प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का मामला : 27 योजनाओं के टेंडर में गड़बड़ी की नहीं हुई जांच

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana) की 27 योजनाओं के टेंडर निबटारे में गड़बड़ी की जांच नहीं हो सकी है. करीब पांच महीने से इसे दबा कर रखा गया है. अब तो जांच की फाइल पर किसी तरह की सुगबुगाहट तक नहीं है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 16, 2022 8:13 AM

Ranchi News: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana) की 27 योजनाओं के टेंडर निबटारे में गड़बड़ी की जांच नहीं हो सकी है. करीब पांच महीने से इसे दबा कर रखा गया है. अब तो जांच की फाइल पर किसी तरह की सुगबुगाहट तक नहीं है. इस तरह 150 करोड़ रुपये से अधिक राशि की योजनाओं की जांच फाइलों में दब कर रह गयी है.

टेंडर में गड़बड़ी की बात हुई थी उजागर

केंद्र सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद पीएमजीएसवाइ के तहत सड़क योजनाओं का टेंडर किया गया था. इसके निबटारा के क्रम में बड़ी गड़बड़ियां उजागर हुई हैं. ग्रामीण कार्य विभाग को भी बड़ी संख्या में गड़बड़ी की शिकायतें मिली थीं. इसके बाद ही विभागीय सचिव मनीष रंजन ने इसकी जांच का आदेश दिया था.

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सचिव के आदेश के बाद मामले की जांच के लिए प्रक्रिया आगे बढ़ी, पर 27 में से आठ ही टेंडर की जांच का पत्र जारी हुआ. जांच के आदेश अभियंता प्रमुख को दिये गये. शेष 19 योजनाओं के टेंडर की जांच का भी आदेश जारी हुआ. लेकिन चर्चा है कि बाद में मामला काफी गर्म हो गया, तो 19 योजनाओं के टेंडर की जांच का आदेश ही बदल गया. वहीं लंबे समय तक तो जांच की संचिका ही नहीं मिल रही थी. कुल मिला कर यह प्रयास होता रहा कि टेंडर में गड़बड़ी की जांच नहीं हो. जिन आठ टेंडर की जांच का आदेश जारी हुआ, उसके दस्तावेज भी जांच के लिए नहीं दिये गये. नतीजा है कि आज भी पांच महीने बाद इसकी जांच नहीं हो सकी है.

टेंडर की गड़बड़ी की जांच

  • 150 करोड़ रुपये से अधिक के टेंडर में हुई है गड़बड़ी

  • 08 टेंडर की गड़बड़ी की जांच तो की गयी, पर 19 का पत्र ही बदल गया

कैसी गड़बड़ियां हुई थीं

जो शिकायतें मिली थीं, उसके मुताबिक चहेते ठेकेदारों के पक्ष में टेंडर का निबटारा किया जाता रहा. हर टेंडर के निबटारे के क्रम में अंत में मात्र दो ही ठेकेदार को योग्य पाया गया. एक जिसे काम देना था और दूसरा जिसने सपोर्टिंग पेपर डाला था. दो ठेकेदार नहीं होने पर टेंडर रद्द हो जाता, इसलिए अंत में दो को ही योग्य पाया गया. बाकी सारे ठेकेदारों को अयोग्य करार दिया गया. ऐसा कार्य हर गड़बड़ीवाले टेंडर में हुआ. अगर पांच-छह ठेकेदार ने टेंडर भरा, तो भी अंत में दो ही बचे. अगर 10-12 ठेकेदारों ने टेंडर में हिस्सा लिया, तो भी अंत में दो ही ठेकेदार बचे. एक ठेकेदार एक योजना में पास, तो दूसरा फेल. यही होता रहा. जांच हुई तो कई घोटाले उजागर हो जायेंगे.

रिपोर्ट : मनोज लाल, रांची

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