेदन नहीं आया है. अधिवक्ता श्री गड़ौदिया का कहना था कि झाविमो के तीन विधायक चुन कर आये थे. अगर दो निष्कासित भी हुए, तो सदन के अंदर वो उसी पार्टी के विधायक माने जायेंगे. तीन में दो विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की कांग्रेस में शामिल हो गये थे. दो-तिहाई विधायकों का मर्जर कांग्रेस में हुआ है. अब तय होना है कि कौन सा मर्जर सही है, तो 10वीं अनुसूची में सबकुछ साफ है. स्पीकर ही इसको तय करेंगे. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद स्पीकर श्री महतो ने सुनवाई की तारीख आगे बढ़ा दी.