रांची (मुख्य संवाददाता). रिम्स के विभिन्न वार्ड में टूटे टाइल्स को बदला जायेगा. रिम्स संपदा विभाग की हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है. इसके बाद अब टाइल्स बदलने की कार्य योजना बनायी जा रही है. हालांकि कुछ साल पहले लाखों खर्च कर वार्ड में टाइल्स लगाया गया था. यह टाइल्स लगने के कुछ दिन बाद ही टूटना शुरू हो गया था. फिलहाल मेडिसिन और सर्जरी विभाग के विभिन्न वार्ड के अधिकतर टाइल्स टूट चुके हैं. ऐसे में रिम्स प्रबंधन इसे दोबारा दुरुस्त कराने जा रहा है. रिम्स सूत्रों ने बताया कि टाइल्स लगाने से पहले ही रिम्स के कुछ सीनियर डॉक्टरों ने निर्माता एजेंसी और रिम्स प्रबंधन के अधिकारियों को चेताया था. बताया था कि जो टाइल्स लगाया जा रहा है, उस पर ट्रॉली और व्हील चेयर के आने-जाने का भार वह सहन नहीं कर सकता है. हालांकि इस सुझाव की अनदेखी कर दी गयी.
बिल्डिंग कॉरपोरेशन ही रिम्स के पास विकल्प
रिम्स के सामने बिल्डिंग कॉरपोरेशन ही मरम्मत और नये निर्माण के लिए विकल्प है. अन्य निर्माता एजेंसी से रिम्स काम नहीं करा सकता है. हालांकि रिम्स हर साल बिल्डिंग मरम्मत के लिए 50 से 60 लाख रुपये खर्च करता है. इधर रिम्स निदेशक ने कहा कि वर्तमान में जो टाइल्स लगा है, इसको तो लगाना ही नहीं चाहिए था. ट्रॉली और व्हील चेयर के लिए अलग टाइल्स आती है. अगर बिल्डिंग कॉरपाेरेशन द्वारा छह माह से एक साल में इसका निर्माण किया गया होगा, तो उसको दुरुस्त करने की जिम्मेदारी उनकी होगी. इस मद में खर्च पैसा का भुगतान नहीं किया जायेगा.ट्रॉली व व्हीलचेयर की कमी, रोज भटकते हैं मरीज के परिजन
रांची. रिम्स में ट्रॉली और व्हीलचेयर की कमी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. रिम्स में 226 ट्रॉली और 134 व्हील चेयर मरीजों के लिए काफी नहीं हैं. इसकी वहज से मरीज के परिजन भटकते रहते हैं. सबसे बड़ी समस्या वार्ड में भर्ती मरीजों को होती है, जब डॉक्टर उनको रेडियोलॉजी जांच का परामर्श देते हैं. परिजन जब वार्ड में सिस्टर से ट्रॉली या व्हीलचेयर की मांग करते हैं, तो वहां से उन्हें इमरजेंसी भेज दिया जाता है. जब परिजन इमरजेंसी पहुंचते हैं, तो वहां से वार्ड में ही ट्रॉली उपलब्ध होने की जानकारी दी जाती है. रिम्स सूत्रों ने बताया कि वार्ड के लिए 186 ट्रॉली और 119 व्हीलचेयर हैं. वहीं, इमरजेंसी में 40 ट्रॉली और 15 व्हीलचेयर हैं. यह मरीजों की भीड़ के हिसाब से कम है. प्रत्येक वार्ड में पर्याप्त संख्या में ट्रॉली और व्हीलचेयर होनी चाहिए, ताकि मरीजों को परेशानी नहीं हो. रिम्स निदेशक डॉ राजकुमार ने बताया कि ट्रॉली और व्हीलचेयर की कमी से स्वास्थ्य विभाग को अवगत कराया गया है. विभागों को निर्देश दिया गया है कि वह मरीज की भीड़ और ट्रॉली व व्हीलचेयर की उपलब्धता के बारे में बतायें. जहां कम भीड़ होगी, वहां कम और जहां ज्यादा भीड़ होगी, वहां ज्यादा ट्रॉली और व्हील चेयर दिया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है