ओपन जेल में कैदियों को रखने की नियमावली पेश करें : हाइकोर्ट
झारखंड हाइकोर्ट ने मॉडल जेल मैनुअल बनाने व राज्य की जेलों की व्यवस्था में सुधार को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका सहित अन्य याचिकाओं पर सुनवाई की.
रांची (वरीय संवाददाता). झारखंड हाइकोर्ट ने मॉडल जेल मैनुअल बनाने व राज्य की जेलों की व्यवस्था में सुधार को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका सहित अन्य याचिकाओं पर सुनवाई की. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के जवाब पर असंतोष प्रकट किया. खंडपीठ ने कहा कि जेलों की सुरक्षा को लेकर क्या-क्या कदम उठाया जा रहा है. यह भी पूछा कि ओपन जेल में कैदियों को रखने को लेकर क्या नियम है. ओपन जेल में रखने के लिए क्या कोई अहर्ता निर्धारित की गयी है. खंडपीठ ने राज्य सरकार को नियमावली की प्रति प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने आठ मई की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता शैलेश पोद्दार ने पैरवी की. वहीं मामले के एमिकस क्यूरी अधिवक्ता मनोज टंडन ने पक्ष रखा. पिछली सुनवाई के दाैरान कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि वर्ष 1834 में स्थापित हजारीबाग स्थित केंद्रीय कारागार के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए उसके रिकॉर्ड को संरक्षित रखने के लिए क्या कदम उठाये गये हैं. केंद्रीय कारा हजारीबाग में स्वतंत्रता सेनानियों को रखा जाता था. कई ऐतिहासिक दस्तावेज उपलब्ध हैं. वर्ष 1911 के पूर्व के सभी ऐतिहासिक दस्तावेजों को संरक्षित करना चाहिए. उल्लेखनीय है कि जेलों की व्यवस्था तथा मॉडल जेल मैनुअल लागू करने के मामले में हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था.